गोमती रिवरफ्रंट में अनियमितताओं की सीबीआई जांच के आसार

[email protected] । Jun 19 2017 3:42PM

उत्तर प्रदेश सरकार पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की स्वप्निल परियोजना ''गोमती रिवरफ्रंट'' में हुई विभिन्न अनियमितताओं की इस केन्द्रीय एजेंसी से जांच करा सकती है।

लखनऊ। शिया और सुन्नी वक्फ बोर्ड में सैकड़ों करोड़ रुपये के कथित घोटाले की सीबीआई जांच की सिफारिश के बाद अब उत्तर प्रदेश सरकार पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की स्वप्निल परियोजना 'गोमती रिवरफ्रंट' में हुई विभिन्न अनियमितताओं की इस केन्द्रीय एजेंसी से जांच करा सकती है। प्रदेश के नगर विकास राज्य मंत्री गिरीश कुमार यादव ने आज बताया कि अभी दो-तीन दिन पहले ही रिवर फ्रंट परियोजना की जांच रिपोर्ट मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सौंपी गयी है। रिपोर्ट में मामले की सीबीआई जांच की जरूरत बताये जाने के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि यह रिपोर्ट गोपनीय है। बहरहाल, मुख्यमंत्री जी जो भी निर्णय लेंगे, उसके अनुसार सभी जरूरी कदम उठाए जाएंगे और समुचित कार्वाई की जाएगी। जरूरी हुआ तो मुकदमा भी दर्ज कराया जाएगा। किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा।

प्रदेश के नगर विकास मंत्री सुरेश खन्ना की अगुवाई में चार सदस्यीय समिति ने गोमती रिवरफ्रंट मामले की जांच की थी। उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक माना जा रहा है कि उसकी सिफारिश पर इस मामले में मुकदमा भी होगा। ज्ञातव्य है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वक्फ काउंसिल आफ इण्डिया की रिपोर्ट मिलने के बाद पिछले सप्ताह शिया और सुन्नी वक्फ बोर्ड में हुए सैकड़ों करोड़ रुपये के कथित घोटाले की सीबीआई जांच की सिफारिश की थी। पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के सपनों की परियोजना कहे जाने वाले गोमती रिवरफ्रंट पर भी शुरू से ही योगी सरकार की नजर टेढ़ी रही। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गत एक अप्रैल को इस मामले की उच्च न्यायालय के किसी सेवानिवृत्त न्यायाधीश से जांच कराने के आदेश दिये थे। साथ ही उन्होंने एक समिति भी गठित करके उससे 45 दिन के अंदर रिपोर्ट मांगी थी।

अधिकारियों के अनुसार परियोजना के लिये आवंटित 1513 करोड़ रुपये में से 95 प्रतिशत धनराशि यानी 1435 करोड़ रुपये खर्च हो जाने के बावजूद अभी तक केवल 60 प्रतिशत से कम ही काम हो सका है। मुख्यमंत्री ने गोमती में कचरा ना डालने की सख्त हिदायत देते हुए कहा था कि नदी को प्रदूषणमुक्त किये बगैर उसके किनारों के सौंदर्यीकरण का कोई अर्थ नहीं है। नदी इतनी प्रदूषित है कि उसके किनारे खड़े होना मुश्किल है, ऐसे में उसकी धारा पर करोड़ों रुपये के फौव्वारे लगाना फिजूलखर्ची है। प्रदेश के 940 किलोमीटर क्षेत्र में बहने वाली गोमती नदी औद्योगिक तथा घरेलू कचरे के कारण बेहद प्रदूषित हो चुकी है। इसके किनारे बसने वाले लखनऊ, सीतापुर, लखीमपुर खीरी, सुलतानपुर, जौनपुर समेत 15 छोटे-बड़े नगरों में इस नदी में कूड़ा तथा औद्योगिक कचरा डाला जाता है।

We're now on WhatsApp. Click to join.

Tags

    All the updates here:

    अन्य न्यूज़