ब्रिटेन ने मैकाले को भारतीय मानस को गुलाम बनाने के लिये भारत भेजा था: राजनाथ सिंह

Narendra Modi
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कार्यक्रम के दौरान धामी ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के गतिशील नेतृत्व में देश अपनी गुलाम मानसिकता से छुटकारा पा रहा है। धामी ने कहा कि देश को 22 जनवरी का बेसब्री से इंतजार है, जब अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा होगी। उन्होंने कहा, “राम भक्तों और इस देश से प्यार करने वालों की खुशी की कोई सीमा नहीं है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बिना यह संभव नहीं होता।

केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह ने शनिवार को कहा कि लॉर्ड मैकाले को देश की पारंपरिक शिक्षा प्रणाली को खत्म करने और लोगों को मानसिक रूप से गुलाम बनाने के लिए भारत भेजा गया था। उन्होंने कहा कि भारतीय मानस पर मैकाले की शिक्षा प्रणाली के प्रभाव का मुकाबला करने के लिए गुरुकुल का पुनरुद्धार आवश्यक है। हालांकि, रक्षा मंत्री ने सलाह दी कि शिक्षा के इन केंद्रों को पारंपरिक शिक्षा प्रणाली के साथ ‘कृत्रिम बुद्धिमत्ता’ और ‘क्वांटम प्रौद्योगिकी’ जैसी उभरती प्रौद्योगिकी के साथ तालमेल बनाना चाहिए। सिंह ने हरिद्वार में पतंजलि गुरुकुलम के शिलान्यास समारोह में संतों और छात्रों की एक सभा में कहा, मैकाले को भारतीयों के मानस पर कब्जा करके उन्हें मानसिक रूप से गुलाम बनाने के लिए भारत भेजा गया था।

भारत की सांस्कृतिक और साहित्यिक विरासत के प्रति मैकाले के उपेक्षापूर्ण रवैये के बारे में बात करते हुए, केंद्रीय मंत्री ने कहा कि ब्रिटिश अधिकारी ने एक बार एक यूरोपीय पुस्तकालय में एक अलमारी को भारत की सभी सांस्कृतिक और साहित्यिक विरासत से बढ़कर बताया था। देश में पाश्चात्य शिक्षा प्रणाली की शुरुआत लॉर्ड मैकाले ने की थी। सिंह ने कहा, उन्होंने (मैकाले) यह बात उस देश के बारे में कही, जिसने वेद, उपनिषद और गीता की रचना की। सिंह ने कहा, मैकाले की शुरू की गई शिक्षा प्रणाली ने भारतीयों की ऐसी पीढ़ियों को जन्म दिया, जो अपनी संस्कृति और परंपराओं के बारे में हीन भावना लेकर बड़ी हुई। उन्होंने कहा कि महर्षि दयानंद सरस्वती और स्वामी दर्शनानंद ने भारत की पारंपरिक शिक्षा प्रणाली को आगे बढ़ाने और इसके गौरव को बहाल करने के लिए गुरुकुल जैसी संस्थाओं की स्थापना की।

केंद्रीय मंत्री ने स्वामी दर्शनानंद द्वारा पतंजलि गुरुकुलम के नाम से स्थापित संस्थान को पुनर्जीवित करने के प्रयासों के लिए योग गुरु रामदेव की प्रशंसा करते हुए कहा कि नए भारत को नए गुरुकुलम की जरूरत है, जो पारंपरिक शिक्षा को उभरती और अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों के साथ जोड़ते हों। उन्होंने शारीरिक और मानसिक कल्याण की प्राचीन भारतीय विधा योग को न केवल देश में, बल्कि विदेश में भी लोकप्रिय बनाने के लिए रामदेव की प्रशंसा की और कहा कि यह मानवता के लिए एक अनुकरणीय सेवा है। उन्होंने कहा, लोगों को न केवल पार्कों में बल्कि बसों, ट्रेनों, मेट्रो और उड़ानों में भी योग क्रिया करते देखा जा सकता है। यह बाबा रामदेव के अथक प्रयासों का परिणाम है।

उन्होंने संयुक्त राष्ट्र द्वारा 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस घोषित करने के पीछे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रयासों की भी सराहना की। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि रामदेव और आचार्य बालकृष्ण की साधारण शुरुआत से लेकर वर्तमान में उपलब्धियों के शिखर तक की यात्रा पूरे देश के लिए प्रेरणा का स्रोत है। उन्होंने उनसे संस्कृत के पुनरुद्धार के लिए कुछ करने का भी आग्रह किया और कहा कि यह एक वैज्ञानिक है, लेकिन इसे बोलने और लिखने में सक्षम लोगों की संख्या लगातार कम होती जा रही है। इससे पहले, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव, केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल और राज्यसभा सदस्य और भाजपा के प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी के साथ, सिंह ने ज्वालापुर महाविद्यालय मैदान में हवन में भाग लिया और पतंजलि गुरुकुलम की आधारशिला रखी।

कार्यक्रम के दौरान धामी ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के गतिशील नेतृत्व में देश अपनी गुलाम मानसिकता से छुटकारा पा रहा है। धामी ने कहा कि देश को 22 जनवरी का बेसब्री से इंतजार है, जब अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा होगी। उन्होंने कहा, “राम भक्तों और इस देश से प्यार करने वालों की खुशी की कोई सीमा नहीं है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बिना यह संभव नहीं होता।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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