Prabhasakshi NewsRoom: Atishi ने पहले Manish Sisodia के सारे विभाग संभाले, अब Kejriwal की CM वाली कुर्सी संभालेंगी
हम आपको बता दें कि आतिशी विधायक बनने से पहले दिल्ली सरकार के शिक्षा मंत्रालय के लिए सलाहकार के तौर पर काम करती थीं। उन्होंने 2019 का लोकसभा चुनाव पूर्वी दिल्ली से लड़ा था लेकिन भाजपा उम्मीदवार गौतम गंभीर से हार गयी थीं।
दिल्ली सरकार में कैबिनेट मंत्री आतिशी दिल्ली की नई मुख्यमंत्री होंगी। आम आदमी पार्टी के विधायक दल की बैठक में उनके नाम का प्रस्ताव स्वयं अरविंद केजरीवाल ने रखा जिसका सभी ने समर्थन किया। वैसे आतिशी का नाम मुख्यमंत्री के रूप में सामने आना आश्चर्यजनक नहीं है क्योंकि इससे पहले भी उनका नाम इस पद के लिए सामने आया था। हम आपको याद दिला दें कि जब अरविंद केजरीवाल जेल में थे तब 15 अगस्त को दिल्ली सरकार के आधिकारिक कार्यक्रम में तिरंगा फहराने के लिए केजरीवाल ने आतिशी के नाम का प्रस्ताव उपराज्यपाल के समक्ष भेजा था। हालांकि तकनीकी कारणों से आतिशी की बजाय राज्य सरकार में मंत्री कैलाश गहलोत ने तिरंगा फहराया था।
हम आपको बता दें कि आतिशी विधायक बनने से पहले दिल्ली सरकार के शिक्षा मंत्रालय के लिए सलाहकार के तौर पर काम करती थीं। उन्होंने 2019 का लोकसभा चुनाव पूर्वी दिल्ली से लड़ा था लेकिन भाजपा उम्मीदवार गौतम गंभीर से हार गयी थीं। उसके बाद वह 2020 के विधानसभा चुनावों में दिल्ली के कालकाजी क्षेत्र से विधायक बनीं। पिछले साल जब तत्कालीन उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया आबकारी नीति घोटाला मामले में जेल गये तो आतिशी को राज्य सरकार में मंत्री बनाया गया। उस समय मनीष सिसोदिया 18 विभाग संभाल रहे थे। वह सभी 18 विभाग और सिसोदिया का उपमुख्यमंत्री वाला बंगला आतिशी को आवंटित किया गया था। मंत्री के रूप में आतिशी काफी सक्रिय रहीं साथ ही पार्टी का पक्ष भी विभिन्न मंचों पर प्रखरता से रखती रहीं। हालांकि दिल्ली की जल मंत्री के रूप में वह विफल रहीं। अब जब केजरीवाल मुख्यमंत्री पद से हट रहे हैं तब उन्होंने अपनी कुर्सी भी आतिशी को सौंप कर जता दिया है कि वह हाईकमान की सबसे विश्वसनीय और भरोसेमंद नेता हैं।
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हम आपको यह भी बता दें कि साल 1998 में दिल्ली में भाजपा ने भी ऐसा ही प्रयोग किया था। तब भाजपा ने तत्कालीन मुख्यमंत्री साहिब सिंह वर्मा को हटा कर सुषमा स्वराज को विधानसभा चुनावों से तीन महीने पहले दिल्ली का मुख्यमंत्री बनाया था। सुषमा स्वराज ने दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री बनते ही धुआंधार पारी खेलनी शुरू की थी और जनहित में कई बड़े फैसले किये थे मगर वह अपनी पार्टी को सत्ता में वापस नहीं ला सकीं थीं। बल्कि 1998 में अपनी सरकार जाने के बाद से भाजपा दिल्ली की सत्ता में आज तक नहीं लौटी है। बहरहाल, देखना होगा कि भाजपा की तरह चुनावों से तीन महीने पहले मुख्यमंत्री बदलने का फैसला आम आदमी पार्टी के हित में रहता है या नहीं?
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