भाजपा ने किया राहुल पर पलटवार, कहा: ‘लेटरल एंट्री’ संप्रग शासन में बिना किसी प्रक्रिया के की गयी

Rahul Gandhi
ANI

सरकारी ज्ञापन का हवाला दिया, जिसमें कहा गया था कि ‘लेटरल’ भर्तियों में आरक्षण रोस्टर का पालन किया जाए और एससी, एसटी, ओबीसी और विकलांग उम्मीदवारों के लिए निर्धारित अनुपात बनाए रखना चाहिए।

नौकरशाहों की भर्ती में ‘लेटरल एंट्री’ से अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी) और अन्य पिछड़ा वर्ग का आरक्षण छिन जाने के राहुल गांधी के दावे के बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने कांग्रेस नेता से झूठ नहीं फैलाने को कहा।

भाजपा के आईटी प्रकोष्ठ के प्रमुख अमित मालवीय ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा कि सच्चाई यह है कि कांग्रेस के नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के दौरान इस तरह की ‘लेटरल’ भर्ती बिना किसी प्रक्रिया के होती थी।

उन्होंने कहा, ‘‘उस तदर्थवाद को समाप्त कर भारत सरकार ने अब यह सुनिश्चित किया है कि ‘लेटरल एंट्री’ स्थापित दिशानिर्देशों के आधार पर की जाएं ताकि आरक्षण और आरक्षण प्रणाली पर कोई प्रभाव न पड़े।’’

मालवीय ने कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) द्वारा 2016 में जारी किये गये सरकारी ज्ञापन का हवाला दिया, जिसमें कहा गया था कि ‘लेटरल’ भर्तियों में आरक्षण रोस्टर का पालन किया जाए और एससी, एसटी, ओबीसी और विकलांग उम्मीदवारों के लिए निर्धारित अनुपात बनाए रखना चाहिए।

उन्होंने आरोप लगाया कि 2018 में भी इस मुद्दे पर भ्रम फैलाने की ऐसी ही कोशिश की गई थी। उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन जब डॉ. मनमोहन सिंह और मोंटेक सिंह अहलूवालिया जैसे कई प्रमुख ‘लेटरल भर्ती’ वाले शख्सों के सवाल उठाए गए तो कांग्रेस स्तब्ध रह गई।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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