Prajatantra: मंदिरों के चढ़ावे पर 10% का टैक्स, कर्नाटक सरकार के फैसले पर क्यों मचा सियासी बवाल?
भाजपा राज्य की सिद्धरमैया सरकार पर जमकर निशाना साधते हुए इसे तुष्टिकरण की राजनीति का नया निचला स्तर करार दिया है। भाजपा इस कानून को पूरी तरह से हिन्दुओं के विरुद्ध बता रही है।
कर्नाटक सरकार ने बुधवार को विधानसभा में हिंदू धार्मिक संस्थान और धर्मार्थ बंदोबस्ती (संशोधन) विधेयक पारित कर दिया। राज्य सरकार के कदम की विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने निंदा की और सत्तारूढ़ दल पर मंदिरों के पैसों से अपना ‘खाली खजाना’ भरने की कोशिश करने का आरोप लगाया। भाजपा राज्य की सिद्धरमैया सरकार पर जमकर निशाना साधते हुए इसे तुष्टिकरण की राजनीति का नया निचला स्तर करार दिया है। भाजपा इस कानून को पूरी तरह से हिन्दुओं के विरुद्ध बता रही है।
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बिल क्या है?
विवादास्पद कर्नाटक हिंदू धार्मिक संस्थान और धर्मार्थ बंदोबस्ती विधेयक 2024' राज्य को ₹1 करोड़ से अधिक राजस्व वाले मंदिरों से 10% कर और ₹10 लाख से ₹1 करोड़ के बीच राजस्व वाले मंदिरों से 5% कर एकत्र करने का आदेश देता है। नए संशोधन में कर्नाटक में धार्मिक गतिविधियों में सहायता के लिए हिंदू धार्मिक संस्थानों और धर्मार्थ बंदोबस्ती विभाग के तहत एक कॉमन पूल फंड का भी प्रस्ताव है। इस विधेयक के संबंध में, राज्य सरकार ने कहा कि साझा योगदान वाले कोष की राशि बढ़ाना, अधिसूचित संस्थानों की प्रबंधन समिति में विश्व हिंदू मंदिर वास्तुकला और मूर्तिकला में कुशल व्यक्ति को शामिल करना और तीर्थयात्रियों की सुरक्षा के लिए मंदिरों और बुनियादी ढांचे में सुधार के वास्ते जिला और राज्य स्तरीय समितियों का गठन करना आवश्यक था। परिवहन और हिंदू धार्मिक बंदोबस्ती मंत्री रामलिंगा रेड्डी ने पत्रकारों से कहा कि यह प्रावधान नया नहीं है बल्कि 2003 से अस्तित्व में है। उन्होंने यह भी कहा कि अधिक आय वाली श्रेणी में शामिल मंदिरों से राजस्व इकट्ठा करने के लिए 2011 में तत्कालीन भाजपा सरकार द्वारा एक संशोधन लाया गया था। उन्होंने कहा कि कर्नाटक हिंदू धार्मिक संस्थान और धर्मार्थ बंदोबस्ती अधिनियम 1997 एक मई 2003 को लागू हुआ था।
बिल पर विवाद
भाजपा ने इस विधेयक को लेकर कांग्रेस के नेतृत्व वाली कर्नाटक सरकार पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि राज्य सरकार "हिंदू विरोधी नीतियों" में शामिल है और धन का दुरुपयोग होना तय है। केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने कहा कि यह विधेयक तुष्टिकरण की राजनीति का नया स्तर है और इसे मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उनके डिप्टी डीके शिवकुमार के खातों में धन पहुंचाने के लिए लाया गया है। उन्होंने एक वीडियो संदेश में कहा कि राहुल गांधी देश में भारत जोड़ो यात्रा निकाल रहे हैं। कर्नाटक में उनकी कांग्रेस पार्टी सरकार डीके शिवकुमार और सिद्धारमैया के एटीएम को फंड करने के लिए विधानसभा में कर्नाटक हिंदू धार्मिक