दो समाचार चैनलों से हटा बैन, जावड़ेकर बोले- प्रेस की स्वतंत्रता का समर्थन करती है मोदी सरकार
मंत्री ने बताया कि एशियानेट न्यूज का प्रसारण शुक्रवार रात से बहाल कर दिया गया जब उसके मालिक ने उनसे बात की और मीडिया वन का प्रसारण शनिवार की सुबह शुरू किया गया। हमारा मानना है कि प्रेस की स्वतंत्रता किसी लोकतांत्रिक ढांचे में अत्यंत आवश्यक है और यही मोदी सरकार की प्रतिबद्धता है।
पुणे। केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने शनिवार को कहा कि केंद्र ने मलयाली भाषा के दो समाचार चैनलों पर लगाया गया 48 घंटे का प्रतिबंध शनिवार को हटा लिया। उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार प्रेस की स्वतंत्रता का समर्थन करती है। दिल्ली में सांप्रदायिक हिंसा को लेकर की गई रिपोर्टिंग के संबंध में इन चैनलों के प्रसारण पर रोक लगाई गई थी। जावड़ेकर ने महाराष्ट्र के पुणे में संवाददाताओं से कहा कि वह इस मामले को देखेंगे और जरूरत पड़ने पर आदेश जारी करेंगे। साथ ही उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने इस पूरे मुद्दे पर चिंता जाहिर की है। एशियानेट न्यूज और मीडिया वन पर शुक्रवार को 48 घंटे का प्रतिबंध लगा दिया गया था। यह रोक ऐसी खबरों को लेकर लगाई गई थी जो देश में “सांप्रदायिक विद्वेष को बढ़ावा दे सकती हैं।” जावड़ेकर ने कहा, “केरल के दो चैनलों के प्रसारण पर 48 घंटे का प्रतिबंध लगाया गया था। हमने तुरंत पता लगाया कि असल में क्या हुआ और इसलिए हमने तुरंत चैनलों का प्रसारण फिर से शुरू कर दिया।”
Prakash Javadekar:And that is commitment of Modi Govt as we fought emergency in which press freedom was muzzled. So,even PM expressed concern on this issue.I will go into details&take essential steps if any wrongdoing.Also, everybody accepts it has to be responsible freedom (2/2) https://t.co/yQ9XNjUtmw
— ANI (@ANI) March 7, 2020
मंत्री ने बताया कि एशियानेट न्यूज का प्रसारण शुक्रवार रात से बहाल कर दिया गया जब उसके मालिक ने उनसे बात की और मीडिया वन का प्रसारण शनिवार की सुबह शुरू किया गया। उन्होंने कहा, “हमारा मानना है कि प्रेस की स्वतंत्रता किसी लोकतांत्रिक ढांचे में अत्यंत आवश्यक है और यही मोदी सरकार की प्रतिबद्धता है।” आपातकाल का संदर्भ देते हुए जावड़ेकर ने कहा कि उन दिनों प्रेस की स्वतंत्रता का दमन किया गया था। साथ ही उन्होंने कहा, “हम उसके खिलाफ जेल गए और हमने प्रेस की स्वतंत्रता बहाल रखी।” उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस पूरे मुद्दे पर चिंता जाहिर की है। मंत्री ने कहा, “मैं निश्चित तौर पर मामले की गहराई तक जाऊंगा और कुछ गलत हुआ होगा तो जरूरी कदम उठाऊंगा।लेकिन मैं आपको यह भी बता दूं कि हर किसी को यह स्वीकार करना चाहिए कि स्वतंत्रता के साथ कुछ जिम्मेदारी भी होती है।”
जावड़ेकर ने कहा कि न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन (एनबीए) के अध्यक्ष रजत शर्मा के साथ बात करने के बाद संगठन की राय मांगी गई है। उन्होंने कहा, “हमने उनका नजरिया मांगा है ताकि हम सही कदम उठा सकें। मुझे इस बात का पूरा भरोसा है कि मीडिया जिम्मेदारी से स्वतंत्रता का लाभ लेगा।” दिल्ली में पिछले महीने हुए सांप्रदायिक दंगों पर दी गई खबरों को लेकर इन चैनलों के प्रसारण पर 48 घंटे की रोक लगाई गई थी। आधिकारिक आदेशों में कहा गया कि इन चैनलों ने 25 फरवरी की घटनाओं की रिपोर्टिंग इस तरह से की जिसमें “उपासना स्थलों पर हमले का विशेष रूप से जिक्र किया गया और किसी खास धर्म का पक्ष लिया गया।” मीडिया वन को लेकर दिए गए मंत्रालय के आदेश में कहा गया, “दिल्ली हिंसा पर चैनल की रिपोर्टिंग पक्षपातपूर्ण लगती है क्योंकि इसमें संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के समर्थकों द्वारा की गई तोड़-फोड़ पर जानबूझकर सारा ध्यान केंद्रित किया गया।” आदेश में कहा गया, “इसने आरएसएस पर भी सवाल उठाए और दिल्ली पुलिस पर निष्क्रियता के आरोप लगाए। चैनल दिल्ली पुलिस और आरएसएस की आलोचना करने वाला प्रतीत हुआ।” मंत्रालय ने देशभर में किसी भी प्लेटफार्म से एशियानेट न्यूज और मीडिया वन के प्रसारण एवं पुनर्प्रसारण पर छह मार्च (शुक्रवार) शाम साढ़े सात बजे से आठ मार्च (रविवार) शाम साढ़े सात बजे तक के लिए रोक लगा दी थी।
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