अयोध्या में पंचकोसी परिक्रमा में उमड़ा भक्तों का सैलाब, पूरी अयोध्या में सुरक्षा कड़ी

Ayodhya
ANI
अजय कुमार । Nov 12 2024 12:04PM

प्रभु राम के विराजमान होने के बाद पहली बार पंचकोशी की परिक्रमा हो रही है, जिसमें लाखों भक्त शामिल हो रहे हैं। इस पवित्र परिक्रमा का उद्देश्य केवल धार्मिक आस्था का पालन करना ही नहीं है, बल्कि इसे पुण्य और मुक्ति का रास्ता भी माना जाता है।

लखनऊ। राम नगरी अयोध्या में 11 नवम्बर को पंचकोसी परिक्रमा में अवध सहित कई प्रांतों के श्रद्धालु अयोध्या पहुंचे हैं। भगवान राम और उनकी नगरी के प्रति अगाध आस्था ऐसे लाखों लोगों को एक सतह पर खड़ा करती है, इसको पुष्टि परिक्रमा में उमड हर वर्ग के भक्तों से होती दिखी। कार्तिक माह का पवित्र समय चल रहा है और इस माह में अयोध्या में पंचकोशी की परिक्रमा हर साल होती है और इस परिक्रमा में लाखों श्रद्धालु अयोध्या धाम की सांस्कृतिक सीमा की परिक्रमा करते हैं। यह परिक्रमा लगभग 10 से 15 किलोमीटर तक होती है, जिसमें श्रद्धालु एक-एक पग बढ़ाते हुए जय श्री राम का उद्घोष करते हुए परिक्रमा करते हैं।

खास बात यह है कि इस वर्ष, प्रभु राम के विराजमान होने के बाद पहली बार पंचकोशी की परिक्रमा हो रही है, जिसमें लाखों भक्त शामिल हो रहे हैं। इस पवित्र परिक्रमा का उद्देश्य केवल धार्मिक आस्था का पालन करना ही नहीं है, बल्कि इसे पुण्य और मुक्ति का रास्ता भी माना जाता है। अयोध्या में पंचकोशी की परिक्रमा करने से भक्तों को समस्त पापों से मुक्ति मिलती है और यह एक दिव्य अनुभव के रूप में देखा जाता है।

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पिछले वर्ष जहां 25 लाख श्रद्धालुओं ने पंचकोसी परिक्रमा में हिस्सा लिया था, वहीं इस वर्ष अनुमान है कि लगभग 30 लाख से ज्यादा भक्त अयोध्या में पहुंचेंगे. प्रशासन ने इस ऐतिहासिक और पवित्र घटना को लेकर पूरी तैयारियां कर ली हैं, ताकि श्रद्धालुओं को किसी भी प्रकार की कोई कठिनाई न हो। अयोध्या के ज्योतिष पंडित कल्कि राम के अनुसार, कार्तिक माह में होने वाली पंचकोशी की परिक्रमा 11 नवंबर से प्रारंभ हो गई है, 11 नवम्बर दोपहर 1.54 बजे पंचकोसी परिक्रमा का शुभ मुहूर्त था, लेकिन भद्रा के कारण यह परिक्रमा दोपहर 2.45 बजे से शुरू हुई और इसका समापन 12 नवंबर को सुबह 11.38 बजे होगा। इस दौरान ही लाखों श्रद्धालु पंचकोशी की परिक्रमा करेंगे। 

परिक्रमा को लेकर बच्चे, बूढ़े और जवान... सबमें राम के प्रति आस्था ललक रही थी। पांच साल के बच्चे से लेकर 80 साल के वृद्ध तक परिक्रमा पथ को नापते नजर आए तो 42 किमी की परिधि में आस्था की इंद्रधनुषी छटा बिखेरती दिखी। हर किसी में राम नाम का मोती लूटने की होड़ दिखी।

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