बेसिक शिक्षा सचिव और दो दर्जन BSA के खिलाफ आरोप तय

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अदालत ने सचिव के अलावा, विभिन्न जिलों के बेसिक शिक्षा अधिकारियों के खिलाफ भी आरोप तय किए। अनेक अवमानना याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल ने यह आदेश पारित किया। इन याचिकाओं में सहायक अध्यापकों और उनके आश्रितों को ग्रैच्युटी के भुगतान को लेकर अदालत के आदेश की अवमानना का आरोप लगाया गया है।

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने अदालत के आदेश की अवमानना करने और मृतक सहायक अध्यापकों के आश्रितों को ग्रैच्युटी के भुगतान में विलंब करने के लिए बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव प्रताप सिंह बघेल के खिलाफ बृहस्पतिवार को आरोप तय किए। अदालत ने सचिव के अलावा, विभिन्न जिलों के बेसिक शिक्षा अधिकारियों के खिलाफ भी आरोप तय किए। अनेक अवमानना याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल ने यह आदेश पारित किया। इन याचिकाओं में सहायक अध्यापकों और उनके आश्रितों को ग्रैच्युटी के भुगतान को लेकर अदालत के आदेश की अवमानना का आरोप लगाया गया है।

सचिव के खिलाफ आरोप तय करते हुए अदालत ने कहा कि अदालत बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव के इस बयान से हतप्रभ है कि सरकारी आदेश जारी होने के बाद सरकारी तंत्र हरकत में आया और ब्याज के साथ ग्रैच्युटी की रकम का भुगतान किया जा रहा है। अदालत ने कहा कि उच्चतम न्यायालय द्वारा दिया गया निर्णय, भारत के संविधान के अनुच्छेद 141 के तहत सभी राज्य अधिकारियों पर लागू होता है और ये अधिकारी किसी सरकारी आदेश की प्रतीक्षा नहीं कर सकते। अदालत ने बघेल के खिलाफ भी टिप्पणी की और कहा कि पिछले डेढ़ साल से यह अदालत बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव से प्रयागराज में अपने कार्यालय जोकि प्रधान सीट है, में आने का अनुरोध करती रही है, लेकिन वह प्रयागराज के कार्यालय में नहीं आ रहे, बल्कि ज्यादातर समय लखनऊ में अपने कैंप कार्यालय में बिता रहे हैं।

अदालत ने प्रमुख सचिव, बेसिक शिक्षा और महानिदेशक, बेसिक शिक्षा को इस मामले को उच्चतम स्तर पर उठाने और आवश्यक कार्रवाई करने का निर्देश दिया। अदालत ने कहा कि जब एक बार ग्रैच्युटी भुगतान से जुड़े मामले पर उच्चतम न्यायालय द्वारा निर्णय किया जा चुका है तो मुकदमे दायर किए जाने से राज्य पर खर्च ही बढ़ रहा है जो वास्तव में करदाताओं का पैसा है। अदालत ने कहा, यह एक सख्त मामला है जहां एक अध्यापक की मृत्यु होने पर उसकी विधवा पत्नी और कानूनी वारिस अपना भुगतान लेने के लिए एक जगह से दूसरी जगह भटक रहे हैं।

अदालत ने कहा कि यह भुगतान पहले बेसिक शिक्षा अधिकारियों द्वारा रोका जाता है और इसके बाद वित्त एवं लेखा अधिकारियों (बेसिक शिक्षा) द्वारा रोका जाता है। अदालत नेकहा कि वित्त एवं लेखा अधिकारी भी राशि का भुगतान नहीं किए जाने में दोषी हैं क्योंकि वे बाधा खड़ी करते हैं और अनावश्यक आपत्ति लगाते हैं और जब तक उनके लिए कुछ अच्छा नहीं किया जाता है, मामले को दबाए बैठे रहते हैं। अदालत ने कहा कि एक बार फाइल इन दो अधिकारियों के पास से गुजरने के बाद मामला ट्रेजरी स्तर पर लटका दिया जाता है तथा शिक्षा विभाग के इन अधिकारियों द्वारा गरीब वादियों को हर स्तर पर परेशान किया जा रहा है। अदालत ने प्रमुख सचिव, बेसिक शिक्षा और महानिदेशक बेसिक शिक्षा को इन अधिकारियों के खिलाफ की गई कार्रवाई के बारे में इस अदालत को सुनवाई की अगली तिथि दो अगस्त को अवगत कराने का निर्देश दिया।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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