लक्षद्वीप पर कब्जा करना चाहते थे जिन्ना, 1 गुजराती और 2 तमिल ने किया ऐसा कमाल, भागना पड़ा उल्टे पांव, पढ़ें पूरा किस्सा

Lakshadweep
Prabhasakshi
अभिनय आकाश । Jan 9 2024 2:21PM

आजादी के बाद लक्षद्वीप भारत का हिस्सा कैसे बना और इस आयलैंड का नाम लक्ष्यद्वीप कैसे पड़ा। क्या है जिन्ना की लक्षद्वीप पर कब्जा करने की कोशिश की कहानी जिसे सरदार ने अपनी सूझबूझ से कर दिया था नाकाम।

जनवरी 2024 के शुरुआती हफ्ते में जब पीएम मोदी ने लक्षद्वीप का दौरा किया। पीएम ने लक्ष्यद्वीप के पर्यटन का प्रचार किया और वहां कई तस्वीरें भी खिंचवाईं। पीएम मोदी के इस दौरे के बाद गूगल पर लक्षद्वीप कीवर्ड गूगल पर सबसे ज्यादा सर्च किया जाने लगा। पर्यटन की दृष्टि से लक्ष्यद्वीप की चर्चा तेज हो गई है। हालांकि इस आयलैंड से जुड़ा एक दिलचस्प इतिहास भी है। आजादी के बाद लक्षद्वीप भारत का हिस्सा कैसे बना और इस आयलैंड का नाम लक्ष्यद्वीप कैसे पड़ा। क्या है जिन्ना की लक्षद्वीप पर कब्जा करने की कोशिश की कहानी जिसे सरदार ने अपनी सूझबूझ से कर दिया था नाकाम। लक्षद्वीप को लैकाडिव भी कहा जाता है, भूमि क्षेत्र के मामले में बहुत अधिक नहीं हो सकता है क्योंकि 36-द्वीप द्वीपसमूह का माप मात्र 32.69 वर्ग किमी है। लेकिन लक्षद्वीप की प्राकृतिक सुंदरता और रणनीतिक स्थिति इसे भारत के लिए एक संपत्ति बनाती है।

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आजादी के लिए सदियों से चली आ रही लड़ाई और हजारों बलिदानों के अलावा, भारत ने आजादी के समय विभाजन रूपी दंश भी झेला। औपनिवेशिक काल के दौरान, भारत को कई रियासतों में विभाजित किया गया है। अलग-अलग अनुमान इन प्रांतों की अलग-अलग संख्या बताते हैं लेकिन वे लगभग 540-565 के बीच थे। इन प्रांतों में हैदराबाद, जूनागढ़, जम्मू और कश्मीर और उनमें से एक लक्षद्वीप था। पूर्व गृह मंत्री और उपप्रधानमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल को विभाजन के समय 562 रियासतों को भारत में एकीकृत करने का श्रेय दिया जाता है। यह वह समय था जब जूनागढ़ और हैदराबाद जैसी कई रियासतें पाकिस्तान में शामिल होने की कोशिश कर रही थीं। हालाँकि, ऐसा नहीं हुआ क्योंकि भारत के लौह पुरुष सरदार पटेल ने उन्हें भारत में एकीकृत किया। पटेल को 560 से अधिक रियासतों को भारतीय प्रभुत्व में एकीकृत करने का काम सौंपा गया था। 6 अगस्त, 1947 को उन्होंने एकीकरण की प्रक्रिया शुरू की और अपनी राजनीतिक परिपक्वता और प्रेरक कौशल से उन्होंने सभी प्रांतों को पूरी तरह से एकीकृत कर दिया। जम्मू-कश्मीर, जूनागढ़ और हैदराबाद जैसे राज्यों ने भारत के साथ एकीकरण का विरोध किया लेकिन पटेल की रणनीति ने सभी प्रतिरोधों पर काबू पा लिया।

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पाकिस्तान को कैसे आया लक्षद्वीप का ख्याल 

विभाजन के वक्त भारत और पाकिस्तान के बीच कई सूबों का बंटवारा हुआ। इस दौरान तीन रियासतें जम्मू कश्मीर, जूनागढ़ और हैदराबाद पर पाकिस्तान अपना हक जताना चाहता था। पाकिस्तान का कहना था कि इन सूबों में मुस्लिम आबादी ज्यादा है, इसलिए इसे पाकिस्तान का हिस्सा होना चाहिए। लेकिन सरदार पटेल ने सूझबूझ दिखाते हुए जूनागढ़ को जनमत संग्रह से और जम्मू कश्मीर को विलय पर साइन करवाकर व हैदराबाद को पुलिस कार्रवाई के जरिए भारत में शामिल करवा लिया। भारतीय स्वतंत्रता के समय लक्षद्वीप ब्रिटिश नियंत्रण में था। भारतीय उपमहाद्वीप के विभाजन की प्रक्रिया जितनी जटिल थी, उसका एक आधार धर्म भी था। लक्षद्वीप द्वीप समूह दक्षिणी भारतीय मालाबार तट के करीब हैं। लक्षद्वीप में मुसलमानों की संख्या अधिक होने के कारण पाकिस्तान ने इस पर कब्ज़ा करने के लिए कार्रवाई शुरू कर दी। पाकिस्तान ने लक्ष्यद्वीप को कब्जाने के लिए युद्धपोत भेज दिया। 

लक्षद्वीप को पाकिस्तान से कैसे बचाया

पीएम मोदी ने अक्टूबर 2019 में अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम मन की बात में भी बताया ता कि भारत के लौह पुरुष ने कैसे न केवल हैदराबाद और जूनागढ़ जैसी अहम रियासतों को एकजुट किया, बल्कि लक्ष्यद्वीप को पाकिस्तान से भी बचाया था। 1947 में भारत विभाजन के तुरंत बाद हमारे पड़ोसी की नज़र लक्षद्वीप पर थी और उसने अपने झंडे के साथ जहाज भेजा था। सरदार पटेल को जैसे ही इस बात की जानकारी मिली उन्होंने बगैर समय गंवाये, जरा भी देर किये बिना, तुरंत, कठोर कार्यवाही शुरू कर दी। मुदलियार बंधुओं अर्कोट रामासामी मुदलियार और अर्कोट लक्ष्मणस्वामी मुदलियार से कहा कि वो त्रावणकोर के लोगों के साथ लेकर तुरंत कूच करें और वहाँ तिरंगा फहरायें। लक्षद्वीप में तिरंगा पहले फहरना चाहिए। 

आधे घंटे की देरी से बदल जाता बहुत कुछ 

पाकिस्तान का दल समुद्र के रास्ते आ रहा था। पाकिस्तान की सेना लक्ष्यद्वीप के करीब पहुंचती इससे पहले सरदार पटेल के आदेश के फ़ौरन बाद वहाँ तिरंगा फहराया गया और लक्षद्वीप पर कब्ज़ा करने के पड़ोसी के हर मंसूबे देखते ही देखते ध्वस्त कर दिया गया। कुछ देर बाद पाकिस्तान का युद्धपोत जब लक्ष्यद्वीप पहुंचा तो वहां तिरंगा फहराता देख दबे पांव वापस लौट गया। इस घटना के बाद सरदार पटेल ने मुदलियार बंधुओं से कहा कि वे व्यक्तिगत रूप से ये सुनिश्चित करें कि लक्षद्वीप को विकास के लिए हर जरुरी मदद मिले। आज, लक्षद्वीप भारत की प्रगति में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है। यह एक आकर्षक टूरिस्ट डेस्टिनेशन भी है। 

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