बीजेपी ने 2009 में किया था निराश, 2020 में JDU से भी नहीं मिला मौका, पूर्व सिपाही से कैसे पिछड़ गए गुप्तेश्वर पांडेय
एनडीए गठबंधन के तहत बीजेपी के खाते में गई बक्सर विधानसभा सीट पर पार्टी ने पुलिस के पूर्व सिपाही परशुराम चतुर्वेदी को टिकट दिया है। राजनेता लुक में नजर आने वाले पांडेय ने टिकट ना मिलने पर भावुक अंदाज में बस इतना ही कहा कि राजनीति की कुछ मजबूरियां होती हैं, नीतीश किसी को ठगते नहीं हैं।
बिहार विधानसभा चुनाव में शह-मात का खेल जारी है। साथ ही कई सियासी धुरंधरों के भी मात खाने का खेल जारी है। अपनी राजनीति चमकाने के लिए वीआरएस लेकर जदयू का दामन थामने वाले बिहार के पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पांडे भी इसी सियासी मोहरे का शिकार हो गए। जोर-शोर से चुनाव लड़ने का ऐलान करने वाले गुप्तेश्वर पांडेय को इस बार चुनाव के लिए टिकट नहीं मिला है। वैसे ऐसा दूसरी बार है जब उन्हें सियासी खेल में मात मिली है। इससे पहले साल 2009 के लोकसभा चुनाव में भी उनके बीजेपी के टिकट पर बक्सर सीट से चुनाव लड़ने की पूरी तैयारी थी। लेकिन बिहार बीजेपी के दिग्गज नेता लालमुनि चौबे बक्सर सीट को लेकर अड़ गए थे। नतीजा उन्हें उस बार भी सियासी रण में उतरने में सफलता नहीं मिल पाई थी। उसी वक्त नीतीश सरकार ने उन्हें बिहार का डीजीपी बना दिया था। लेकिन इस घटनाक्रम के ग्यारह साल बाद भी गुप्तेश्वर पांडेय टिकट लेने की रेस में मात खा गए। इस बार उन्हें एक पूर्व सिपाही से मात खानी पड़ी।
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एनडीए गठबंधन के तहत बीजेपी के खाते में गई बक्सर विधानसभा सीट पर पार्टी ने पुलिस के पूर्व सिपाही परशुराम चतुर्वेदी को टिकट दिया है। वर्दी छोड़ कुर्ता-पायजामा पहनकर राजनेता लुक में नजर आने वाले पांडेय पूरी तैयारी में लगे थे लेकिन टिकट ना मिलने पर भावुक अंदाज में बस इतना ही कहा कि राजनीति की कुछ मजबूरियां होती हैं, नीतीश किसी को ठगते नहीं हैं।
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गौरतलब है कि बीजेपी के गढ़ रहे बक्सर सीट का फिलहाल कांग्रेस के विधायक मुन्ना तिवारी नेतृत्व कर रहे हैं। बीजेपी के उम्मीदवार चुने गए परशुराम चतुर्वेदी के बारे बात करे तो बिहार पुलिस से वीआरएस ले चुके हैं। साल 1994 में परशुराम चतुर्वेदी बिहार पुलिस में हवलदार के तौर पर मुजफ्फरपुर में कार्यरत थे। 26 साल पहले उन्होंने नौकरी छोड़ दी। उनकी गिनती बक्सर में बीजेपी के बड़े और पुराने नेताओं में होती है। परशुराम चतुर्वेदी पार्टी के विभिन्न प्रकोष्ठों में प्रांतीय नेता रह चुके हैं। साथ ही कई जिलों के चुनाव का भी काम देख चुके हैं।
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