Prajatantra: Madhya Pradesh में BJP का गेम प्लान तैयार, Kamal Nath के समक्ष गढ़ बचाने की चुनौती

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अंकित सिंह । Oct 20 2023 4:17PM

मध्य प्रदेश हिंदी पट्टी का एक महत्वपूर्ण राज्य है जो कि केंद्र की राजनीति के लिए भी काफी अहम हो जाता है। राज्य में धर्म का एंगल भी खूब चलता है और यह कांग्रेस और भाजपा के लिए एक अलग तरह के हिंदुत्व का प्रयोगशाला भी है।

भारत का हृदय कहे जाने वाले मध्य प्रदेश भाजपा के लिए कई मायनो में काफी महत्व रखता है। यही कारण है कि मध्य प्रदेश चुनाव को लेकर भाजपा की ओर से कोई कसर नहीं छोड़ा जा रहा है। भाजपा किसी भी कीमत पर आमने-सामने की लड़ाई में कांग्रेस को कोई जगह नहीं देना चाहती। मध्य प्रदेश हिंदी पट्टी का एक महत्वपूर्ण राज्य है जो कि केंद्र की राजनीति के लिए भी काफी अहम हो जाता है। राज्य में धर्म का एंगल भी खूब चलता है और यह कांग्रेस और भाजपा के लिए एक अलग तरह के हिंदुत्व का प्रयोगशाला भी है। वर्तमान में देखें तो भाजपा ने मध्य प्रदेश में चुनौतियों को देखते हुए पूरा का पूरा गेम प्लान तैयार कर लिया है। यह कहीं ना कहीं कमलनाथ की रणनीति पर भी भारी पड़ सकता है।

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बड़ा गेम प्लान 

भाजपा ने जो सबसे बड़ा प्रयोग किया है उसमें अपने सात सांसदों को विधानसभा के चुनाव में उतरना है। दिलचस्प बात यह भी है कि इनमें से तीन तो केंद्रीय मंत्री हैं। पार्टी के इस कदम से कार्यकर्ताओं में उत्साह भी आया है और स्थिति में मजबूती भी मिली है। इससे पार्टी के भीतर की जो गुटबाजी है, उसको भी काम करने में मदद मिली है। हर जिले में सभी वरिष्ठ और पार्टी के दिग्गजों को पहुंचाया जाएगा और उन्हें नई-नई जिम्मेदारियां सौंप जाएगी ताकि किसी को भी यह ना लगे की उन्हें किनारे किया जा रहा है। भाजपा उन सीटों पर भी महत्व दे रही है जिन पर कांग्रेस मजबूत है। यहां उम्मीदवारों को पहले ही उतार दिया गया। इन सीटों पर कुछ सांसदों और केंद्रीय मंत्रियों को भी इसलिए उतर गया ताकि उन हाई प्रोफाइल सीटों को अपने पाले में करने की कोशिश की जा सके जहां कांग्रेस मजबूत है। इसका असर साथ के 10 से 12 सीटों पर भी पड़ सकता है। उदाहरण के तौर पर देखें नरसिंहपुर से प्रल्हाद पटेल को को चुनाव में उतारने का विचार आसपास की कम से कम 7 से 10 सीटों को प्रभावित करने के लिए है। हालांकि प्रल्हाद पटेल लगातार छिंदवाड़ा का दौरा कर रहे थे जो की कमलनाथ गढ़ माना जाता है।  

कमलनाथ के समक्ष गढ़ बचाने की चुनौती 

जिस तरह भाजपा ने अमेठी में राहुल गांधी को सबक सिखाया और उसे जीत हासिल हुई, ठीक वैसा ही पार्टी की ओर से छिंदवाड़ा में किया जा रहा है। भाजपा ने टिकट का बंटवारा उस हिसाब से किया है ताकि पार्टी छिंदवाड़ा में 7 सीटें जितने या कम से कम कमलनाथ की गतिविधियों को उनके निर्वाचन क्षेत्र तक ही सीमित करने में अहम भूमिका निभा सकता है। छिंदवाड़ा में भाजपा की ओर से मजबूत उम्मीदवारों को उतारा गया है। ऐसे में कमलनाथ के समक्ष अपने गढ़ को बचाने की भी चुनौती होगी।

शिवराज पर अब भी सवाल!

जहां तक मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का सवाल है तो भाजपा उनके लिए भी एक अलग प्लान तैयार कर रही है। पार्टी किसी भी एक चेहरे के साथ चुनावी यात्रा में नहीं जाना चाहती। पार्टी के तमाम बैनर और पोस्टर्स पर नजर डालें तो उसमें 12 चेहरे हैं। इन 12 चेहरे में से किसी को भी भाजपा की जीत के बाद मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है। जिन चेहरे को प्रमुखता से दिखाया गया है उनमें फगन सिंह कुलस्ते, कैलाश विजयवर्गीय, ज्योतिरादित्य सिंधिया, प्रल्हाद पटेल, कविता पाटीदार और नरेंद्र सिंह तोमर शामिल हैं। साथ ही साथ सभी जातियों का भी बराबर प्रतिनिधित्व रहे, इसकी भी कोशिश की जा रही है। इन तमाम नेताओं को इसलिए भी प्रमुखता दिया जा रहा है ताकि यह अपने-अपने क्षेत्र में भाजपा की जीत सुनिश्चित कर सके।

भाजपा की उम्मीदें

इसके अलावा अगर भाजपा के प्लान को देखा जाए तो उसका जोर सिर्फ राज्य की योजनाओं पर ही नहीं बल्कि केंद्र की घोषणाओं पर भी है। यह भी सुनिश्चित किया जा रहा है कि सारा का सारा श्रेय शिवराज सिंह चौहान को ना दिया जाए। बीजेपी मध्य प्रदेश के विकास का श्रेय पूरी तरीके से पार्टी केंद्रित रखना चाहती है, व्यक्ति केंद्रित नहीं। भाजपा अपना पूरा का पूरा प्लान कमलनाथ के इर्द-गिर्द ही बनाने की कोशिश में है। इसका बड़ा कारण यह भी है कि पार्टी को लगता है कि वही कांग्रेस के मुख्यमंत्री पद के दावेदार हैं। लेकिन उन्हें राज्य की राजनीति का अनुभव कम है। इसके साथ ही बीजेपी को इस बात की भी उम्मीद है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कई हाई प्रोफाइल चेहरे को चुनावी प्रचार में उतरने के बाद पार्टी मजबूत स्थिति में होगी।

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चुनाव के समय राजनीतिक दलों की ओर से परिस्थितियों के अनुसार दांव-पेंच की राजनीति की जाती है। किसी भी कीमत पर राजनीतिक दल चुनावी माहौल में कोई भी चूक नहीं करना चाहते। जनता भी राजनीतिक दलों की तमाम गतिविधियों पर नजर रखती है। यही तो प्रजातंत्र है।

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