राजीव गांधी की हत्या के बाद छोड़ी थी पार्टी, कभी कांग्रेस से बिगड़े थे रिश्ते! कौन हैं पवन खेड़ा, 1 साल पहले जिग्नेश मेवाणी को भी उठाने आई थी असम पुलिस
टीवी डिबेट और प्रेस कॉन्फ्रेंस में कांग्रेस का प्रतिनिधित्व करता चेहरा मौजूदा वक्त में विवादों की पसंदीदा शख्सियत बन चुका है। पहले एयरपोर्ट से गिरफ्तारी, फिर कांग्रेस का धरना, सुप्रीम कोर्ट का रुख और फिर बेल।
"हम इनसे राष्ट्रीय और सरहदी मुद्दों पर सवाल पूछते हैं और ये हमसे लड़ने आ जाते हैं। अरे हमसे लड़ने की बजाए सरहद पर लड़िए न। हमें आंख दिखाने की बजाए चीन को आंख दिखाइए ना। तो इस देश की स्थिति मौजूदा हालातों से बेहतर हो सकेगी।" एक डिबेट के दौरान सरहद पर चीन की गतिविधियों का जब जिक्र हुआ तो कांग्रेस के प्रखर प्रवक्ता पवन खेड़ा ने विरोधियों के कान खड़े कर दिए थे। टीवी डिबेट और प्रेस कॉन्फ्रेंस में कांग्रेस का प्रतिनिधित्व करता चेहरा मौजूदा वक्त में विवादों की पसंदीदा शख्सियत बन चुका है। पहले एयरपोर्ट से गिरफ्तारी, फिर कांग्रेस का धरना, सुप्रीम कोर्ट का रुख और फिर बेल। पवन खेड़ा इस वक्त सियासत का सबसे चर्चित चेहरा बने हुए हैं। ऐसे में आइए जानते हैं कि पूरा मामला क्या है। कौन हैं पवन खेड़ा? पीएम मोदी पर खेड़ा ने क्या टिप्पणी की थी।
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पहले गिरफ्तारी फिर बेल
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पवन खेड़ा को 23 फरवरी को असम पुलिस ने दिल्ली हवाईअड्डे से गिरफ्तार कर लिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर उनकी हालिया टिप्पणी को लेकर उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस नेता को 28 फरवरी तक अंतरिम जमानत दे दी और उनके खिलाफ दायर कई एफआईआर को एक साथ करने की उनकी याचिका पर असम और उत्तर प्रदेश से जवाब मांगा गया।
पवन खेड़ा पर कितन धाराओं के तहत केस
असम पुलिस ने पवन खेड़ा पर कई आईपीसी की धाराओं के तहत केस दर्ज किया था। इसमें 500 (मानहानि), 504 (अपमानित करना), 505 (1) फर्जी खबर फैलाना, 505 (2) समुदायों के बीच दुश्मनी पैदा करना, 120B (आपराधिक साजिश), 153 ए (माहौल बिगाड़ना), 153 बी (1) (देश की एकता पर चोट) शामिल है। इसमें दोषी पाए जाने पर खेड़ा को 3 से 5 साल की सजा हो सकती है।
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कौन हैं पवन खेड़ा?
पवन खेड़ा का राजनीतिक सफर 1989 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की युवा शाखा से शुरू हुआ था। हालांकि, 1991 में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के बाद उन्होंने कांग्रेस छोड़ दी थी। वह एक बार फिर 1998 में पार्टी में शामिल हुए, जब वह दिल्ली की तत्कालीन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के राजनीतिक सचिव बने। 2013 में दीक्षित का कार्यकाल समाप्त होने तक खेड़ा इस पद पर बने रहे। 2015 के बाद से उन्हें टीवी चैनलों पर बहस और चर्चा में बेबाकी से कांग्रेस का पक्ष रखते देखा जा सकता है। वो 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले पार्टी की एक पोल कमेटी के संयोजक भी बने। खेड़ा के सोशल मीडिया खातों के अनुसार, वह वर्तमान में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष, मीडिया और प्रचार और कांग्रेस के प्रवक्ता हैं।
अपनी पार्टी से भी हो गया था विवाद
कांग्रेस के प्रवक्ता पवन खेड़ा अपने बेबाक अंदाज के लिए जाने जाचते हैं। चाहे फिर अपनी ही पार्टी से विवाद क्यों न हो? उन्होंने अपने विचार खुलकर रखे हैं। पिछले साल राज्यसभा न भेजे जाने पर पवन खेड़ा पार्टी से नाराज हो गए थे। पवन खेड़ा ने बिना क्षण गवाए ट्विटर पर अपनी नाराजगी जाहिर कर दी थी। उन्होंने लिखा, "शायद उनकी तपस्या में कमी रह गई होगी।" खेड़ा के इस ट्वीट के बाद कांग्रेस ने उनको मीडिया और पब्लिसिटी सेल का चेयरमैन बनाया था।
