Bihar में राजनीतिक गहमागहमी के बीच विधानसभा अध्यक्ष ने लालू से की मुलाकात

Lalu prasad yadav
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कुशवाहा ने लगभग एक साल पहले अपनी पार्टी बनाने के लिए जद (यू) छोड़ दी थी।मांझी अपने हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा को जद (यू) में विलय करने के नीतीश के दबाव से बचने के लिए राजग में शामिल हो गए थे।

बिहार में जारी राजनीतिक गहमागहमी के बीच विधानसभा अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी ने रविवार को राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के अध्यक्ष लालू प्रसाद से मुलाकात की। चौधरी ने पार्टी सुप्रीमो से उनकी पत्नी और पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के आधिकारिक आवास पर मुलाकात की। चौधरी एक राजद विधायक भी हैं।

इस मुलाकात के दौरान लालू प्रसाद के बड़े बेटे और मंत्री तेज प्रताप यादव भी मौजूद थे। तेज प्रताप एक अलग घर में रहते हैं। मुलाकात के बाद चौधरी ने संवाददाताओं से कहा, मैं नए साल की पूर्व संध्या पर लालू जी को शुभकामनाएं देने के लिए गया था। इसमें कुछ भी राजनीतिक नहीं था।

यह घटनाक्रम मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा अपने विश्वासपात्र माने जाने वाले सहयोगी राजीव रंजन सिंह ललन के इस्तीफे के बाद अपनी पार्टी जद (यू) के राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में कार्यभार संभालने के बाद हुआ। ऐसी अटकलें लगायी जा रही थीं कि ललन और लालू की नजदीकीयां से जदयू के शीर्ष नेता नीतीश असहज हो गए थे।

हालांकि, इस तरह की अटकलों को दूर करने के उद्देश्य से, नीतीश और ललन शुक्रवार की रात दिल्ली से लौटने पर साथ दिखे थे जहां जद (यू) कार्यकर्ताओं ने उनका जोरदार स्वागत किया था।

ललन ने उन मीडिया संगठनों पर मुकदमा करने की भी धमकी दी है, जिन्होंने यह खबर चलाई थी कि उन्होंने नीतीश को पद से हटाने की साजिश रचने के लिए राजद के इशारे पर यहां जदयू विधायकों की बैठक की थी।

खबर में कहा गया था कि इस कथित योजना का उद्देश्य राजद सुप्रीमो के छोटे बेटे और उनके राजनीतिक उत्तराधिकारी माने जाने वाले उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को आगे बढ़ाना था।

दिलचस्प बात यह है कि नीतीश कुमार ने कई अवसरों पर युवा राजद नेता तेजस्वी को आगे बढाने का इरादा व्यक्त करते हुए यह स्पष्ट कर चुके हैं कि 2025 में अगले विधानसभा चुनाव में युवा राजद नेता सत्तारूढ़ महागठबंधन का नेतृत्व करेंगे।

इस बीच नीतीश कुमार अपने पुराने सहयोगी शिवानंद तिवारी से मिलने के लिए यहां एक निजी अस्पताल में भी गए। तिवारी अभी लालू की पार्टी राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं। ललन ने अपने लोकसभा क्षेत्र मुंगेर में एक सार्वजनिक सभा में कहा, भाजपा समर्थित मीडिया की अफवाहों से प्रभावित न हों।

उन्होंने दावा किया, नीतीश कुमार और लालू प्रसाद के बीच कोई अविश्वास नहीं है। लोकसभा चुनाव में महागठबंधन भाजपा को करारी शिकस्त देने जा रहा है। जदयू के पूर्व अध्यक्ष ललन ने पद छोड़ने के बाद एक समाचार चैनल से कहा था कि लोकसभा चुनाव से पहले अपने निर्वाचन क्षेत्र में व्यस्तता के कारण वह पार्टी का पद छोड़ने की उनकी खुद की इच्छा थी।

ललन ने इन अटकलों को भी खारिज कर दिया कि नीतीश कुमार ने भाजपा के नेतृत्व वाले राजग के प्रति अपना रुख नरम कर लिया है। उन्होंने जद (यू) की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में अपनाए गए राजनीतिक प्रस्ताव की ओर भी इशारा किया जिसमें सांसदों और आरोपियों के सामूहिक निलंबन के लिए नरेन्द्र मोदी सरकार की आलोचना की गई थी और इसे देश को संविधान के स्थान पर मनुस्मृति के अनुसार चलाने की कोशिश बताया गया था।

इस बीच, बिहार में मौजूदा घटनाक्रम को लेकर राजग खेमे में असमंजस की स्थिति बनी हुई है। भाजपा के सहयोगी उपेन्द्र कुशवाहा और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने दावा किया कि मुख्यमंत्री को अपने पुराने कट्टर प्रतिद्वंद्वी रहे लालू से हाथ मिलाने का पछतावा हो रहा है।

कुशवाहा ने लगभग एक साल पहले अपनी पार्टी बनाने के लिए जद (यू) छोड़ दी थी।मांझी अपने हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा को जद (यू) में विलय करने के नीतीश के दबाव से बचने के लिए राजग में शामिल हो गए थे।

मांझी ने जहां दावा किया कि नीतीश कुमार कई भाजपा नेताओं के संपर्क में हैं , वहीं कुशवाहा का मानना है कि अगर जद (यू) सुप्रीमो वापसी की इच्छा रखते हैं, तो भी उन्हें दोबारा प्रवेश नहीं मिलेगा क्योंकि उनका जनाधार खत्म हो चुका है।

केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह और प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी जैसे भाजपा नेताओं का कहना है कि आंतरिक कलह के कारण बिहार की महागठबंधन सरकार किसी भी समय गिर सकती है, पर अब भाजपा नीतीश के साथ एक और गठबंधन नहीं करेगी। उन्होंने दावा किया कि राज्य में जब भी विधानसभा चुनाव होंगे, भाजपा अब अपने दम पर बहुमत हासिल करने की स्थिति में है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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