'2021 में 23 करोड़ लोग गरीबी रेखा के नीचे चले गए', केंद्र पर बरसे मनीष तिवारी, बोले- 5 आधार पर खड़ी है अर्थव्यवस्था
कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कहा कि कोई भी अर्थव्यवस्था पांच मूलभूत आधार पर खड़ी होती है। इसमें बचत, निवेश, उत्पादन, खपत और रोजगार शामिल है। मनीष तिवारी ने कहा कि यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण बात है कि पिछले 8 सालों में अर्थव्यवस्था की पांचों मूलभूत आधार के परखच्चे उड़ गए।
नयी दिल्ली। संसद का मानसून सत्र अभी तक हंगामे की भेंट चढ़ा है। इसी बीच लोकसभा से कांग्रेस के निलंबित सांसदों को बहाल करने का प्रस्ताव पारित हो गया और महंगाई पर चर्चा शुरू हुई। ऐसे में कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने लोकसभा अध्यक्ष को महंगाई के विषय पर चर्चा आरंभ करने के लिए शुक्रियाअदा किया। उन्होंने कहा कि महंगाई पर चर्चा व्यापक परिपेक्ष में हो रही है और मैं उसका जिक्र करना जरूरी समझता हूं।
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उन्होंने कहा कि कोई भी अर्थव्यवस्था पांच मूलभूत आधार पर खड़ी होती है। इसमें बचत, निवेश, उत्पादन, खपत और रोजगार शामिल है। मनीष तिवारी ने कहा कि यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण बात है कि पिछले 8 सालों में अर्थव्यवस्था की पांचों मूलभूत आधार के परखच्चे उड़ गए। वर्ष 2004 से लेकर 2014 तक यूपीए सरकार में 27 करोड़ लोगों को गरीबी रेखा से ऊपर उठाया गया। लेकिन यह दुर्भाग्यपूर्ण बात है कि 2021 में एक रिपोर्ट सार्वजनिक हुई, जिसके जरिए पता चला कि 23 करोड़ लोग दोबारा से गरीबी रेखा के नीचे चले गए।
उन्होंने कहा कि अनूत समिति कहती है कि गरीबी रेखा 375 रुपए प्रति दिन के बेंचमार्क पर है, 23 करोड़ लोग उससे नीचे चले गए। उन्होंने कहा कि 77 फीसदी इस देश का जो धन है, वो सिर्फ एक फीसदी लोगों के हाथ में है। इन वर्षों में भारत में जो बिलिनियर्स हैं वो 100 से बढ़कर 142 तो हो गए, लेकिन सबसे नीचे का जो तबका है उनकी आय दिन-ब-दिन घटती चली गई।
मनीष तिवारी ने कहा कि सबसे अमीर 92 भारतीयों के पास उतना पैसा है, जो 55 करोड़ भारतवासियों के पास है। इससे ज्यादा असमानता नहीं हो सकती है। इसकी शुरुआत 8 नवंबर, 2016 को हुई थी। जब एनडीए सरकार ने बिना सोचे-समझे नोटबंदी जारी की थी। 15 लाख 41 हजार करोड़ रुपए डिमॉनेटाइज हुआ था और उसमें से 15 लाख 31 हजार करोड़ रुपए वापस से बैंकिंग सिस्टम में आ गया। इसकी जानकारी आज तक सदन को नहीं दी गई है।
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उन्होंने कहा कि दुर्भाग्यपूर्ण बात है कि पिछले 8 वर्ष से यह मामला उच्चतम न्यायालय में लंबित है कि यह फैसला क्यों लिया गया था ? इस फैसले का देश के ऊपर क्या असर पड़ा ? उन्होंने कहा कि जीडीपी का वृद्धिदर 2017-2018 में 6.8 प्रतिशत था। 2018-2019 में गिरकर 6.6 प्रतिशत हो गया, 2019-2020 में गिरकर 3.7 प्रतिशत हो गया, 2021-2022 में गिरकर -6.6 प्रतिशत हो गया, जिसमें कोरोना का बहुत बड़ा असर रहा और 2021-22 में 8.9 फीसदी में आया लेकिन यह आंकड़ा मिथ्या है क्योंकि जीडीपी ग्रोथ सिर्फ 2.3 प्रतिशत थी।
उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था का जो पतन हुआ वो सिर्फ कोरोना की वजह से नहीं हुआ। कोरोना सिर्फ एक कारण हो सकता है लेकिन अर्थव्यवस्था उससे पहले से गिरती जा रही थी।
Country has double-digit inflation for last 14 months, it's highest in 30 yrs. Consumer food price index is skyrocketting. GST increased on daily use things like rice, curd, paneer & on pencils and sharpeners, govt is not sparing even children: Congress leader Manish Tewari pic.twitter.com/zEOlTms18N
— ANI (@ANI) August 1, 2022
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