पीएम मोदी पर खेड़ा की टिप्पणी
अडानी समूह के खिलाफ एक संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) द्वारा जांच की मांग के लिए दिल्ली में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान, खेड़ा ने प्रधानमंत्री को "नरेंद्र गौतमदास मोदी" के रूप में संदर्भित किया। उन्होंने गौतम अडानी के नेतृत्व वाले व्यापारिक समूह से जुड़े विवाद को लेकर भाजपा सरकार की निंदा करते हुए यह बयान दिया। उन्होंने कहा, "नरेंद्र गौतम दास मोदी को क्या समस्या है?" उन्होंने कहा, "क्या यह गौतम दास या दामोदर दास है?" वह फिर हंसते हुए कहते नजर आते हैं कि भले ही नाम दामोदर दास है, लेकिन उनके कार्य गौतम दास के समान हैं। पीएम मोदी के पिता का नाम दामोदरदास मूलचंद मोदी है। हालाँकि, खेरा ने नरेंद्र "गौतम दास" मोदी के साथ आने के लिए इसे गौतम अडानी के साथ जोड़ दिया।
एक साल पहले जिग्नेश मेवाणी की भी हुई थी गिरफ्तारी
एआईसीसी के मीडिया और प्रचार विभाग के अध्यक्ष पवन खेड़ा कांग्रेस के पूर्ण सत्र के लिए रायपुर जाने वाले थे तभी उन्हें हिरासत में ले लिया गया। अप्रैल 2022 में कांग्रेस के एक अन्य नेता, जिग्नेश मेवाणी की गिरफ्तारी के साथ कई समानताएं हैं। गुजरात में विधानसभा चुनाव होने वाले थे, उस समय निर्दलीय विधायक मेवानी को असम पुलिस ने रात में गुजरात के बनासकांठा जिले से उठाया और गुवाहाटी ले जाया गए थे। असम के दीमा हसाओ के हाफलोंग पुलिस स्टेशन में उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज होने के एक दिन बाद असम पुलिस की एक टीम ने खेड़ा को हिरासत में लिया था। खेड़ा की तरह, मेवाणी को 22 अप्रैल, 2022 को गिरफ्तार किया गया था। उन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कथित अपमान का आरोप था।
जिग्नेश मेवाणी ने क्या बोला था?
कोकराझार में एक स्थानीय भाजपा नेता द्वारा मेवाणी के अकाउंट से एक ट्वीट के संबंध में शिकायत की गई थी जिसमें कथित तौर पर कहा गया था कि मोदी "गोडसे को भगवान मानते हैं। एक स्थानीय अदालत ने मेवाणी को तीन दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया था। जबकि असम पुलिस ने 10 दिनों की हिरासत की मांग की थी। मेवाणी के वकीलों ने तर्क दिया कि विधायक के खिलाफ "आरोपों के लिए प्रथम दृष्टया कोई सबूत नहीं था" और पूरा मामला "मनगढ़ंत" था। हालांकि उन्हें 25 अप्रैल को जमानत दे दी गई थी, लेकिन पड़ोसी जिले बारपेटा में दायर एक शिकायत के आधार पर मेवानी को एक नए मामले में फिर से गिरफ्तार कर लिया गया था। एक महिला इंस्पेक्टर ने कहा कि मेवाणी ने उनके खिलाफ "अपमानजनक शब्दों" का इस्तेमाल किया, उनके साथ मारपीट की और "मुझे धक्का देते हुए अनुचित तरीके से छूकर मेरी मर्यादा भंग करने की कोशिश की। अंत में, बारपेटा जिला और सत्र न्यायाधीश अपरेश चक्रवर्ती ने 29 अप्रैल को मेवाणी को जमानत पर रिहा कर दिया, यहां तक कि उन्होंने "झूठी प्राथमिकी" दर्ज करने और "अदालत और कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग" करने के लिए राज्य पुलिस की खिंचाई की। अदालत ने कहा, "यह (मामला) अदालत और कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग करते हुए आरोपी को अधिक समय तक हिरासत में रखने के उद्देश्य से गढ़ा गया था। न्यायाधीश ने "राज्य में चल रही पुलिस की ज्यादतियों" का भी हवाला दिया, और गौहाटी उच्च न्यायालय से पुलिस बल को "स्वयं सुधार" करने का निर्देश देने का आग्रह किया।
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