Yes Milord: एल्विश को बेल, फैक्ट चेक यूनिट पर रोक, यूपी मदरसा बोर्ड एक्ट असंवैधानिक घोषित, कोर्ट में इस हफ्ते क्या हुआ
कोर्ट के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट और टिप्पणियों का विकली राउंड अप आपके सामने लेकर आए हैं। कुल मिलाकर कहें तो आपको इस सप्ताह होने वाले भारत के विभिन्न न्यायालयों की मुख्य खबरों के बारे में बताएंगे।
सुप्रीम कोर्ट से लेकर लोअर कोर्ट तक के वीकली राउंड अप में इस सप्ताह कानूनी खबरों के लिहाज से काफी उथल-पुथल वाला रहा है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी मदरसा बोर्ड एक्ट 2004 को धर्मनिरपेक्षता के खिलाफ बताया। सुप्रीम कोर्ट ने पीआईबी की फैक्ट चेक यूनिट को अभिव्यक्ति की आजादी के खिलाफ बताया। .2 चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति पर रोक से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया। सांपों के जहर वाले केस में घिरे यूट्यूबर एल्विश यादव को राहत मिल गई है। भारतीय स्टेट बैंक ने हलफनामा दाखिल कर सुप्रीम कोर्ट को जानकारी दी। इस सप्ताह यानी 18 मार्च से 23 मार्च 2024 तक क्या कुछ हुआ? कोर्ट के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट और टिप्पणियों का विकली राउंड अप आपके सामने लेकर आए हैं। कुल मिलाकर कहें तो आपको इस सप्ताह होने वाले भारत के विभिन्न न्यायालयों की मुख्य खबरों के बारे में बताएंगे।
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केंद्र की फैक्ट चेक यूनिट सुप्रीम कोर्ट ने रोकी
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के फैक्ट चेक ईकाई बनाने के लिए जारी अधिसूचना पर रोक लगा दी है। केंद्र सरकार के बारे में फर्जी खवरों का पता लगाने के लिए पीआईवी केतहत फैक्ट चेक इकाई बनाने के लिए केंद्र सरकार ने नोटिफिकेशन जारी किया था। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुआई वाली बेंच ने बॉम्बे हाई कोर्ट के फैसले को खारिज कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नोटिफिकेशन पर स्टे जरूरी है। अदालत ने कहा कि इस मामले में गंभीर संवैधानिक सवाल हैं और तय किया गया नियम को विचार और अभिव्यक्ति के अधिकार के तहत हाई कोर्ट द्वारा आंकलन करना जरूरी था।
चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति पर रोक से सुप्रीम कोर्ट का इनकार
सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयुक्तों की नियुक्तियों को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी है। शीर्ष अदालत ने कहा कि आम चुनाव होने वाला है। ऐसे में इससे अनिश्चितता और अव्यवस्था की स्थिति पैदा होगी। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजीव खन्ना की अगुवाई वाली बेच ने मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्त एक्ट 2023 पर भी अंतरिम रोक लगाने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने कहा, सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक वेंच ने 2023 के फैसले में कहीं भी यह नहीं कहा था कि चुनाव आयुक्त और मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति के लिए वनाए जाने वाली कमिटी में न्यायपालिका का सदस्य होना चाहिए। फैसले में एक पैनल बनाया गया था जिसमें पीएम, नेता प्रतिपक्ष और सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस को रखा गया था। फैसले का मकसद ये था कि जब तक संसद इस मामले में कानून वनाए, तब तक ये व्यवस्था लागू होगी। हम नियुक्ति से संबंधित कानून की वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करेंगे। कोर्ट ने केंद्र सरकार को जवाब दाखिल करने को कहा है।
यूपी मदरसा बोर्ड एक्ट असंवैधानिक
हाई कोर्ट की लखनऊ वेंच ने 2004 में पारित किए गए उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा वोर्ड अधिनियम को असंवैधानिक घोषित कर दिया है। साथ ही कोर्ट ने इस कानून को यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन एक्ट की धारा 22 के खिलाफ भी पाया है। कोर्ट ने कहा है कि मदरसा अधिनियम के समाप्त होने के वाद प्रदेश में बड़ी संख्या में मौजूद मदरसों में पढ़ने वाले छात्र प्रभावित होंगे। लिहाजा राज्य सरकार उन्हें प्राइमरी, हाई। स्कूल और इंटरमीडिएट वोड्स से संबद्ध नियमित स्कूलों में समायोजित करे। कोर्ट ने कहा कि सरकार पर्याप्त संख्या में सीटें बढ़ाए और अगर जरूरत हो तो नए स्कूलों की स्थापना करे।
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एल्विश को मिली जमानत
रेव पार्टियों में सांप और उनके जहर से नशे के केस में जेल में बंद विग वॉस ओटीटी-2 के विनर और यूट्यूवर एल्विश यादव को गौतमबुद्ध नगर कोर्ट से राहत मिली है। जेल जाने के 5 दिन बाद उन्हें कोर्ट से जमानत मिल गई है। उनकी जमानत पर लोअर कोर्ट में सुनवाई हुई। जमानत मिलने के बाद भी उन्हें जेल में रात गुजरनी होगी। जेल अधीक्षक के मुताबिक, गुड़गांव कोर्ट का वॉरंट है। एल्विश को गुड़गांव कोर्ट में शनिवार को पेश किया जाएगा। उसके बाद गुड़गांव में सुनवाई होगी और जमानत देने या जेल भेजने का फैसला होगा। एल्विश के वकील प्रशांत राठी और दीपक भाटी ने बताया कि डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने जमानत दे दी है।
22,217 बांड खरीदे गए, 22,030 हुए कैश
भारतीय स्टेट बैंक ने चुनावी बांड मामले में सुप्रीम कोर्ट में अनुपालन हलफनामा दायर किया है। इसने अदालत को यह भी बताया कि 1 अप्रैल, 2019 से 15 फरवरी, 2024 की अवधि के दौरान कुल 22,217 बांड खरीदे गए, जिनमें से 22,030 चुनावी बांड भुनाए गए। हलफनामा बैंक के मुख्य प्रबंध निदेशक दिनेश खारा द्वारा दायर किया गया था। एसबीआई ने कहा कि चुनावी बांड की राशि को चुनावी दलों द्वारा 15 दिनों की वैधता अवधि के भीतर भुनाया नहीं गया था, बल्कि इसे प्रधान मंत्री राहत कोष में स्थानांतरित कर दिया गया था। हलफनामे में एसबीआई ने कहा कि उसके पास तैयार रिकॉर्ड हैं जिसमें खरीद की तारीख, मूल्यवर्ग और खरीदार का नाम दर्ज किया गया था और राजनीतिक दलों के संबंध में नकदीकरण की तारीख और भुनाए गए बांड के मूल्यवर्ग दर्ज किए गए थे।
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