भाजपा ने अयोध्या पर अदालत के सुझाव का स्वागत किया
अयोध्या विवाद पर उच्चतम न्यायालय की टिप्पणी का स्वागत करते हुए भाजपा ने आज कहा कि पार्टी अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण का समर्थन करती है।
अयोध्या विवाद पर उच्चतम न्यायालय की टिप्पणी का स्वागत करते हुए भाजपा ने आज कहा कि पार्टी अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण का समर्थन करती है और इस बात पर जोर देती है कि यह मैत्रीपूर्ण ढंग से सभी पक्षों की सहमति से हो। भाजपा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि भाजपा राम मंदिर के निर्माण का वैचारिक रूप से समर्थन करती है। हम राम मंदिर के निर्माण के पक्ष में हैं। हमारा मानना है कि इस बारे में सभी पक्ष मिलकर इसे सुलझायें। उन्होंने कहा कि अयोध्या मामले पर उच्चतम न्यायालय का कहना बिल्कुल ठीक है। यह बेहतर होगा कि इसे मैत्रीपूर्ण ढंग से सभी पक्ष मिलकर सुलझायें। इससे राम मंदिर का निर्माण भी हो जायेगा और सामाजिक व्यवस्था और तानाबाना भी प्रभावित नहीं होगा।
उल्लेखनीय है कि अयोध्या विवाद पर सुब्रमण्यम स्वामी की याचिका पर उच्चतम न्यायालय ने आज कहा है कि सर्वसम्मति पर पहुंचने के लिए सभी संबंधित पक्ष साथ बैठें। यह एक संवेदनशील और भावनात्मक मुद्दा है और यह बेहतर होगा कि इस मुद्दे को मैत्रीपूर्ण ढंग से सुलझाया जाए। प्रधान न्यायाधीश जेएस खेहर ने कहा कि यदि संबंधित पक्ष उनकी मध्यस्थता चाहते हैं तो वह इस काम के लिए तैयार हैं।
केंद्रीय मंत्री पीपी चौधरी ने कहा कि सरकार बातचीत के जरिये अयोध्या विवाद का हल निकालने के शीर्ष अदालत के सुझाव का समर्थन करती है। उन्होंने कहा कि सरकार हमेशा से मध्यस्थता के लिए तैयार है और इसका समर्थन करती है। हम इस बारे में बातचीत और मध्यस्थता का समर्थन करते हैं। विधि एवं न्याय राज्य मंत्री ने संसद भवन परिसर में संवाददाताओं से कहा कि उच्चतम न्यायालय का सुझाव स्वागत योग्य है और अगर ऐसे जटिल मुद्दों का समधान बातचीत से होता है तब इससे भविष्य के लिए सभी पक्षों की समझ बेहतर होगी और शांति सुनिश्चित की जा सकेगी।
उन्होंने कहा कि जो चीज मध्यस्थता से सुनिश्चित की जा सकती है, वह काम अदालती फैसले से नहीं हो सकता है। मध्यस्थता की स्थिति में दोनों पक्षों को खुशी होगी। अदालती फैसले की स्थिति में एक पक्ष खुश होगा और दूसरा नहीं। केंद्रीय मंत्री ने विश्वास व्यक्त किया कि इस विवाद का समाधान बातचीत के जरिये हो सकेगा। यह मामला अदालत में है। और जब तक न्यायालय फैसला नहीं देती है, तब तक कुछ नहीं हो सकता है। अब अदालत ने बातचीत के जरिये इसे सुलझाने को कहा है। मैं समझता हूं कि यह बातचीत के जरिये हो सकेगा।
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