भाजपा ने Shirdi विधानसभा सीट से विधायक Radhakrishna Vikhe-Patil को फिर मैदान में उतारा, लगातार सात बार से जीत रहे हैं चुनाव
विधानसभा को लेकर सभी पार्टियों की चुनावी तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं।। सारी सीटों पर उम्मीदवार घोषित किया जा रहे हैं और हर सीट पर दावेदार अपनी दावेदारी पेश करके जीत का दावा कर रहा है। महाराष्ट्र की विधानसभा सीटें ऐसी हैं, जहां पर लंबे समय से उम्मीदवार जीते चले आ रहे हैं।
महाराष्ट्र विधानसभा को लेकर सभी पार्टियों की चुनावी तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं।। सारी सीटों पर उम्मीदवार घोषित किया जा रहे हैं और हर सीट पर दावेदार अपनी दावेदारी पेश करके जीत का दावा कर रहा है। महाराष्ट्र की विधानसभा सीटें ऐसी हैं, जहां पर लंबे समय से उम्मीदवार जीते चले आ रहे हैं। उन्होंने जीत के लिए न सिर्फ अपनी पार्टी बदली बल्कि अपनी जीत कायम रखने के लिए हर तरह के हथकंडे भी अपनाए। शिरडी महाराष्ट्र के 288 विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों में से एक है। यह सीट शिरडी लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र के अंतर्गत आती है। यहां से राधाकृष्ण विखे पाटिल 7 बार जीत हासिल करके अपराजित विधायक के तौर पर अपनी राजनीतिक मजबूती दिखा चुके हैं।
शिरडी विधानसभा सीट का इतिहास
इस विधानसभा सीट पर कांग्रेस पार्टी, शिवसेना और भारतीय जनता पार्टी के साथ-साथ एक दो बार निर्दलीय विधायकों का भी कब्जा रहा है। शिरडी विधानसभा सीट 1956 में अस्तित्व में आई, जहां पर कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार के रूप में बैजराव तात्या कोते ने जीत हासिल की। उसके बाद 1962 में कांग्रेस के उम्मीदवार के रूप में करभारी भीमाजी रोहामारे ने जीत हासिल की। 1967 के चुनाव में यह सीट कांग्रेस पार्टी के हाथ से यह सीट निकल गई और निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में एम.ए. गाडे बाजी मारी। उसके बाद 1972 में निर्दलीय उम्मीदवार शंकरराव गेनुजी कोल्हे ने चुनाव जीता।
इसके बाद लगातार दो झटके के बाद कांग्रेस पार्टी ने अपने उम्मीदवार पर जोर लगाया और 1976 से लेकर 1995 तक इस सीट को अपने कब्जे में ही रखा। कांग्रेस पार्टी के कब्जे में लंबे समय तक रहने वाली सीट पर कांग्रेस के उम्मीदवार तो बदलते रहे लेकिन जीत कांग्रेस को ही मिलती रही। 1976 में चंद्रभान भाऊसाहेब घोगरे कांग्रेस के टिकट पर जीते। फिर 1980,1985 और 1990 में अन्नासाहेब म्हस्के ने बाजी मारकर हैट्रिक पूरी की। 1995 में राधाकृष्ण विखे-पाटिल को टिकट मिल तो वह कांग्रेस के टिकट पर विधायक बने।
कई पार्टियों से जीतते रहे विखे-पाटिल
1995 से लेकर 2019 तक के रिकॉर्ड को देखा जाए तो यहां पर राधाकृष्ण विखे-पाटिल का कब्जा है। कांग्रेस पार्टी से अपनी राजनीति शुरू करने वाले राधाकृष्ण विखे-पाटिल दल बदलते रहे, लेकिन अपनी सीट पर कब्जा बरकरार रखा। 1995 में उन्होंने कांग्रेस पार्टी के टिकट पर पहली बार जीत हासिल की। फिर वह 1999 में शिवसेना के उम्मीदवार के रूप में चुनाव जीतने में सफल रहे। इसके बाद एक बार फिर उन्होंने पलटी मारी और उन्होंने कांग्रेस पार्टी ज्वाइन की। इसके बाद कांग्रेस के टिकट पर 2004, 2009 और 2014 में विधायक बने। 2014 का चुनाव कांग्रेस पार्टी के टिकट पर जीता था लेकिन एक बार फिर उन्होंने करवट बदली और 2019 में भारतीय जनता पार्टी ज्वाइन कर ली। अब वह भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव मैदान में दूसरी बार उतरने वाले हैं।
राधाकृष्ण विखे-पाटिल की राजनीति
राधाकृष्ण विखे पाटिल महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले के शिरडी विधानसभा क्षेत्र से विधायक के रूप में अपने लगातार 7 बार विधायक बनने का रिकॉर्ड बना चुके हैं। वह वर्तमान में महाराष्ट्र सरकार में राजस्व मंत्री हैं और 9 अगस्त 2022 को हुए मंत्रिमंडल विस्तार में एकनाथ शिंदे और देवेंद्र फड़नवीस के बाद एकनाथ शिंदे मंत्रालय विस्तार में शपथ लेने वाले पहले मंत्री थे। राधाकृष्ण विखे पाटिल 1995 से महाराष्ट्र विधानसभा के सदस्य हैं। वे 2014 में 1,21,459 वोटों से और फिर 2019 के चुनाव में रिकॉर्ड तोड़ 1,32,316 वोटों के साथ चुने गए थे।
2024 के समीकरण
राधाकृष्ण विखे-पाटिल महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले के शिरडी से 7 बार के अपराजित विधायक तौर पर देखे जाते हैं। उन्होंने 1995 से 6 अलग-अलग मुख्यमंत्रियों के अधीन काम किया है और अपने करियर में 12 अलग-अलग विभागों को संभाला है। इस दौरान उन्होंने तीन पार्टियों के टिकट पर चुनाव लड़ा है और जीत हासिल की है। इस लिहाज से देखा जाए तो अबकी बार भी उनकी जीत पक्की नज़र आ रही है।
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