14 विधायक राजस्थान विधानसभा से साल भर के लिए निलंबित

[email protected] । Apr 26 2017 4:46PM

अभूतपूर्व हंगामे के बाद अध्यक्ष कैलाश मेघवाल ने अनुशासनहीनता के आरोप में कांग्रेस के बारह सदस्यों समेत चौदह विधायकों को एक साल के लिए विधान सभा की सदस्यता से निलम्बित कर दिया।

जयपुर। राजस्थान विधान सभा में आज हुए अभूतपूर्व हंगामे के बाद अध्यक्ष कैलाश मेघवाल ने अनुशासनहीनता के आरोप में कांग्रेस के बारह सदस्यों समेत चौदह विधायकों को एक साल के लिए विधान सभा की सदस्यता से निलम्बित कर दिया। निलम्बित विधायकों में कांग्रेस के गोविन्द डोटासरा, धीरज गुर्जर, शकुंतला रावत, अशोक चांदना, श्रवण गुर्जर, हीरा लाल, सुखराम विश्नोई, मेवा राम, रमेश मीणा, घनश्याम, राजेन्द्र सिंह, भजन लाल, निर्दलीय हनुमान बेनीवाल और बसपा के मनोज न्यागली शामिल हैं।

अध्यक्ष कैलाश मेघवाल ने सरकारी मुख्य सचेतक कालू लाल गुर्जर की ओर से सदन में अनुशासनहीनता के लिए इन चौदह विधायकों को सदन की सदस्यता से एक साल के लिए निलम्बित करने के लिए रखे गये प्रस्ताव को ध्वनिमत से पारित कराया। राजपा के डॉ. किरोडी लाल मीणा और भाजपा के घनश्याम तिवाडी ने सरकारी मुख्य सचेतक की ओर से रखे गये प्रस्ताव का विरोध करते हुए कुछ बोलना चाहा लेकिन अध्यक्ष ने दोनों को बोलने की अनुमति नहीं दी। अध्यक्ष मेघवाल ने दुखी होते हुए कहा कि प्रतिपक्ष के कुछ हुड़दंगी विधायक सदन की परम्पराओं, नियमों और आसन के निर्देशों की पालना नहीं कर सदन में अनुशासनहीनता कर रहे थे। आज प्रश्नकाल के दौरान प्रतिपक्ष के सदस्यों ने जो कुछ किया वह शर्मनाक था। अध्यक्ष ने कहा कि मैंने प्रतिपक्ष सदस्यों को बोलने का पूरा समय देकर गलती की, लेकिन अब सदन में किसी को अनुशासनहीनता नहीं करने दी जायेगी।

सदन ने जिस समय कांग्रेस समेत जिन चौदह विधायकों को निलम्बित करने का प्रस्ताव पारित किया उस दौरान प्रतिपक्ष के सदस्य सदन में मौजूद नहीं थे। प्रस्ताव पारित होने के बाद नेता प्रतिपक्ष रामेश्वर डूडी और कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक प्रद्युम्रन सिंह ने सदन में आकर चौदह सदस्यों के निलम्बन का जोरदार विरोध करते हुए कहा कि यह एकतरफा कार्रवाई है। यदि आसन की यही मंशा है तो हमें भी निलम्बित कर दे। नेता प्रतिपक्ष के कड़े विरोध के बावजूद अध्यक्ष ने तय विधायी कामकाज लेना आरंभ कर दिया।

सदन की कार्यसूची में आज जीएसटी विधेयक शामिल है। इससे पहले प्रश्नकाल के दौरान हुए हंगामे के बाद आसन के समक्ष सरकार के खिलाफ नारेबाजी कर रहे प्रतिपक्ष सदस्यों को सुरक्षाकर्मियों द्वारा निकाले जाने के बाद सदन की कार्यवाही एक समय के लिए एक घंटे के लिए जबकि दो बार आधे आधे घंटे के लिए स्थगित हुई। प्रश्नकाल में प्रतिपक्ष सदस्यों को पूरक प्रश्न पूछने का मौका नहीं देने के मुददे को लेकर हंगामा शुरू हुआ था। सरकारी सचेतक मदन राठौड़ ने हंगामा कर रहे प्रतिपक्ष सदस्यों को सदन से बाहर निकालने का प्रस्ताव रखा। अध्यक्ष ने इस प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए मार्शल को हंगामा कर रहे सभी प्रतिपक्ष सदस्यों को सदन से बाहर निकालने के आदेश दिये। हंगामा उस समय शुरू हुआ जब प्रश्नकाल में पहले नम्बर पर प्रधानमंत्री निःशुल्क आवास योजना के प्रश्न के दौरान प्रतिपक्ष सदस्यों को पूरक प्रश्न करने का मौका नहीं देने पर कांग्रेस के गोविन्द डोटासरा, निर्दलीय हनुमान बेनीवाल, बसपा के मनोज न्यागली समेत अन्य प्रतिपक्ष सदस्यों ने आसन के समक्ष आकर नारेबाजी शुरू की।

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