उत्तर प्रदेश के 12 जिलों के 331 गांव बाढ से प्रभावित, सरकार ने कहा- स्थिति नियंत्रण में
उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विशेष रूप से निर्देश दिया है कि बाढ प्रभावित क्षेत्रों का दौरा जनपद के वरिष्ठ अधिकारी स्वयं करें और जहां जैसी आवश्यकता हो, तत्काल राहत सामग्री पहुंचायी जाए। अगर बाढ प्रबंधन व्यवस्था में किसी प्रकार की लापरवाही या कोताही होगी तो जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
खन्ना ने बताया, ‘‘ 331 गांवों की लगभग एक लाख 90 हजार की आबादी बाढ से प्रभावित है। तीन नदियां खतरे के स्तर से उपर बह रही हैं। जो हमारे पास सूचना है, उसके हिसाब से शारदा नदी पलियांकलां और लखीमपुर में, राप्ती नदी बर्डघाट (गोरखपुर), राप्ती बैराज (श्रावस्ती) में, सरयू—घाघरा एल्गिनब्रिज (बाराबंकी), अयोध्या तथा तुर्तीपार (बलिया) में खतरे के निशान के उपर बह रही हैं। वर्तमान में प्रदेश के जितने भी तटबंध हैं, हालांकि वे सब सुरक्षित हैं।’’ उन्होंने कहा, लेकिन प्रदेश सरकार ने पूरी तन्मयता से राहत कार्य किये हैं। निश्चित रूप से हमने हर प्रकार से .... चाहे आश्रय स्थल हों, चाहे राहत सामग्री वितरित करने की बात हो, तिरपाल वगैरह की व्यवस्था हो, नाव की व्यवस्था हो, बाढ चौकी की व्यवस्था हो .... हर प्रकार से सरकार ने पूरे मनोयोग से ये चेष्टा की है कि इसका :बाढ का: प्रभाव आम जनता पर कम से कम पडे और उसे ज्यादा से ज्यादा राहत हम पहुंचा सकें इसलिए सारी व्यवस्थाएं सरकार की ओर से की गयी हैं। मुख्यमंत्री ने इस बात का निर्देश दिया है। उन्होंने बताया कि खाद्यान्न की लगभग पांच हजार किट बाढ प्रभावित लोगों को दी गयी हैं। इस किट में आटा, दाल, चावल, रिफाइंड सहित 17 चीजें हैं।वित्त, संसदीय कार्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग मंत्री श्री @SureshKKhanna जी की प्रेसवार्ता... https://t.co/ifqFog5f8h
— Government of UP (@UPGovt) August 1, 2020
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इसके अलावा पिछले 24 घंटे में 4925 फूड पैकेट बांटे गये। अब तक कुल 7600 पैकेट वितरित किये जा चुके हैं। खन्ना ने बताया कि 4435 मीटर के तिरपाल दिय गये हैं। कुल 30, 601 मीटर के तिरपाल वितरित किये गये हैं। 654 नौकाएं लगायी गयी हैं। 647 बाढ चौकियां स्थापित की गयी हैं। इसके अलावा एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और पीएसी तैनात की गयी है। किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए इस तरह की व्यवस्था की गयी है। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विशेष रूप से निर्देश दिया है कि बाढ प्रभावित क्षेत्रों का दौरा जनपद के वरिष्ठ अधिकारी स्वयं करें और जहां जैसी आवश्यकता हो, तत्काल राहत सामग्री पहुंचायी जाए। अगर बाढ प्रबंधन व्यवस्था में किसी प्रकार की लापरवाही या कोताही होगी तो जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
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