दंगाइयों से अपील, पीड़ितों से नहीं कोई ममता, बंगाल में अब कुछ बड़ा होने वाला है?

Bengal
ANI
अभिनय आकाश । Apr 15 2025 2:50PM

पश्चिम बंगाल सांप्रदायिकता का ऐसा अड्डा है जिसमें राजनीतिक दलों ने अपनी राजनीति को उबालकर रख दिया है। लेकिन एक समुदाय की भीड़ को कई दिनों तक दंगा करने की अनुमति देना प्रशासनिक सुस्ती और राजनीतिक लाइसेंस दोनों को दर्शाता है। इसके बाद हज़ारों पीड़ितों के प्रति घोर उदासीनता भी देखने को मिलती है।

पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में अभी भले ही वक्फ संशोधन अधिनियम को लेकर हिंसा भड़की हो, लेकिन समस्या की जड़ें कहीं पुरानी हैं। हिंसक विरोध-प्रदर्शन राज्य की सियासत का हिस्सा बन चुके हैं, प्रशासनिक मशीनरी बार-बार फेल हो रही है और सरकारी तंत्र पीड़ितों में भरोसा नहीं पैदा कर पा रहा। यह स्थिति चिंताजनक है।  सांप्रदायिक दंगे में मारे जा रहे लोगों या मारे जाने के डर से सैकड़ों लोगों को भागने पर मजबूर किए जाने पर मुख्यमंत्री की चौंकाने वाली चुप्पी हर किसी को हैरान कर रही हैं। पश्चिम बंगाल में यही देखने को मिल रहा है, जहां मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और तृणमूल कांग्रेस के अन्य नेता हमलावरों से अपील कर रहे हैं, जबकि पीड़ितों के बारे में कुछ नहीं सोच रहे हैं। पश्चिम बंगाल सांप्रदायिकता का ऐसा अड्डा है जिसमें राजनीतिक दलों ने अपनी राजनीति को उबालकर रख दिया है। लेकिन एक समुदाय की भीड़ को कई दिनों तक दंगा करने की अनुमति देना प्रशासनिक सुस्ती और राजनीतिक लाइसेंस दोनों को दर्शाता है। इसके बाद हज़ारों पीड़ितों के प्रति घोर उदासीनता भी देखने को मिलती है।

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पश्चिम बंगाल में नए वक्फ कानून के खिलाफ सबसे हिंसक विरोध प्रदर्शन के परिणामस्वरूप मौतें हुईं और लोग अपने घरों से भाग गए। हालांकि केरल, तेलंगाना और उत्तर प्रदेश सहित कई राज्यों में विरोध प्रदर्शन हुए, लेकिन बंगाल की तरह कोई भी राज्य जल नहीं उठा। विरोध प्रदर्शन पहले से ही योजनाबद्ध थे। यह या तो राज्य की खुफिया जानकारी जुटाने की प्रणाली में विफलता को भी दर्शाता है, या यह सांप्रदायिक भीड़ को खुली छूट दे रहा है। वक्फ संशोधन विधेयक, 2025, 4 अप्रैल को पारित किया गया था, और 5 अप्रैल को राष्ट्रपति की मंजूरी मिली। पश्चिम बंगाल में बड़े पैमाने पर हिंसक विरोध प्रदर्शन 11 अप्रैल को शुक्रवार की नमाज के बाद ही शुरू हुए। 

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प्रदर्शनकारियों ने पुलिस के साथ झड़प की, हिंदुओं के घरों और व्यवसायों में आग लगा दी और दुकानों को लूट लिया। पिता-पुत्र की जोड़ी - होरोगोबिंदो और चंदन दास - को मुस्लिम बहुल जिले मुशीदाबाद में मौत के घाट उतार दिया गया, जो दंगों का केंद्र था। भीड़ ने कारीगरों के घर में घुसकर दोनों को बाहर निकाला और उन्हें मौत के घाट उतार दिया, जबकि परिवार की महिलाएं पुरुषों को बचाने के लिए हमलावरों के पैरों पर गिर पड़ीं। मुर्शिदाबाद के सैकड़ों हिंदू, जिनमें ज्यादातर महिलाएं और बच्चे थे, नावों का उपयोग करके अपने घरों से भागकर गंगा पार करके मालदा पहुंचे। वीडियो सामने आए हैं - लोग दावा कर रहे हैं कि पश्चिम बंगाल पुलिस ने हमलावरों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की और मूकदर्शक बनी रही। पुलिस थानों को घंटों फोन करने के बावजूद कोई मदद नहीं मिली और उन्हें लूटपाट करने वाली भीड़ का शिकार बनने के लिए छोड़ दिया गया।

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