पश्चिमी यूपी में आसान नहीं भाजपा की राह, गन्ना भुगतान को लेकर प्रत्याशियों को करना पड़ रहा कड़वाहट का सामना
दूसरी ओर पश्चिमी उत्तर प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में भाजपा उम्मीदवारों के लिए मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। ग्रामीण भाजपा उम्मीदवारों के खिलाफ काले झंडे दिखा रहे हैं। इतना ही नहीं उत्तर प्रदेश के गन्ना मंत्री को भी ग्रामीण कोई भाव नहीं दे रहे हैं।
उत्तर प्रदेश में 7 चरणों में विधानसभा के चुनाव होने हैं। पहले दो चरण में पश्चिमी उत्तर प्रदेश में चुनाव हैं। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में गन्ने की खेती बहुत ज्यादा होती है। जानकारी के मुताबिक पश्चिमी यूपी में 50 से अधिक सीटों पर गन्ने की राजनीति परिणाम को प्रभावित कर सकती हैं। यही कारण है कि जैसे-जैसे चुनाव का समय नजदीक आ रहा है वैसे-वैसे उत्तर प्रदेश में गन्ने की राजनीति भी तेज होती दिखाई दे रही है। अखिलेश यादव ने भी मुजफ्फरनगर में यह दावा कर दिया कि 15 दिन के अंदर में सरकार गन्ने का भुगतान करेगी। दूसरी ओर पश्चिमी उत्तर प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में भाजपा उम्मीदवारों के लिए मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। ग्रामीण भाजपा उम्मीदवारों के खिलाफ काले झंडे दिखा रहे हैं। इतना ही नहीं उत्तर प्रदेश के गन्ना मंत्री को भी ग्रामीण कोई भाव नहीं दे रहे हैं।
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कुल मिलाकर देखें तो पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भाजपा के लिए लड़ाई आसान दिखाई नहीं दे रही है। हालांकि योगी सरकार का दावा है कि यूपी के गन्ना किसानों का भुगतान पहले की तुलना में ज्यादा तेजी से किया गया है। यूपी गन्ना विभाग द्वारा जारी नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, यूपी में 119 चीनी मिलों ने अब तक किसानों से 465.3 लाख टन गन्ना खरीदा है, क्योंकि पिछले साल नवंबर की शुरुआत में नया पेराई सत्र शुरू हुआ था, हालांकि सरकार के निर्देश के बावजूद अब तक किसानों को पूरा बकाया भुगतान नहीं किया गया है। विशेष रूप से, पश्चिम यूपी में लगभग एक दर्जन चीनी मिलों पर अभी भी पिछले पेराई सत्र से करीब 1,500 करोड़ रुपये बकाया हैं।
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यूपी के गन्ना मंत्री सुरेश राणा के लिए भी स्थिति अनुकूल नहीं है। सुरेश राणा वर्तमान में शामली के थाना भवन निर्वाचन क्षेत्र से विधायक हैं। भाजपा के अन्य प्रत्याशियों की ही तरह इन्हें भी पिछले 5 वर्षों में गन्ना बकाया का पूरा भुगतान करने के दावों के बावजूद भी विरोध का सामना करना पड़ रहा है। हाल ही में राणा को नोनांगली गांव और पल्थेड़ी गांव में काले झंडे दिखाए गए थे। राणा का दावा है कि पिछली सरकारों की तुलना में, भाजपा सरकार ने पांच वर्षों में किसानों को 1,55,900 करोड़ रुपये से अधिक गन्ना बकाया का रिकॉर्ड भुगतान किया है। इसमें वे भी शामिल हैं जो पिछले शासन से वर्षों से लंबित थे। 2018-19 और 2019-20 सहित पिछले वर्षों के शत-प्रतिशत बकाया का भुगतान किया गया है। 2020-21 के लिए भी, हमने बकाया का 96% भुगतान कर दिया है, और शेष का भुगतान जल्द ही कर दिया जाएगा। मैं किसानों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध हूं। कहीं कोई विरोध नहीं है।
ग्रामीणों के आक्रोश का सामना करने वाले राणा अकेले नहीं हैं। हाल ही में, खतौली के भाजपा विधायक विक्रम सैनी को मुजफ्फरनगर में अपने गृह क्षेत्र में विरोध का सामना करना पड़ा। साथ ही मेरठ के चुर गांव में सत्ताधारी पार्टी प्रत्याशी मनिंदर सिंह के काफिले पर हमला किया गया। भाजपा ने आरोप लगाया कि हमले के पीछे रालोद का हाथ है और इस संबंध में पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है। कुल मिलाकर देखें तो पश्चिमी उत्तर प्रदेश की राजनीति दिलचस्प होती दिखाई दे रही है। हालांकि यह बात भी सच है कि किसान को समय पर भुगतान उसका अधिकार है और इसे कभी भी सरकार की दयालुता के रूप में नहीं दिखाया जाना चाहिए।
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