आतंकवाद विरोधी अभियान में 2015 में घायल हुए सैन्य अधिकारी की मौत, तब से ही कोमा में थे

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नट्ट को मूल रूप से 1998 में ब्रिगेड ऑफ गार्ड्स में शॉट सर्विस कमीशन अधिकारी के रूप में कमीशन प्राप्त हुआ था। उन्होंने 14 साल तक नियमित सेना में अपनी सेवा दी और फिर 2012 में वहां से कार्यमुक्त होने के बाद वहप्रादेशिक सेना से जुड़ गये। नट्ट के परिवार में पत्नी नवप्रीत कौर, दो बेटियां- 19 वर्षीय गुणीत तथा नौ साल की अस्मीत हैं। नट्ट के परिवार में उनके पिता भी हैं जो पूर्व सैनिक हैं। पढ़ा जो लेफ्टिनेंट कर्नल ने अपने मोबाइल फोन पर वॉट्सऐप में रिकॉर्ड किया था और सेना ने उनके परिवार को सौंपा था। उनका संदेश था, ‘‘मुझे नहीं पता कि मेरी कहानी कैसे खत्म होगी, लेकिन कोई यह नहीं कहेगा कि मैंने मैदान छोड़ दिया।

जम्मू कश्मीर में नवंबर 2015 में एक आतंकवाद विरोधी अभियान के दौरान गोली लगने से घायल हुए प्रादेशिक सेना के एक लेफ्टिनेंट कर्नल का जालंधर के एक अस्पताल में निधन हो गया जो उस समय से ही कोमा में थे। अधिकारियों ने मंगलवार को यह जानकारी दी। जम्मू कश्मीर के कुपवाड़ा जिले में पटहिर्री गैरिसन ने आज लेफ्टिनेंट कर्नल के एस नट्ट को श्रद्धांजलि दी। कुपवाड़ा टेरियर्स के अधिकारियों एवं जवानों ने अपने युद्ध स्मारक पर माल्यार्पण किया और उनके बलिदान के सम्मान में दो मिनट का मौन रखा। दिवंगत नट्ट का मंगलवार को जालंधर में पूरे सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार कर दिया गया। अधिकारियों के मुताबिक नट्ट नवंबर, 2015 में मुठभेड़ के समय प्रादेशिक सेना की 160 इंफैंट्री बटालियन में तैनात थे।

वह कुपवाड़ा में मनिगाह के घने जंगलों में छिपे आतंकवादियों के खिलाफ तलाशी अभियान की अगुवाई कर रहे थे। उसी दौरान वह घायल हो गये थे। एक अधिकारी ने कहा, ‘‘तलाशी के दौरान अधिकारी (नट्ट) अपनी पार्टी के साथ आतंकवादियों के ठिकाने की ओर बढ़े। अचानक एक फिदायीन ने उन पर हमला कर दिया और उन्हें बुरी तरह घायल कर दिया। लेकिन अपनी सुरक्षा की परवाह किये बगैर वह आतंकवादियों की ठिकाने की ओर बढ़ते रहे और उन्होंने उसका सफाया कर दिया।’’ उन्होंने बताया कि इन अधिकारी (नट्ट) को मुठभेड़ स्थल से निकालकर प्राथमिकता के आधार पर 168 एमचए ड्रगमुल्ला ले जाया गया और फिर श्रीनगर के 92 बेस अस्पताल एवं दिल्ली में सेना के रिसर्च एवं रेफरल अस्पताल में इलाज के बाद उन्हें जालंधर के सैन्य अस्पताल में ले जाया गया जहां वह 2015 से कोमा में थे।

नट्ट ने 24 दिसंबर को आखिरी सांस ली। अधिकारी ने कहा, ‘‘सशस्त्र बलों की शहीद नायकों को श्रद्धांजलि देने की समृद्ध विरासत के तहत कुपवाड़ा टेरियर्स ने कुपवाड़ा के पटहिर्रि में दिवंगत लेफ्टिनेंट कर्नल के एस नट्ट के बलिदान एवं शहादत के सम्मान में माल्यार्पण कार्यक्रम आयोजित किया।’’ नट्ट को मूल रूप से 1998 में ब्रिगेड ऑफ गार्ड्स में शॉट सर्विस कमीशन अधिकारी के रूप में कमीशन प्राप्त हुआ था। उन्होंने 14 साल तक नियमित सेना में अपनी सेवा दी और फिर 2012 में वहां से कार्यमुक्त होने के बाद वहप्रादेशिक सेना से जुड़ गये। नट्ट के परिवार में पत्नी नवप्रीत कौर, दो बेटियां- 19 वर्षीय गुणीत तथा नौ साल की अस्मीत हैं। नट्ट के परिवार में उनके पिता भी हैं जो पूर्व सैनिक हैं। पढ़ा जो लेफ्टिनेंट कर्नल ने अपने मोबाइल फोन पर वॉट्सऐप में रिकॉर्ड किया था और सेना ने उनके परिवार को सौंपा था। उनका संदेश था, ‘‘मुझे नहीं पता कि मेरी कहानी कैसे खत्म होगी, लेकिन कोई यह नहीं कहेगा कि मैंने मैदान छोड़ दिया।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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