संस्थान और धर्मार्थ बंदोबस्ती (संशोधन) विधेयक, 2024 लेकर आई है। यह तुष्टिकरण की राजनीति का नया निचला स्तर है। हम इस बिल का विरोध करेंगे। भाजपा की राज्य इकाई के अध्यक्ष बी वाई विजयेंद्र ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में इस कदम को लेकर सरकार पर निशाना साधा और कहा, ‘‘भ्रष्ट, अयोग्य ‘लूट सरकार’ ने धर्मनिरपेक्षता की आड़ में हिंदू विरोधी विचारधारा के साथ, मंदिरों के राजस्व पर अपनी बुरी नजर डाली है। हिंदू धार्मिक बंदोबस्ती संशोधन अधिनियम के माध्यम से, यह अपने खाली खजाने को भरने के लिए हिंदू मंदिरों और धार्मिक संस्थानों से दान के साथ-साथ चढ़ावे को भी हड़पने की कोशिश कर रही है।’’
सरकार का पक्ष
विभिन्न वर्गों के कल्याण को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से उठाए गए कदम का बचाव करते हुए, कांग्रेस ने विपक्षी दल पर पलटवार करते हुए कहा कि भाजपा ने अधिक आय अर्जित वाले हिंदू मंदिरों से धन मांगने के लिए 2011 में एक संशोधन किया था। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने बृहस्पतिवार को राज्य भाजपा की आलोचना करते हुए कहा कि इसने लोगों को गुमराह करने और सांप्रदायिक आधार पर ध्रुवीकरण करने के उद्देश्य से हिंदू धार्मिक संस्थानों और धर्मार्थ बंदोबस्ती विधेयक में संशोधन को लेकर सरकार पर आरोप लगाए हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार के इस कदम को राजनीतिक लाभ उठाने के लिए गलत तरीके से पेश किया गया है। सिद्धरमैया ने कहा, “भाजपा नेताओं के निराधार आरोपों का उद्देश्य केवल जनता को गुमराह करना और राजनीतिक लाभ के लिए सांप्रदायिक आधार पर लोगों का ध्रुवीकरण करना है। भाजपा नेताओं को अपने अनैतिक कृत्यों को लेकर शर्म आनी चाहिए।’’
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चुनावी नफा-चुकसान
पूरे घटनाक्रम के राजनीतिक मायने भी निकल जा रहे हैं। दरअसल, कुछ दिनों में लोकसभा चुनाव का ऐलान होना है। लोकसभा चुनाव के लिहाज से कर्नाटक बेहद ही अहम है। कर्नाटक में लोकसभा की 28 सीटे हैं। 2019 चुनाव की बात करें तो भाजपा ने यहां अपने दम पर 25 सीटों पर जीत हासिल की थी। हालांकि, विधानसभा चुनाव में भाजपा को करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा। ऐसे में भाजपा और कांग्रेस के बीच इस मुद्दे पर लेकर राजनीति हो रही है। भाजपा जहां ध्रुवीकरण की कोशिश में लगी हुई है तो वहीं कांग्रेस पर तुष्टिकरण का आरोप लग रहा है। भाजपा ने विधानसभा चुनाव में हिंदूत्व को जबरदस्त तरीके से भुनाया था। लेकिन उसे चुनावी रूप से सफलता नहीं मिली। कांग्रेस ने गैर भाजपा वोटो को पूरी तरीके से लामबंद किया। बजरंग दल पर प्रतिबंध लगाने की बात करके कांग्रेस ने मुसलमान को अपने पक्ष में खड़ा भी किया। यही कारण है इस बिल लेकर भी अलग-अलग दावे किए जा रहे हैं। भाजपा का विरोध हिंदुत्व वोट बैंक से जोड़कर देखा जा रहा है तो वहीं कांग्रेस इस बिल के जरिए मुसलमान को भी संदेश देने की कोशिश कर रही है।
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