Hindu पक्ष के वार्ता के आग्रह पर Muslim पक्ष करेगा विचार, Gyanvapi Case को कोर्ट से बाहर सुलझाने की तैयारी

Gyanvapi Case
Prabhasakshi

हम आपको याद दिला दें कि हाल ही में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि ज्ञानवापी को मस्जिद कहने से विवाद होगा। उन्होंने कहा कि जिसके पास भी दृष्टि है वह देख सकता है कि वहां क्या था।

वाराणसी के ज्ञानवापी मामले पर पूरे देश की नजरें लगी हुई हैं क्योंकि एएसआई का जो सर्वे चल रहा है उससे क्या सच सामने आता है इसका सभी को इंतजार है। इस बीच, इस बात के प्रयास भी शुरू हो गये हैं कि इस मुद्दे को अदालत से बाहर सुलझा लिया जाये। देखा जाये तो यह प्रयास अच्छा है लेकिन सवाल यह है कि हर मामले में बढ़ती राजनीतिक दखलंदाजी के चलते क्या आम सहमति से कोई निर्णय निकल पायेगा? वैसे दोनों समुदाय यदि मिलकर कोई हल निकाल लें तो इससे साम्प्रदायिक सौहार्द्र तो बढ़ेगा ही साथ ही एक बढ़िया मिसाल भी कायम होगी।

हम आपको याद दिला दें कि हाल ही में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि ज्ञानवापी को मस्जिद कहने से विवाद होगा। उन्होंने कहा कि जिसके पास भी दृष्टि है वह देख सकता है कि वहां क्या था। योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि अगर वहां मंदिर नहीं है तो त्रिशूल कहां से आ गया। योगी ने एएनआई की स्मिता प्रकाश के साथ एक पॉडकास्ट में कहा था कि मंदिर की दीवारें चीख चीख कर जो कह रही हैं उसे सुना जाना चाहिए। योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि मुझे लगता है कि मुस्लिम समाज की ओर से ही प्रस्ताव आना चाहिए कि जो ऐतिहासिक गलती हुई है उसे सुधारा जाये।

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मुख्यमंत्री के इस बयान के बाद हिंदू पक्ष ने मुस्लिम पक्ष से बातचीत के जरिये इस मुद्दे को सुलझाने की अपील की। खास बात यह है कि मुस्लिम पक्ष ने भी अदालत के बाहर बातचीत से झगड़ा खत्म करने के प्रस्ताव पर विचार करने का भरोसा दिया है। बताया जा रहा है हिंदू पक्ष वैदिक सनातन संघ के प्रस्ताव को अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी की मीटिंग में रखा जाएगा जहां इस पर फैसला होगा। हम आपको बता दें कि ज्ञानवापी परिसर की देखरेख करने का जिम्मा अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी के पास है। इस कमेटी के जनरल सेक्रेटरी और शहर मुफ्ती अब्दुल बातिन नोमानी ने मीडिया को बताया कि हमें उनका प्रस्ताव मिला है। जब भी कमेटी की अगली बैठक होगी तब हम उसमें यह प्रस्ताव रखेंगे। उन्होंने कहा कि अभी बैठक के लिए कोई तारीख तय नहीं हुई है। 

हम आपको बता दें कि वैदिक सनातन संघ के संस्थापक जीतेन्द्र सिंह बिसेन, संतोष कुमार सिंह और राखी सिंह की ओर से यह प्रस्ताव दिया गया है। इन्हीं लोगों की ओर से वाराणसी जिला अदालत से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक ज्ञानवापी मामले में कई केस दाखिल किये गये हैं। राखी सिंह ने ही ज्ञानवापी परिसर में श्रृंगार गौरी की नियमित पूजा की भी मांग की है। 

इस बीच, हिंदू पक्ष के वकील विष्णु कुमार जैन ने कहा है कि यदि अदालत के बाहर यह मामला सुलझता है तो अच्छी बात है। उन्होंने कहा कि जो प्रस्ताव दिया गया है उस पर मसाजिद कमेटी के निर्णय का उन्हें भी इंतजार रहेगा। उन्होंने कहा कि वैसे हम अदालत में अपना पक्ष रख ही रहे हैं और हमें न्याय मिलेगा।

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