Prabhasakshi NewsRoom: संसद हमले की वो आंखों देखीं यादें...लोकतंत्र के मंदिर में गोलीबारी ने पूरे हिंदुस्तान को झकझोर दिया था

parliament attack martyrs
ANI

प्रभासाक्षी चूंकि भारत का शुरुआती समाचार पोर्टल है, उस नाते हम भी उस दिन यानि 13 दिसंबर 2001 को संसद परिसर में शीतकालीन सत्र की कार्यवाही की कवरेज के लिए मौजूद थे। तभी एकाएक अफरातफरी मचती देख हम भी चौंक गये थे।

भारत ने सीमापार से आतंकवाद का एक बुरा दौर झेला है। ये वो दौर था जब सीमापार से आतंकी बेधड़क घुस कर भारत में आतंकी वारदातों को अंजाम दे दिया करते थे लेकिन समय ने करवट बदली और आज भारत हमलावरों को उनके घर में घुसकर मारता है। लेकिन अतीत की कुछ ऐसी यादें हैं जिनके जख्म सदा हरे रहेंगे और हमें आतंक को कतई बर्दाश्त नहीं करने की नीति पर चलते रहने के लिए प्रेरित भी करते रहेंगे। आज 13 दिसंबर है। इतिहास में वैसे तो आज के दिन के नाम पर कई बड़ी घटनाएं दर्ज हैं लेकिन साल 2001 का 13 दिसंबर भारत के इतिहास में प्रमुख स्थान रखता है क्योंकि उस दिन की सुबह आतंक का काला साया देश के लोकतंत्र की दहलीज तक आ पहुंचा था। 

प्रभासाक्षी चूंकि भारत का शुरुआती समाचार पोर्टल है, उस नाते हम भी उस दिन संसद परिसर में शीतकालीन सत्र की कार्यवाही की कवरेज के लिए मौजूद थे। तभी एकाएक अफरातफरी मचती देख हम भी चौंक गये थे। दरअसल, देश की राजधानी के बेहद महफूज माने जाने वाले इलाके में शान से खड़े संसद भवन में घुसने के लिए आतंकवादियों ने सफेद रंग की एम्बेसडर का इस्तेमाल किया और सुरक्षाकर्मियों की आंखों में धूल झोंकने में कामयाब रहे, लेकिन उनके कदम लोकतंत्र के मंदिर को अपवित्र कर पाते उससे पहले ही सुरक्षा बलों ने उन्हें ढेर कर दिया।

देखा जये तो संसद परिसर में घुसे पांच आतंकवादियों ने 45 मिनट में लोकतंत्र के सबसे बड़े मंदिर माने जाने वाले संसद परिसर के भीतर गोलीबारी कर पूरे हिंदुस्तान को झकझोर दिया था। उस हमले में दिल्ली पुलिस के पांच कर्मियों, केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल की एक महिला अधिकारी, संसद भवन के दो वॉच और वार्ड कर्मचारी, एक माली और एक कैमरामैन की मौत हो गई थी। कृतज्ञ राष्ट्र ने आज संसद हमले की बरसी पर शहीदों को श्रद्धांजलि दी। संसद हमले के दौरान जान गंवाने वालों को आज संसद परिसर में श्रद्धांजलि दी गयी। इस दौरान उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृह मंत्री अमित शाह, विभिन्न केंद्रीय मंत्री, विभिन्न दलों के सांसद और अधिकारीगण उपस्थित थे। सभी ने शहीदों की तस्वीरों पर पुष्पांजलि अर्पित कर अपनी श्रद्धांजलि दी। संसद हमले के बाद से संसद की सुरक्षा को अभेद्य तो बना दिया गया है लेकिन 13 दिसंबर 2001 का दिन एक जख्म की तरह है जो आज तक नहीं भरा है। आइये जानते हैं उस दिन क्या-क्या हुआ था।

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- 13 दिसंबर 2001 को संसद पर आतंकी हमले में संसद भवन के गार्ड, दिल्ली पुलिस के जवान समेत कुल 9 लोग शहीद हुए थे

- उस दिन एक सफेद एंबेसडर कार में आए पांच आतंकवादियों ने 45 मिनट में लोकतंत्र के सबसे बड़े मंदिर को गोलियों से छलनी कर पूरे हिंदुस्तान को झकझोरा था

- उस दिन संसद का शीतकालीन सत्र चल रहा था, जब आतंकी घुसे उस समय दोनों सदनों की कार्यवाही 40 मिनट के लिए स्थगित चल रही थी

- कार्यवाही स्थगित होने के चलते तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और विपक्ष की तत्कालीन नेता सोनिया गांधी अपने अपने सरकारी निवास पर चले गये थे

- उस समय तत्कालीन गृह मंत्री लालकृष्ण आडवाणी अपने कई साथी मंत्रियों और लगभग 200 सांसदों के साथ लोकसभा में ही मौजूद थे

- अचानक से एक सफेद एंबेस्डर कार संसद परिसर में घुसी और तेजी से आगे बढ़ने लगी, सुरक्षाकर्मी उसे रोकने के लिए दौड़े

- अचानक ही गाड़ी में बैठे पांच फिदायीन बाहर निकलते हैं और अंधाधुंध गोलियां बरसानी शुरू कर देते हैं

- पांचों आतंकवादी एके-47 से लैस थे और पांचों के पीठ और कंधे पर बैग थे। गोलियों की आवाज से दहशत फैल चुकी थी

- संसद भवन के अंदर चारों तरफ अफरा-तफरी का माहौल था, जिसे जिधर कोना दिखाई दे रहा था वो उधर भाग रहा था

- लालकृष्ण आडवाणी और रक्षा मंत्री जॉर्ज फर्नांडीज समेत तमाम वरिष्ठ मंत्रियों को फौरन सुरक्षित जगहों पर ले जाया गया

- इसके बाद सुरक्षाकर्मियों ने सदन के अंदर जाने वाले तमाम दरवाजे बंद कर दिये और अपनी अपनी पोजीशन ले ली

- एक आतंकवादी ने गोली लगते ही खुद को उड़ा दिया, बाकी आतंकी बीच-बीच में सुरक्षाकर्मियों पर हथगोले भी फेंक रहे थे

- सारे आतंकवादी चारों तरफ से घिर चुके थे और आखिरकार कुछ देर बाद एक-एक कर सभी ढेर कर दिये गये 

- बाद में संसद हमले के साजिशकर्ताओं को भी न्याय के कठघरे में लाया गया और अफजल गुरु को 9 फरवरी 2013 को फांसी पर लटका दिया गया

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