नई दिल्ली विधानसभा सीट पर फंस गए हैं केजरीवाल, राहुल गांधी ने मदद से किया इनकार

Rahul Kejriwal
ANI
संतोष पाठक । Jan 15 2025 12:51PM

कांग्रेस के इस स्टैंड ने अरविंद केजरीवाल की विधायकी पर भी तलवार लटका दिया है। केजरीवाल को अब यह डर सताने लगा है कि अब वह अपनी विधानसभा सीट 'नई दिल्ली' से भी चुनाव हार सकते हैं। केजरीवाल के इस डर के पीछे ठोस कारण है।

आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल भले ही एक बार फिर से दिल्ली का मुख्यमंत्री बनने के लिए चुनाव लड़ रहे हो लेकिन इस बार वह बुरी तरह से फंसते नजर आ रहे हैं। कांग्रेस के मजबूती से दिल्ली में विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारियों ने तो आम आदमी पार्टी सरकार की वापसी पर प्रश्नचिन्ह लगा ही दिया है लेकिन इस त्रिकोणीय लड़ाई में केजरीवाल की अपनी सीट भी फंसती हुई नजर आ रही है।

अरविंद केजरीवाल इस बात को काफी पहले ही समझ गए थे, इसलिए वह लगातार इंडिया गठबंधन की एकता की बात उठाने लग गए थे। यहां तक कि केजरीवाल ने डीएमके सुप्रीमो एवं तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन, शरद पवार, अखिलेश यादव और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी सहित कई नेताओं से राहुल गांधी को समझाने की गुहार भी लगाई। लेकिन अरविंद केजरीवाल की असलियत से वाकिफ राहुल गांधी ने यह साफ कर दिया कि कांग्रेस पार्टी दिल्ली में अपने आप को मजबूत करने के लिए चुनाव लड़ेगी। सीलमपुर की अपनी पहली चुनावी रैली में राहुल गांधी ने जिस अंदाज में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ-साथ आप मुखिया अरविंद केजरीवाल, पर भी जमकर निशाना साधा,उससे यह साफ हो गया कि राहुल गांधी अपनी पार्टी को समाप्त कर केजरीवाल की मदद कतई नहीं करेंगे। 

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कांग्रेस के इस स्टैंड ने अरविंद केजरीवाल की विधायकी पर भी तलवार लटका दिया है। केजरीवाल को अब यह डर सताने लगा है कि अब वह अपनी विधानसभा सीट 'नई दिल्ली' से भी चुनाव हार सकते हैं। केजरीवाल के इस डर के पीछे ठोस कारण है। अरविंद केजरीवाल वर्ष 2013 के अपने पहले विधानसभा चुनाव में दिल्ली की तत्कालीन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को नई दिल्ली विधानसभा सीट से चुनाव हराकर, पहले विधायक बने थे और फिर कांग्रेस के ही 8 विधायकों के समर्थन से पहली बार दिल्ली के मुख्यमंत्री बने थे। बताया तो यहां तक जाता है कि 2013 में शीला दीक्षित को चुनाव हराने के लिए कांग्रेस के कई नेताओं ने भी अरविंद केजरीवाल की मदद की थी। लेकिन दिल्ली में पार्टी को फिर से मजबूत बनाने के मिशन में जुटे राहुल गांधी ने इस बार नई दिल्ली विधानसभा सीट से केजरीवाल के खिलाफ स्वर्गीय शीला दीक्षित के बेटे और पूर्व सांसद संदीप दीक्षित को उतार कर लड़ाई को त्रिकोणीय और दिलचस्प बना दिया है। 

अगर आप 2020 के विधानसभा चुनाव में अरविंद केजरीवाल को मिले वोटों की तुलना 2015 के विधानसभा चुनाव से करेंगे तो आपको यह समझ आ जाएगा कि केजरीवाल को अपनी ही विधानसभा सीट पर डर क्यों लग रहा है ? वर्ष 2015 में हुए विधानसभा चुनाव में आप मुखिया अरविंद केजरीवाल को 57,213 वोट मिले थे। लेकिन वर्ष 2020 में हुए विधानसभा चुनाव में दिल्ली के मुख्यमंत्री होने और कुल मतदाताओं की संख्या में बढ़ोतरी होने के बावजूद केजरीवाल को मिले वोटों में भयानक गिरावट आ गई थी। 2015 के चुनाव में जिन केजरीवाल को 57,213 वोट मिले थे, उन्ही केजरीवाल को 2020 के चुनाव में 46,758 वोट ही मिल पाए थे। पिछली बार यानी 2020 के विधानसभा चुनाव में केजरीवाल की जीत का अंतर 21,697 था लेकिन उस चुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवार को सिर्फ 3,220 मत ही मिल पाए थे। इस बार शीला दीक्षित के बेटे संदीप दीक्षित कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ रहे हैं और अगर वह आखिर तक पूरी मजबूती के साथ चुनाव लड़ पाते हैं तो फिर केजरीवाल के लिए मुसीबतें खड़ी हो जाएगी। क्योंकि इस बार दिल्ली के एक और पूर्व मुख्यमंत्री के बेटे प्रवेश वर्मा भी नई दिल्ली से चुनाव लड़ रहे हैं। भाजपा उम्मीदवार के तौर पर प्रवेश वर्मा और कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर संदीप दीक्षित के मजबूती से चुनाव लड़ने की वजह से वोटों का बिखराव होगा,जिसका सीधा-सीधा नुकसान अरविंद केजरीवाल को ही होगा। इसलिए आम आदमी पार्टी के तमाम नेता और स्वयं अरविंद केजरीवाल भी अंदर से डरे हुए हैं।

-संतोष पाठक

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।)

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