उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के खिलाफ दर्ज मुकदमा वापस
उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से एडीजीसी (अपराध) राजेश कुमार गुप्ता ने आवेदन 22 ए प्रस्तुत किया था जिसमें दलील दी गई थी कि उत्तर प्रदेश सरकार के सचिव अरुण कुमार राय द्वारा 19 नवंबर, 2018 को पारित आदेश के अनुपालन में यह आवेदन प्रस्तुत किया गया है।
प्रयागराज। सांसदों और विधायकों के खिलाफ मामलों की सुनवाई के लिए विशेष अदालत ने उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और चार अन्य लोगों के खिलाफ दर्ज मुकदमा वापस लेने की सरकारी वकील की अर्जी शुक्रवार को मंजूर कर ली। विशेष अदालत के विशेष न्यायाधीश डाक्टर बाल मुकुंद ने शुक्रवार कोमुकदमा समाप्त करते हुए अपने आदेश में कहा कि आरोपी केशव प्रसाद मौर्य, विभूति नारायण सिंह, जय चंद्र मिश्रा, यशपाल केसरी और प्रेमचंद चौधरी को आरोप मुक्त किया जाता है।
उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से एडीजीसी (अपराध) राजेश कुमार गुप्ता ने आवेदन 22 ए प्रस्तुत किया था जिसमें दलील दी गई थी कि उत्तर प्रदेश सरकार के सचिव अरुण कुमार राय द्वारा 19 नवंबर, 2018 को पारित आदेश के अनुपालन में यह आवेदन प्रस्तुत किया गया है। आवेदन इस आधार पर प्रस्तुत किया गया कि मौजूदा मामले में न तो कोई व्यक्ति चोटिल हुआ और न ही इससे जनहित प्रभावित हुआ है। साथ ही इसमें ना ही किसी निजी या सरकारी वाहन को किसी व्यक्ति या आरोपियों द्वारा क्षति पहुंचाई गई है। यह मामला किसी व्यक्ति मसलन जनता द्वारा दर्ज नहीं कराया गया है। दलील में यह भी कहा गया कि मौजूदा मामला चुनावी बैठक और धार्मिक गतिविधियों से जुड़ा है। इस आधार पर आरोपियों के खिलाफ मुकदमा वापस लेने के लिए यह आवेदन किया गया है।#Meerut में @JagranNews द्वारा आयोजित #Webinar में पत्रकार मित्रों, व्यापारी गण एवं चिकित्सकों को संबोधित करते हुए कहा कि कोरोना वायरस से हम डरेंगे नहीं बल्कि पूरी सावधानी के साथ इससे लड़ेंगे और इसे हराएंगे।
— Keshav Prasad Maurya (@kpmaurya1) June 5, 2020
रुके हुए कार्यों को आगे बढ़ाएंगे, प्रदेश एवं देश को आत्मनिर्भर बनाएंगे। pic.twitter.com/DnI8K9vQPA
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उल्लेखनीय है कि कौशांबी जिले के तत्कालीन मंझनपुर थाना प्रभारी जंग बहादुर सिंह की लिखित सूचना के आधार पर एक सितंबर 2011 को कोतवाली मंझनपुर में छह लोगों के खिलाफ आईपीसी की धारा 147, 148, 153, 153ए, 352, 188, 323, 504, 506 और आपराधिक कानून संशोधन अधिनियम की धारा सात के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था। इनमें से एक आरोपी देवेंद्र सिंह चौहान की मृत्यु हो चुकी है। मामले की जांच तत्कालीन सीओ (हंडिया) केशव चंद्र गोस्वामी द्वारा की गई जिन्होंने छह लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया गया। यह मामला कौशांबी के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजेएम) की अदालत में गया और सभी आरोपियों को जमानत मिल गई। प्रदेश में एमपी-एमएलए की विशेष अदालत के गठन के बाद इस मामले की फाइल कौशांबी से यहां एमपी-एमएलए अदालत में आ गई जिसने शुक्रवार को मुकदमा वापस लेने की अर्जी मंजूर कर ली।
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