अवैध खनन मामले में सीबीआई जांच का सामना कर सकते हैं अखिलेश
इससे उनकी भूमिका जांच के दायरे में आ जाती है। उनके बाद 2013 में गायत्री प्रजापति खनन मंत्री बने थे और चित्रकूट में एक महिला द्वारा बलात्कार की शिकायत के बाद 2017 में उन्हें गिरफ्तार किया गया था।
नयी दिल्ली। उत्तर प्रदेश में अवैध रेत खनन के एक मामले में राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव सीबीआई जांच का सामना कर सकते हैं। दरअसल, जांच एजेंसी ने शनिवार को इस सिलसिले में एक प्राथमिकी सार्वजनिक की है। यह घटनाक्रम ऐसे वक्त हुआ है, जब एक समय में चिर प्रतिद्वंद्वी रही सपा और बसपा ने 2019 के लोकसभा चुनावों में सत्तारूढ़ भाजपा का मुकाबला करने के लिए आपस में हाथ मिलाने के संकेत दिए हैं।
BREAKING : CBI to investigate all those ministers in the Uttar Pradesh Government from 2011 - 2013 under whom the Illegal Mining Scam happened.
— Harshit Tiwari 🇮🇳 (@kallgorr) January 5, 2019
From 2012 to 2013 Akhilesh Yadav was the Mining Minister of Uttar Pradesh. He will also be investigated. #NamoEmpowersMiddleClass pic.twitter.com/jsPVACjvgk
सीबीआई हमीरपुर जिले में 2012-16 के दौरान अवैध रेत खनन मामले की जांच कर रही है। मामले में 11 लोगों के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी के संबंध में शनिवार को 14 स्थानों पर तलाशी ली गयी। इन 11 लोगों में आईएएस अधिकारी बी चंद्रकला, सपा के विधान पार्षद रमेश कुमार मिश्रा और संजय दीक्षित भी हैं। संजय दीक्षित 2017 का विधानसभा चुनाव बसपा के टिकट पर लड़े थे, लेकिन उन्हें कामयाबी नहीं मिली थी।
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बी चंद्रकला 2008 बैच की आईएएस अधिकारी हैं। वह अपने कथित भ्रष्टाचार रोधी अभियान को लेकर सोशल मीडिया पर चर्चित रही हैं। प्राथमिकी में कहा गया है, ‘‘मामले की छानबीन के दौरान संबंधित अवधि में तत्कालीन खनन मंत्री की भूमिका की भी जांच हो सकती है।’’ प्राथमिकी के मुताबिक 2012 से 2017 के बीच मुख्यमंत्री रहे अखिलेश यादव के पास 2012-2013 के बीच खनन विभाग का अतिरिक्त प्रभार था। इससे उनकी भूमिका जांच के दायरे में आ जाती है। उनके बाद 2013 में गायत्री प्रजापति खनन मंत्री बने थे और चित्रकूट में एक महिला द्वारा बलात्कार की शिकायत के बाद 2017 में उन्हें गिरफ्तार किया गया था।
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