शीला दीक्षित के बाद दिल्ली कांग्रेस के सामने नया नेता तलाशने की चुनौती
वर्ष 2013 के बाद से हर प्रमुख चुनाव में तीसरे स्थान पर रह रही कांग्रेस को 2019 के लोकसभा चुनाव में दूसरे स्थान पर रहकर आम आदमी पार्टी कुछ हद तक किनारे करने में सफल रही थी और उसे कुछ उम्मीद दिखाई दी थी।
नयी दिल्ली। दिल्ली में विधानसभा चुनाव होने में कुछ ही महीने शेष हैं और ऐसे में पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के अचानक निधन से दिल्ली कांग्रेस के समक्ष एक ऐसे नेता की तलाश करने की चुनौती उत्पन्न हो गई है जो उनकी जिम्मेदारी संभाल सके। दीक्षित के निधन के बाद अब दिल्ली कांग्रेस इकाई के सामने दो चुनौतियां हैं...नया नेता तलाशना और पार्टी में एकजुटता कायम करना। नए नेता को दिल्ली इकाई को एकजुट करने की चुनौती से भी जूझना पड़ सकता है।
Delhi: Senior Bharatiya Janata Party (BJP) leader LK Advani pays tribute to former Delhi CM and Senior Congress leader #SheilaDixit who passed away yesterday. pic.twitter.com/ppVyfmAxoN
— ANI (@ANI) July 21, 2019
एक नेता ने कहा, ‘‘नेताओं की मौजूदा जमात में कोई भी दीक्षित की लोकप्रियता से मेल नहीं खाता है। तीन कार्यकारी अध्यक्षों हारुन युसूफ, देवेन्द्र यादव और राकेश लिलोठिया क्रमश: वरिष्ठ नेताओं जे पी अग्रवाल, ए के वालिया और सुभाष चोपड़ा से कनिष्ठ है।’’ नेता ने कहा, ‘‘दीक्षित के अचानक निधन से दिल्ली कांग्रेस बुरी तरह से प्रभावित हुई है जो इसके लिए पूरी तरह से तैयार नहीं थी।’’
वर्ष 2013 के बाद से हर प्रमुख चुनाव में तीसरे स्थान पर रह रही कांग्रेस को 2019 के लोकसभा चुनाव में दूसरे स्थान पर रहकर आम आदमी पार्टी कुछ हद तक किनारे करने में सफल रही थी और उसे कुछ उम्मीद दिखाई दी थी। कांग्रेस पांच सीटों पर दूसरे स्थान पर रही थी।
इसे भी पढ़ें: 2012 में पद छोड़ना चाहती थीं शीला दीक्षित, निर्भया घटना के चलते बनी रहीं
दीक्षित अगले वर्ष जनवरी-फरवरी में होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारी कर रही थीं। अब पार्टी को चुनाव से पहले संगठन का नेतृत्व करने के लिए एक नये नेता की तलाश करनी होगी। दिल्ली प्रदेश कांग्रेस समिति के पूर्व प्रमुख अजय माकन ने स्वास्थ्य कारणों से इस्तीफा दे दिया था।
अन्य न्यूज़