हिंदी पर छिड़ी बहस के बीच मोहन भागवत बोले- भारत में अनेक भाषाएं, पर सभी के भाव एक ही है
अहमदाबाद में एक कार्यक्रम में मोहन भागवत ने कहा कि अनेक भाषाएं, पंथ, संप्रदाय, खानपान, रीति-रिवाज, रहन-सहन हैं लेकिन भारत सनातन काल से भारत के नाते एक ही है, वो किसी के तोड़ने से नहीं टूटेगा।
देश में हिंदी को लेकर समय-समय पर बहस छिड़ जाती है। हाल में ही अमित शाह ने हिंदी को लेकर कुछ ऐसे बयान दिए थे जिसके बाद से कांग्रेस और दक्षित के नेताओं की ओर से उसका विरोध किया गया था। इस सब के बीच राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने बड़ा बयान दिया है। मोहन भागवत ने साफ तौर पर कहा कि भारत में अनेक भाषाएं हैं, भाषा अलग-अलग है तो क्या हुआ भाव तो एक ही है, भारतवर्ष की एकात्मता इस भाव में है। दुनिया में जैसे जगन्नाथ पुरी के जगन्नाथ जी जैसे दूसरे नहीं हैं, वैसे ही भारत जैसा दूसरा नहीं है।
अहमदाबाद में एक कार्यक्रम में मोहन भागवत ने कहा कि अनेक भाषाएं, पंथ, संप्रदाय, खानपान, रीति-रिवाज, रहन-सहन हैं लेकिन भारत सनातन काल से भारत के नाते एक ही है, वो किसी के तोड़ने से नहीं टूटेगा। मोहन भागवत ने कहा कि ऐसा दावा किया जाता है कि बोलियों सहित लगभग 3800 भाषाएं भारत में हैं। लेकिन भले ही भाषाएं अलग अलग हो लेकिन सभी के भाव एक ही हैं। यह भारत की एकजुटता है। उन्होंने कहा कि भारत जैसा कोई दूसरा देश नहीं है। दुनिया भर के लोग समझते हैं कि एकजुट रहने के लिए एक जैसा होना चाहिए जबकि भारत प्राचीन काल से यह मानता है कि एकजुट होने के लिए समान रहने की कोई आवश्यकता नहीं है।अनेक भाषाएं, पंथ, संप्रदाय, खानपान, रीति-रिवाज, रहन-सहन हैं लेकिन भारत सनातन काल से भारत के नाते एक ही है, वो किसी के तोड़ने से नहीं टूटेगा: अहमदाबाद में एक कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत (21.4.22) pic.twitter.com/ugyIEfOiYi
— ANI_HindiNews (@AHindinews) April 21, 2022
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भाषाओं पर भागवत की टिप्पणी इन आरोपों के बीच आई है कि देश में गैर-हिंदी भाषी राज्यों पर हिंदी थोपने की कोशिश की जा रही है। आरएसएस प्रमुख, संस्कृत में पुस्तकों के लिए गुजरात साहित्य अकादमी द्वारा शुरू किये गये पुरस्कार प्रदान करने और उड़िया पुस्तक ‘अनन्य जगन्नाथ अनुभूतिमा’ के गुजराती अनुवाद का विमोचन करने यहां आये थे। उन्होंने कहा कि हम कहते रहे हैं कि विविधता में एकता है, लेकिन हम सभी को कुछ और शब्दों का उपयोग करना होगा और कहना होगा, ‘एकता की विविधता’।
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