Navratri: योगी सरकार के धार्मिक आयोजन के फैसले पर अखिलेश का तंज, बोले- 1 लाख नहीं 10 करोड़ दें...
अपने ट्वीट में अखिलेश यादव ने लिखा कि रामनवमी मनाने के लिए उप्र के ज़िलाधिकारियों को 1 लाख रुपये दिये जाने के प्रस्ताव का स्वागत है पर इतनी कम रक़म से होगा क्या, कम से कम 10 करोड़ देने चाहिए जिससे सभी धर्मों के त्योहारों को मनाया जा सके।
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने चैत नवरात्रि और रामनवमी त्योहार को लेकर बड़ा फैसला लिया है। सरकार की ओर से स्थानीय प्रशासन को पूरे राज्य में मंदिरों में दुर्गा सप्तशती और अखंड रामायण पाठ सहित विशेष धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित करने को कहा गया है। आपको बता दें कि इस बार चैत्र नवरात्रि 22 मार्च से शुरू हो रहे हैं जबकि रामनवमी 30 मार्च को मनाई जाएगी। धार्मिक कार्यों के आयोजन के लिए सभी जिलाधिकारियों को 1 लाख की राशि भी उपलब्ध कराई जाएगी। अब इसी को लेकर समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने योगी सरकार पर तंज कसा है। उन्होंने अपने ट्वीट के जरिए तंज बारे में लहजे में कहा कि एक लाख क्यों, 10 करोड़ देना चाहिए।
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अपने ट्वीट में अखिलेश यादव ने लिखा कि रामनवमी मनाने के लिए उप्र के ज़िलाधिकारियों को 1 लाख रुपये दिये जाने के प्रस्ताव का स्वागत है पर इतनी कम रक़म से होगा क्या, कम से कम 10 करोड़ देने चाहिए जिससे सभी धर्मों के त्योहारों को मनाया जा सके। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार त्योहारों पर फ़्री सिलेंडर दे और इसकी शुरूआत इसी रामनवमी से हो। दूसरी ओर राज्य के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने इस कदम का स्वागत किया है। संस्कृति विभाग के प्रधान सचिव मुकेश मेश्राम ने 10 मार्च को एक आदेश जारी किया है। आदेश में कहा गया है कि चैत्र नवरात्रि का विशेष महत्व है। इस दौरान नकारात्मक ऊर्जा को समाप्त करने के लिए देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। इसलिए इस दौरान धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के आयोजन का प्रस्ताव है।
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यह निर्देश सभी जिलाधिकारियों और मंडलायुक्तों को भेजे गए हैं। इन वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने स्थानीय प्रशासन से महिलाओं और लड़कियों की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए एक विशेष अभियान के तहत मंदिरों और ‘शक्तिपीठों’ में दुर्गा सप्तशती, देवी गान और देवी जागरण आयोजित करने को कहा है। आदेश में कहा गया है कि अष्टमी और रामनवमी (29 और 30 मार्च) को प्रमुख मंदिरों और ‘शक्तिपीठों’ में अखंड रामायण पाठ का आयोजन किया जाए ताकि मानवीय, सामाजिक और राष्ट्रीय मूल्यों का प्रसार किया जा सके। इसके लिए प्रत्येक ब्लॉक, तहसील और जिले में एक आयोजन समिति गठित की जाए।
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