Prabhasakshi NewsRoom: Ajit Doval ने Wang Yi को कड़े शब्दों में कह डाला- China पर हमारा भरोसा खत्म हो गया है

Ajit Doval Wang Yi
Twitter

हम आपको बता दें कि पूर्व विदेश मंत्री वांग चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की केंद्रीय समिति में विदेश मामलों के आयोग कार्यालय के निदेशक हैं। डोभाल और उनकी मुलाकात इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता में विदेश मंत्री एस जयशंकर और वांग के बीच बैठक के कुछ दिन बाद हुई।

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजित डोभाल अपनी स्पष्टवादिता के लिए जाने जाते हैं और खासतौर पर भारत के दुश्मन देशों से कैसे निबटना है, यह उन्हें अच्छी तरह से पता है। दक्षिण अफ्रीका के जोहानिसबर्ग में जब डोभाल ने चीन के शीर्ष राजनयिक वांग यी से मुलाकात के दौरान द्विपक्षीय संबंधों पर चर्चा की तो उन्होंने साथ ही खरी-खरी भी सुना दी। इस दौरान डोभाल ने चीन को साफ कर दिया कि जब तक सीमा क्षेत्र में शांति कायम नहीं होगी, तब तक द्विपक्षीय संबंध सामान्य नहीं हो सकते। अजित डोभाल ने साफ और कड़े शब्दों में यह भी कहा कि चीन पर हमारा भरोसा खत्म होता जा रहा है।

हम आपको बता दें कि डोभाल और वांग की मुलाकात जोहानिसबर्ग में ‘फ्रेंड्स ऑफ ब्रिक्स’ की बैठक के इतर हुई। चीन की सरकारी समाचार एजेंसी ‘शिन्हुआ’ के मुताबिक, डोभाल से मुलाकात में वांग ने कहा कि दोनों देशों को आपसी रणनीतिक विश्वास बढ़ाना चाहिए, आम सहमति एवं सहयोग पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, बाधाओं को दूर करना चाहिए और द्विपक्षीय संबंधों को जल्द से जल्द मजबूत तथा स्थिर विकास के रास्ते पर ले जाना चाहिए। ‘शिन्हुआ’ के अनुसार, वांग ने जोर देकर कहा कि चीन कभी आधिपत्य स्थापित करने का प्रयास नहीं करेगा और वह बहुपक्षवाद एवं अंतरराष्ट्रीय संबंधों के लोकतंत्रीकरण का समर्थन करने तथा अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था के अधिक न्यायसंगत विकास को बढ़ावा देने के लिए भारत सहित अन्य विकासशील देशों के साथ काम करने को तैयार है।

इसे भी पढ़ें: 'भारत में खतरे में नहीं है कोई भी धर्म', अजीत डोभाल बोले- भारत कई दशकों से आतंकवाद का शिकार

हम आपको बता दें कि पूर्व विदेश मंत्री वांग चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की केंद्रीय समिति में विदेश मामलों के आयोग कार्यालय के निदेशक हैं। डोभाल और उनकी मुलाकात इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता में विदेश मंत्री एस जयशंकर और वांग के बीच बैठक के कुछ दिन बाद हुई। जयशंकर और वांग ने भी सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति और अमन-चैन से संबंधित लंबित मुद्दों पर चर्चा की थी। उल्लेखनीय है कि भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में पिछले तीन साल से सैन्य गतिरोध जारी है। 

इससे पहले, डोभाल ने ‘फ्रेंड्स ऑफ ब्रिक्स’ की बैठक में साइबर सुरक्षा से उत्पन्न चुनौतियों से निपटने के लिए सामूहिक प्रयास का आह्वान किया। डोभाल ने अपने संबोधन में रेखांकित किया कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता, बिग डाटा (जटिल आंकड़े) और ‘इंटरनेट ऑफ थिंग्स’ जैसी हानिकाकरक प्रौद्योगिकियों की वजह से साइबर सुरक्षा के खतरे की गंभीरता बहुत अधिक बढ़ जाएगी। अधिकारियों ने बताया कि डोभाल ने वित्तपोषण, धनशोधन, कट्टरपंथी बनाने, ‘लोन वुल्फ’ हमला, (आंतकवादियों की) भर्ती और सुरक्षित संचार सहित अन्य अपराधों में साइबर अपराधियों और आतंकवादियों के संबंधों को भी रेखांकित किया।

डोभाल ने रेखांकित किया कि विशेष तौर पर युवा आबादी में सोशल मीडिया के जरिये चरमपंथी विचारधारा का प्रसार होने की आशंका है क्योंकि उन्हें प्रौद्योगिकी की जानकारी होती है और उनका दिमाग आसानी से प्रभावित होने वाला होता है। अधिकारियों ने बताया कि बैठक में साइबर सुरक्षा पर विस्तृत चर्चा की गई। उन्होंने कहा कि एनएसए ने साइबर सुरक्षा को लेकर उत्पन्न चुनौतियों का मिलकर मुकाबला करने की जरूरत पर जोर दिया। डोभाल के अलावा दक्षिण अफ्रीका के प्रेसिडेंसी में मंत्री एवं देश की सुरक्षा एजेंसी के लिए जिम्मेदार खुम्बुद्जो नत्शावेनी, रूस के निकोलाई पत्रुशेव और चीन के वांग यी भी मौजूद थे। बैठक में बेलारूस, बुरुंडी, ईरान, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई), सऊदी अरब, मिस्र, कजाकिस्तान और क्यूबा के भी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार मौजूद थे। अधिकारियों ने बताया कि भारत हमेशा ‘ग्लोबल साउथ’ (दुनिया के अल्प विकसित और विकासशील देश) के साथ मिलकर काम करेगा जिसे सीमित संसाधनों की चुनौती से पार पाना है। एनएसए ने ब्रिक्स देशों और ब्रिक्स के मित्र देशों के कई समकक्षों से भी द्विपक्षीय वार्ता की।

इसके अलावा, एनएसए अजित डोभाल ने ब्रिक्स और ‘फ्रेंड्स ऑफ ब्रिक्स’ समूह के देशों के अपने समकक्षों के साथ कई द्विपक्षीय चर्चाएं भी कीं। हम आपको बता दें कि दक्षिण अफ्रीका अगले महीने ब्रिक्स शिखर सम्मेलन की मेजबानी करने जा रहा है। ब्रिक्स में ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका सदस्य हैं।

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़