बसवेश्वर ने समाज में व्याप्त कुरीतियों को दूर करने के लिए जागरूकता पैदा की थी: गांधी

rahul gandhi
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कुदाल संगम अपने चालुक्य-शैली के संगमेश्वर मंदिर के लिए भी प्रसिद्ध है, जहां यह माना जाता है कि बसवन्ना ने भगवान शिव की पूजा की थी। राहुल गांधी ने बाद में बसवा मंतपा में उत्सव समिति द्वारा आयोजित बसवा जयंती समारोह में भाग लिया और कुदाल संगम दसोहा भवन में प्रसाद (दोपहर का भोजन) लिया।

बागलकोट। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने रविवार को कहा कि 12वीं सदी के कवि एवं समाज सुधारक बसवेश्वर और उनके जैसे लोगों ने भारत में लोकतंत्र, संसदीय लोकतंत्र और अधिकारों की नींव रखी थी और समाज में व्याप्त कुरीतियों को दूर करने के लिए प्रयास किये थे। गांधी ने रविवार को बसवेश्वर की जयंती के अवसर पर कुदाल संगम में उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। दिल्ली से हुबली पहुंचने पर गांधी ने संगमनाथ मंदिर और एक्य लिंग के दर्शन के लिए हेलीकॉप्टर से कुदाल संगम की यात्रा की। कुदाल संगम कर्नाटक के प्रभावशाली समुदायों में से एक लिंगायत संप्रदाय का महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है। बसवेश्वर को ‘बसवन्ना’ के रूप में भी जाना है। एक्य मंतपा या लिंगायत संप्रदाय के संस्थापक बसवेश्वर की पवित्र समाधि यहां स्थित है।

कुदाल संगम अपने चालुक्य-शैली के संगमेश्वर मंदिर के लिए भी प्रसिद्ध है, जहां यह माना जाता है कि बसवन्ना ने भगवान शिव की पूजा की थी। कांग्रेस के महासचिव के. सी. वेणुगोपाल, पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धरमैया, प्रदेश कांग्रेस कमेटी की चुनाव अभियान समिति के प्रमुख एम. बी. पाटिल और अन्य नेताओं के साथ, गांधी ने बाद में बसवा मंतपा में उत्सव समिति द्वारा आयोजित बसवा जयंती समारोह में भाग लिया और कुदाल संगम दसोहा भवन में प्रसाद (दोपहर का भोजन) लिया। इस मौके पर कई लिंगायत मठों के संत मौजूद थे। गांधी ने समारोह में कहा कि बसवन्ना और उनके जैसे लोगों ने भारत में लोकतंत्र, संसदीय लोकतंत्र और अधिकारों की नींव रखी थी।

उन्होंने कहा कि बसवन्ना ने अपने समय में समाज में व्याप्त अंधकार को दूर के प्रयास किये थे और रोशनी फैलाई थी। उन्होंने कहा, ‘‘बसवन्ना ने जीवन भर सत्य का मार्ग नहीं छोड़ा और बिना किसी भय के सच बोला। समाज के सामने सच बोलना आसान नहीं है। धमकियों के बावजूद बसवन्ना सत्य के मार्ग से विचलित नहीं हुए और समाज में व्याप्त कुरीतियों पर सवाल उठाया। इसलिए उनका आज तक सम्मान किया जाता है।’’ बसवा जयंती कर्नाटक में एक सरकारी अवकाश है और पूरे राज्य में लिंगायत समुदाय द्वारा इसे पूरी श्रद्धा के साथ मनाया जाता है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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