सुपरवूमन की तरह काम करती हैं, 5000 पगार मिलती है, Kashmir में Anganwadi Workers के सब्र का बांध टूटा, श्रीनगर की सड़कों पर प्रदर्शन

आंगनवाड़ी कार्यकर्ता केवल बच्चों की देखभाल करने वाली नहीं हैं; वे स्वास्थ्य संकट के दौरान अग्रिम पंक्ति की योद्धा भी हैं। वह टीकाकरण अभियान सफलतापूर्वक चलाने में मदद करती हैं, मेडिकल रिकॉर्ड बनाए रखती हैं और आपात स्थितियों में सहायता करती हैं।
कश्मीर में आंगनवाड़ी कर्मियों ने आज प्रदर्शन कर अपनी सैलरी बढ़ाने की मांग की। आंगनवाड़ी कर्मियों का कहना था कि हमारे से इतना काम कराया जाता है और सिर्फ 5000 रुपए महीना पगार दी जाती है। महिलाओं ने कहा कि इस सैलरी में गुजारा नहीं हो पाता इसलिए सरकार को तुरंत इसमें इजाफा करना चाहिए। हम आपको बता दें कि एकीकृत बाल विकास योजना (ICDS) कार्यक्रम के तहत 1975 में स्थापित, आंगनवाड़ी केंद्रों में काम करने वाली महिलाएं बच्चों के पोषण, शुरुआती शिक्षा, टीकाकरण कार्यक्रमों, सरकारी योजनाओं की जानकारी घर-घर तक पहुँचाने, समय-समय पर सरकार की ओर से किये जाने वाले सर्वे जैसे अभियानों को सफल बनाने में महत्वपूर्ण योगदान देती हैं।
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हम आपको बता दें कि आंगनवाड़ी कार्यकर्ता केवल बच्चों की देखभाल करने वाली नहीं हैं; वे स्वास्थ्य संकट के दौरान अग्रिम पंक्ति की योद्धा भी हैं। वह टीकाकरण अभियान सफलतापूर्वक चलाने में मदद करती हैं, मेडिकल रिकॉर्ड बनाए रखती हैं और आपात स्थितियों में सहायता करती हैं। फिर भी सराहना की बजाय उन्हें लगातार काम का ही दबाव सहते रहना पड़ता है लेकिन अब उनके सब्र का बांध टूट रहा है और वह सड़कों पर सरकार के खिलाफ उतर आई हैं। प्रदर्शनकारी महिलाओं का कहना है कि हमारा पारिश्रमिक मुश्किल से बुनियादी ज़रूरतों को पूरा कर पाता है इसके अलावा उनकी नौकरी में कोई सुरक्षा भी नहीं है। उनका कहना है कि हम सुपरवुमन की तरह काम करती हैं और हमें दिन भर सांस लेने की भी फुर्सत नहीं मिलती लेकिन वेतन बहुत कम है और हमारे काम को ज्यादा मान्यता भी नहीं मिलती।
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