Prabhasakshi NewsRoom: Gyanvapi में ASI Survey शुरू, मुस्लिम पक्ष पहुँचा सुप्रीम कोर्ट, CJI तुरंत सुनवाई के लिए राजी

Gyanvapi mosque
Prabhasakshi

ज्ञानवापी में एएसआई सर्वे शुरू होने के बीच अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी के सचिव सैयद मोहम्मद यासीन ने बताया कि मुस्लिम पक्ष के वकील इस सर्वे में शामिल नहीं होंगे, क्योंकि मुसलमानों की तरफ से उच्चतम न्यायालय में इस सर्वे के निर्णय को पहले ही चुनौती दी जा चुकी है।

इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश के बाद भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की एक टीम ने वाराणसी स्थित ज्ञानवापी परिसर का सर्वेक्षण शुक्रवार सुबह शुरू कर दिया। सर्वे के जरिये यह पता लगाया जा सकेगा कि क्या 17वीं शताब्दी की मस्जिद का निर्माण एक हिंदू मंदिर की पहले से मौजूद संरचना पर किया गया है। सर्वे का काम दोपहर 12 बजे तक होने की संभावना है। बताया जा रहा है कि सर्वे का काम पांच-छह दिनों तक चलेगा। 

इस बीच, हिंदू पक्ष के वकील मदन मोहन यादव ने बताया कि एएसआई की 43 सदस्यीय एक टीम सुबह करीब सात बजे ज्ञानवापी परिसर में दाखिल हुई और काम शुरू किया। उन्होंने बताया कि इस दौरान हिंदू याचिकाकर्ता अपने वकीलों के साथ मौके पर मौजूद हैं। मुस्लिम पक्ष की तरफ से कोई भी उपस्थित नहीं है। मुस्लिम पक्ष ने इस सर्वे से अलग रहने का फैसला किया है।

इसे भी पढ़ें: Prabhasakshi NewsRoom: Muslim पक्ष की अर्जी खारिज, Gyanvapi ASI Survey के लिए Allahabad HC ने दी मंजूरी

अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी के सचिव सैयद मोहम्मद यासीन ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि मुस्लिम पक्ष के वकील इस सर्वे में शामिल नहीं होंगे, क्योंकि मुसलमानों की तरफ से उच्चतम न्यायालय में इस सर्वे के निर्णय को पहले ही चुनौती दी जा चुकी है। उन्होंने कहा, "उच्च न्यायालय ने बिना तोड़-फोड़ किए एएसआई को ज्ञानवापी मस्जिद का सर्वे का आदेश दिया है। अंजुमन इंतज़ामिया मसाजिद कमेटी ने कल ही उच्चतम न्यायालय में इस आदेश के विरुद्ध अपील कर दी थी जिसकी आज सुनवाई होनी है। इसकी सूचना हमने वाराणसी के उच्च अधिकारियो को दे दी थी।" यासीन ने कहा, "हमारा अनुरोध था कि शीर्ष अदालत के आदेश तक सर्वे स्थगित रखा जाए। दिल्ली से हमारे अधिवक्ता ने भी इसी आशय का पत्र यहां के अधिकारी को भेजा था लेकिन उसका जवाब नहीं मिलने पर कमेटी ने देर रात बैठक करके तय किया कि वह इस सर्वे से विरत रहेगी।" 

हम आपको याद दिला दें कि इससे पहले, वाराणसी की जिला अदालत के निर्णय के बाद एएसआई की टीम ने गत 24 जुलाई को भी ज्ञानवापी परिसर के सर्वे का काम शुरू किया था लेकिन कुछ ही घंटों बाद अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी की याचिका पर सुनवाई करते हुए उच्चतम न्यायालय ने इस सर्वे पर तत्काल रोक लगा दी थी और मामले को इलाहाबाद उच्च न्यायालय के समक्ष रखने को कहा था। उच्च न्यायालय ने तीन अगस्त को फैसला सुनाते हुए मुस्लिम पक्ष की याचिका खारिज कर दी थी, ज्ञानवापी परिसर का सर्वे कराने के निचली अदालत के आदेश को बरकरार रखा था। अब मुस्लिम पक्ष ने उच्च न्यायालय के निर्णय को बृहस्पतिवार को ही उच्चतम न्यायालय में चुनौती दे दी है।

उच्च न्यायालय के फैसले के कुछ घंटे बाद ही अधिवक्ता निजाम पाशा ने तत्काल सुनवाई के लिए प्रधान न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ के समक्ष मामले का उल्लेख किया। पाशा ने कहा कि मैंने (तत्काल सुनवाई का अनुरोध करते हुए) एक ईमेल भेजा है। उन्हें सर्वेक्षण की कार्यवाही आगे नहीं बढ़ानी चाहिए।’’ प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘मैं तुरंत ईमेल देखूंगा।’’ इस बीच, हिंदू पक्ष ने उच्चतम न्यायालय में एक कैविएट भी दायर की है जिसमें कहा गया है कि इस मामले में उन्हें सुने बिना कोई आदेश पारित नहीं किया जाए।

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़