भाजपा ने कहा: नये आपराधिक कानून ‘पुलिस राज’ से मुक्ति वाले, विपक्ष ने कहा: पुलिस की निरंकुशता बढ़ेगी
उन्होंने कहा, ‘‘अगर सुधार करना था तो हमें उन प्रावधानों को निकालना था जो हुकूमत और पुलिस को मनमानी करने की इजाजत देते हैं।’’ उन्होंने दावा किया कि देश के कारावासों में बंद लोगों में सबसे ज्यादा मुस्लिम, दलित और आदिवासी समुदाय के लोग हैं। उन्होंने विधेयक के एक प्रावधान का उल्लेख करते हुए कहा कि पुलिस कैसे किसी को आतंकवादी घोषित कर सकती है, क्योंकि यह काम तो अदालत का है। शिरोमणि अकाली दल की हरसिमरत कौर बादल ने कहा कि इस कानून में पुलिस को अत्यधिक अधिकार दिए गए हैं, जबकि लोगों में पुलिस राज का डर कम से कम होना चाहिए।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद निशिकांत दुबे ने बुधवार को लोकसभा में कहा कि आपराधिक कानूनों से संबंधित विधेयक देश में ‘पुलिस राज’ से मुक्ति और गुलामी की निशानियों को मिटाकर भारतीय परंपरा को स्थापित करने के लिए लाये गए हैं, वहीं शिरोमणि अकाली दल की सांसद हरसिमरत कौर बादल और ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि इनमें पुलिस को इतने अधिकार नहीं दिये जाने चाहिए थे। दुबे ने भारतीय न्याय (द्वितीय) संहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा (द्वितीय) संहिता 2023 और भारतीय साक्ष्य (द्वितीय) विधेयक 2023 पर बुधवार को अधूरी रही चर्चा को आगे बढ़ाते हुए यह टिप्पणी की।
भारतीय दंड संहिता, दंड प्रक्रिया संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह लेने के लिए इन्हें लाया गया है। लोकसभा से आसन की अवमानना के मामले में बड़ी संख्या में विपक्ष के सदस्यों को निलंबित किये जाने के कारण चर्चा के दौरान विपक्षी सदस्यों की बहुत कम उपस्थिति रही। लोकसभा से अब तक 97 सदस्यों को तख्तियां दिखाने और सदन की अवमानना करने के मामले में निलंबित किया जा चुका है। दुबे ने कहा कि इन विधेयकों से देश के लोगों को राहत मिलेगी। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने मैकाले की शिक्षा पद्धति को खत्म किया और अब अंग्रेजों के समय के कानून को बदला जा रहा है।
उन्होंने कहा कि यह सरकार आम जनता की सरकार है और वह कभी ‘पुलिस राज’ नहीं बनने देगी। दुबे का कहना था कि पहले कभी किसी विपक्षी पार्टी ने (सुरक्षा में चूक के मामले में) संसद में व्यवधान डालने का प्रयास नहीं किया, क्योंकि यहां सुरक्षा की जिम्मेदारी लोकसभा सचिवालय की है। उन्होंने आरोप लगाया कि ये विधेयक पारित न हों, इसलिए कांग्रेस राजनीति कर रही है। एआईएमआईएम के नेता असदुद्दीन ओवैसी ने आपराधिक कानूनों की जगह सरकार द्वारा लाये गए तीन विधेयकों का विरोध करते हुए आरोप लगाया कि ये तीनों प्रस्तावित कानून ‘‘सरकार के अपराधों को कानूनी शक्ल देने के लिए बनाए जा रहे हैं’’।
उन्होंने कहा, ‘‘अगर सुधार करना था तो हमें उन प्रावधानों को निकालना था जो हुकूमत और पुलिस को मनमानी करने की इजाजत देते हैं।’’ उन्होंने दावा किया कि देश के कारावासों में बंद लोगों में सबसे ज्यादा मुस्लिम, दलित और आदिवासी समुदाय के लोग हैं। उन्होंने विधेयक के एक प्रावधान का उल्लेख करते हुए कहा कि पुलिस कैसे किसी को आतंकवादी घोषित कर सकती है, क्योंकि यह काम तो अदालत का है। शिरोमणि अकाली दल की हरसिमरत कौर बादल ने कहा कि इस कानून में पुलिस को अत्यधिक अधिकार दिए गए हैं, जबकि लोगों में पुलिस राज का डर कम से कम होना चाहिए।
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