Prajatantra: अखिलेश-तेजस्वी के खिलाफ BJP का प्लान, MP में 'यादव सीएम' यूपी-बिहार में दिलाएंगे वोट!

mohan yadav PM modi
ANI
अंकित सिंह । Dec 14 2023 3:37PM

मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान की वापसी तो मुश्किल मानी जा रही थी। लेकिन दावा किया जा रहा था कि उनकी जगह भाजपा किसी ओबीसी चेहरे पर ही दांव लगाएगी। जो नाम सबसे ज्यादा चर्चा में थी वह था प्रहलाद सिंह पटेल का था। वह भी एक एक बड़े ओबीसी नेता हैं।

मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में जबरदस्त जीत के बाद भाजपा ने मुख्यमंत्री के रूप में चौंकाने वाला फैसला लिया। इन तीनों ही राज्यों में नए चेहरों पर दांव लगाया। राजस्थान में जहां भजन लाल शर्मा के रूप में भाजपा ने एक ब्राह्मण चेहरे को आगे किया जो पहली बार ही विधायक बने थे। तो वहीं छत्तीसगढ़ में विष्णु देव साय पर बड़ा दांव लगाया है जो आदिवासी समाज से आते हैं। हालांकि, भाजपा ने जातीय राजनीति को संतुलित करने के लिए सबसे बड़ा खेल मध्य प्रदेश में खेला है। भाजपा ने मध्य प्रदेश में मोहन यादव को मुख्यमंत्री के रूप में चुना है। इसके जरिए भाजपा ने उत्तर प्रदेश और बिहार के साथ-साथ हरियाणा को भी बड़ा संदेश दे दिया है। 

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मोहन यादव को लेकर कहानी

मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान की वापसी तो मुश्किल मानी जा रही थी। लेकिन दावा किया जा रहा था कि उनकी जगह भाजपा किसी ओबीसी चेहरे पर ही दांव लगाएगी। जो नाम सबसे ज्यादा चर्चा में थी वह था प्रहलाद सिंह पटेल का था। वह भी एक एक बड़े ओबीसी नेता हैं। हालांकि, भाजपा ने मध्य प्रदेश में मोहन यादव को आगे किया जो की यादव समाज से आते हैं। ओबीसी में यादवों का बहुत ही दबदबा है। मध्य प्रदेश में यादवों की आबादी की बात करें तो 14 फ़ीसदी है। हालांकि, इसमें कोई आश्चर्य नहीं हुआ कि शिवराज सिंह की जगह बीजेपी ने एक अन्य ओबीसी चेहरा पर दांव लगाया लेकिन इसके पीछे की कहानी बड़ी दिलचस्प है। 

उत्तर प्रदेश और बिहार पर नजर

दरअसल, भाजपा मोहन यादव के जरिए उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों में राजनीतिक फायदा उठाने की कोशिश करेगी जहां यादव एक प्रभावशाली समूह है। बिहार और यूपी के यादव का कितना प्रभाव है इसका अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि बिहार में राष्ट्रीय जनता दल और उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी का राजनीति इन्हीं से जुड़ा हुआ है। दिलचस्प बात यह भी है कि मोहन यादव की पत्नी सीमा उत्तर प्रदेश की सुल्तानपुर की रहने वाली है। बिहार में राष्ट्रीय जनता दल सबसे बड़ी पार्टी है। माना जाता है कि लालू यादव की यादव वोट बैंक पर पकड़ मजबूत है। वहीं दिलचस्प बात यह भी है कि बिहार एकमात्र ऐसा हिंदी भाषा राज्य है जहां बीजेपी कभी भी अपने दम पर सरकार नहीं बन पाई और इसका बड़ा कारण यादव का वोट है जो भाजपा के पाले में अब तक आ नहीं पाया है। इसके साथ ही भाजपा ने राहुल गांधी को भी जवाब दे दिया राहुल गांधी लगातार ओबीसी पर जोर दे रहे थे। मोहन यादव के नाम में यादव सरनेम है। इससे भी भाजपा को फायदा हो सकता है। बिहार की राजनीति में लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव को प्रमुख यादव नेता माना जाता है। तो वहीं यूपी में मुलायम सिंह यादव के बाद अब अखिलेश यादव प्रमुख यादव नेता हैं। 

यादवों को दिया बड़ा संदेश

मध्य प्रदेश में मोहन यादव का मुख्यमंत्री बनाकर भाजपा ने यादवों को बड़ा संदेश दे दिया है। भाजपा ने यह भी बता दिया है कि हमारे लिए परिवारवाद मायने नहीं रखता है। हम एक सामान्य कार्यकर्ता को भी मुख्यमंत्री बन सकते हैं। इसके साथ ही भाजपा ने 2024 लोकसभा चुनाव से पहले बिहार और उत्तर प्रदेश में एक एजेंडा भी सेट कर दिया है। इन दोनों ही राज्यों में जातीय जनगणना को लेकर विपक्षी दल आक्रामक है। यही कारण है कि यादव वोट बैंक में सेंध लगाने में मोहन यादव का चेहरा भाजपा के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है। बिहार में यादवों की संख्या 14 फीसदी से ज्यादा हैं। उत्तर प्रदेश की राजनीति में भी यादव का जबरदस्त दबदबा है। वही हरियाणा और राजस्थान में भी उनके वोट मायने रखते हैं।

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सवर्ण और दलितों को भी किया खुश

मध्य प्रदेश में भाजपा ने स्वर्ण और दलितों को भी खुश कर दिया। मध्य प्रदेश में भाजपा ने दो उपमुख्यमंत्री बनाए हैं। पहले हैं जगदीश देवड़ा जो की एक दलित चेहरा है जबकि दूसरे हैं राजेंद्र शुक्ला जो ब्राह्मण समुदाय से आते हैं। इसे भी भाजपा का एक बड़ा प्रयोग माना जा रहा है। भाजपा ने इन दोनों के जरिए जातीय संतुलन पर जोर दिया है। मध्य प्रदेश में दलितों की आबादी भी अच्छी खासी है। वहीं, ब्राह्मणों के जरिए सवर्णों को भी साथ जा सकता है जो लगातार भाजपा के कोर वोटर माने जाते रहे हैं। 

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