बीजेपी-जेडीयू क्या अलग होने का बहाना खोज रहे हैं? सम्राट अशोक के बाद अब शराबबंदी पर संग्राम
नालंदा में मौत के जाम से मौत का सिलसिला क्या शुरू हुआ कड़कड़ाती ठंड में पटना का सियासी पारा गर्मी का एहसास दिलाने लगा। सवाल सरकार और सिस्टम पर उठने लगे। सवाल किसी और ने नहीं बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष ने उठाए।
नालंदा में 11 लोगों की मौत के बाद बिहार में एक बार फिर शराबबंदी पर सियासी घमासान तेज हो गया है। लेकिन इस बार घमासान पक्ष और विपक्ष के बीच नहीं बल्कि सरकार के सहयोगियों के बीच है। जेडीयू की साथी बीजेपी और हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा शराबबंदी पर सवाल उठा रहे हैं और इसकी समीक्षा किए जाने की मांग कर रहे हैं। नालंदा में मौत के जाम से मौत का सिलसिला क्या शुरू हुआ कड़कड़ाती ठंड में पटना का सियासी पारा गर्मी का एहसास दिलाने लगा। सवाल सरकार और सिस्टम पर उठने लगे। सवाल किसी और ने नहीं बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष ने उठाए। संजय जयसवाल ने कहा कि अगर शराबबंदी लागू करना है तो सबसे पहले नालंदा प्रशासन द्वारा गलत बयान देने वाले उस बड़े अफसर की गिरफ्तारी होनी चाहिए। क्योंकि प्रशासन का काम जिला चलाना होता है ना कि जहरीली शराब से मृत व्यक्तियों को अजीबो गरीब बीमारी से मरने का कारण बताना। ये साफ बताता है कि प्रशासन स्वयं शराब माफिया से मिला हुआ है और उनकी करतूतों को छुपाने का काम कर रहा है। यही नहीं बीजेपी ने बकायदा लेटर लिख कर शराबबंदी पर सवाल उठाए हैं। इसके साथ ही बीजेपी ने रविवार को अपना प्रतिनिधिमंडल नालंदा भेजा। इससे पहले संजय जयसवाल ने बेतिया में शराब पीकर मरने वाले के परिवार वालों से मुलाकात कर उन्हें सांत्वना भी दिया था।
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आरजेडी ने भी शराबबंदी को लेकर सरकार पर हमला बोला है। आरजेडी ने इसके लिए बीजेपी और जेडीयू दोनों को जिम्मेवार ठहराया है। आरजेडी प्रवक्ता मुत्युजंय तिवारी ने कहा कि ये सत्ता में बैठकर आपस में ही शराब के नशे में लड़ रहे हैं। बिहार के सत्ताधारी दलों की स्थिति दिख रही है। हम लोग तो पहले से ही कह रहे थे कि खरमास खत्म और खेल शुरू।
गौरतलब है कि ये कोई पहला मामला नहीं है जब बीजेपी-जेडीयू आमने-सामने दिखी हो। इससे पहले सम्राट अशोक के मुद्दे पर भी एनडीए के भीतर कलह देखने को मिली थी। लेखक दया प्रकाश सिन्हा द्वारा सम्राट अशोक की तुलना औरंगजेब से करने को लेकर जेडीयू सड़कों पर उतर आई थी। इसके साथ ही जेडीयू की तरफ से लेखर से पद्म पुरस्कार वापस लिए जाने की मांग भी की गई। दवाब में आई बीजेपी ने दया प्रकाश के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज करा दी। इसके साथ ही बीजेपी ने कहा कि उनका दया प्रकाश से कोई लेना देना नहीं है। वहीं जातिय आधारित जनगणना के मुद्दे पर भी नीतिश कुमार सर्वदलीय बैठक चाहते थे। लेकिन नीतीश की ये मंशा अभी तक पूरी नहीं हो सकी है।
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इसके अलावा जनता दल यूनाइटेड विशेष राज्य का दर्जा का मुद्दा उठाती है। 2020 विधानसभा चुनाव रिजल्ट के बाद जेडीयू राज्य में तीसरे नंबर की पार्टी हो गई। जेडीयू नेताओं को लगता है कि इसके पीछे बीजेपी ने चिराग के साथ मिलकर 'खेल' किया था। बीजेपी को अक्सर उपेंद्र कुशवाहा टारगेट करते हैं।
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