Yogi के बयान पर अखिलेश का पलटवार, पूछा- आपके खिलाफ कितने मामले वापस लिए गए?
यादव ने प्रयागराज में उमेश पाल, माफिया-राजनीतिज्ञ अतीक अहमद और उनके भाई अशरफ की हालिया हत्याओं पर राज्य सरकार को घेरने की कोशिश की, इन घटनाओं के लिए "कौन जिम्मेदार है।"
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने मंगलवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर 2017 से पहले की सरकारों पर "दंगे कराने" का आरोप लगाने पर पलटवार किया और कहा कि उन्हें बताना चाहिए कि उनके खिलाफ लंबित कितने मामले उनके अपने प्रशासन द्वारा "वापस" लिए गए। अगले महीने होने वाले शहरी निकाय चुनावों से पहले लखनऊ में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए, उन्होंने नगर निकायों में "भ्रष्टाचार", विकास की कथित कमी, जलभराव, अतिक्रमण और अन्य नागरिक समस्याओं को लेकर भाजपा पर तीखा हमला किया। यादव ने प्रयागराज में उमेश पाल, माफिया-राजनीतिज्ञ अतीक अहमद और उनके भाई अशरफ की हालिया हत्याओं पर राज्य सरकार को घेरने की कोशिश की, इन घटनाओं के लिए "कौन जिम्मेदार है।"
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अखिलेश ने मतदाताओं से अपील की पुस्तिका जारी करते हुए मनरेगा की तर्ज पर शहरी रोजगार गारंटी योजना जैसे वादों की झड़ी लगाते हुए समाजवादी कैंटीन और किराना स्टोर, योग केंद्र खोलने और गौशालाओं को आत्मनिर्भर बनाने का काम किया। उन्होंने शहरी क्षेत्रों में अच्छे कार्यों को पुरस्कृत करने के लिए 'नगर भारती सम्मान' देने का भी वादा किया। उन्होंने कहा कि सबसे लंबे समय तक इन शहरों में भाजपा के महापौर रहे हैं। उदाहरण के लिए सबसे ज्यादा लखनऊ, कानपुर, वाराणसी, आगरा में उन्हीं के महापौर रहे। उन्होंने कहा कि सरकार कह रही है कि ट्रिपल इंजन चाहिए, ट्रिपल इंजन तो बहुत दिनों से चल रहा है लेकिन भाजपा स्मार्ट सिटी तो नहीं बना सकी, नालियां खुली पड़ी है, गंदगी है, सड़कों पर गड्ढे हैं, गलियों में दुर्दशा है और इन सबके लिए भाजपा सरकार जिम्मेदार है।
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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा सोमवार को सहारनपुर में निकाय चुनाव प्रचार की शुरुआत करते हुए ‘यूपी में नो दंगा, यूपी में सब ओर चंगा’ और ‘माफिया हो गये अतीत’ जैसे नारे दिये जाने के सवाल पर अखिलेश यादव ने कहा, ‘‘वह एक अलग सोच वाली पार्टी है, कुछ जगह तो वह दूरी बनाने वाली पार्टी दिखी -जहां लोगों ने खुद उससे किनारा कर लिया।’’ सपा प्रमुख ने कहा, ‘‘फिर इसके साथ उन्हें (योगी आदित्यनाथ) यह भी बताना चाहिए था कि कितने मुकदमे उन पर थे जो वापस लिए। कहीं ऐसे मुकदमे तो नहीं थे जो दंगे के मुकदमे थे।’’
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