नेतन्याहू और हमास के बीच क्या है कनेक्शन, हमले से किसे होगा फायदा, कमजोर होती फिलिस्तीनियों के आवाज के पीछे की कहानी
मीडिया रिपोर्ट में तो कटरंपती संगठन हमास संग नेतन्याहू के रिश्ते को लेकर भी दावा किया गया है। जिसमें कहा गया है कि अक्टूबर, 2023 का हमास का अटैक नेतन्याहू के लिए कैसे नफे वाला साबित हो सकता है।
इजरायल और हमास के बीच की जंग पूरे मीडिल ईस्ट को अपनी चपेट में लेने की ताकत रखती है। इसीलिए दुनियाभर के देश इसको लेकर चितिंत और एक्टिव नजर आ रहे हैं। वैसे इजरायल के इतिहास पर गौर करें तो पाएंगे कि असफल युद्धों से सरकार बदली जाती है। इसी बीच गलत नीतियों से पहले ही आलोचना झेल रहे नेतन्याहू अब इस जंग को जीतने के लिे कुछ भी कर सकते हैं। इजरायल हमास युद्ध का जिक्र होता है तो कई हल्कों में बेंजामिन नेतन्याहू और हमास के बीच के कनेक्शन को लेकर भी कई दावों किए जाते हैं। एक मीडिया रिपोर्ट में तो कटरंपती संगठन हमास संग नेतन्याहू के रिश्ते को लेकर भी दावा किया गया है। जिसमें कहा गया है कि अक्टूबर, 2023 का हमास का अटैक नेतन्याहू के लिए कैसे नफे वाला साबित हो सकता है और इतिहास में पहले भी क्या ऐसा देखने को मिला है?
इसे भी पढ़ें: Israel के समर्थन में चीन ने ये क्या कह दिया, बदल जाएगी पूरे युद्ध की दिशा?
एहुद ओलमर्ट की नीति से बिल्कुल अलग नीति
2009 में प्रधानमंत्री कार्यालय में कमबैक के बाद से नेतन्याहू की नीति ने एक तरफ, गाजा पट्टी में हमास के शासन को मजबूत करना और दूसरी तरफ, फिलिस्तीनी प्राधिकरण को कमजोर करना जारी रखा है। सत्ता में उनकी वापसी और पूर्ववर्ती एहुद ओलमर्ट की नीति से उनकी राह बिल्कुल अलग रही। ओलमर्ट ने सबसे उदार फिलिस्तीनी नेता पीए राष्ट्रपति महमूद अब्बास के साथ शांति संधि के माध्यम से संघर्ष को समाप्त करने की मांग की थी।
इसे भी पढ़ें: बाइडेन-MBS के बीच इजरायल-हमास युद्ध को लेकर बातचीत, मिडिल ईस्ट के क्षेत्रों में फैलने से रोकने के उपायों पर हुई चर्चा
हमास को सशक्त बनाने के पीछे नेतन्याहू?
पिछले 14 वर्षों से वेस्ट बैंक और गाजा में फूट डालो और राज करो की नीति को लागू करते हुए अबू याइर ने किसी भी सैन्य या कूटनीतिक प्रयास का विरोध किया है, जो हमास शासन को समाप्त कर सकता है। 2008 के अंत और 2009 की शुरुआत में ओलमर्ट युग के दौरान कास्ट लीड ऑपरेशन के बाद से हमास के शासन को किसी भी वास्तविक सैन्य खतरे का सामना नहीं करना पड़ा है। इसके विपरीत: समूह को इजरायली प्रधानमंत्री द्वारा समर्थित किया गया है और उनकी सहायता से वित्त पोषित किया गया है। जब नेतन्याहू ने अप्रैल 2019 में घोषणा की हमने हमास के साथ प्रतिरोध बहाल कर दिया है और हमने मुख्य आपूर्ति मार्गों को अवरुद्ध कर दिया है, दावा किया जा रहा है कि वो झूठ बोल रहे हैं। एक दशक से अधिक समय से नेतन्याहू ने हमास की बढ़ती सैन्य और राजनीतिक शक्ति में विभिन्न तरीकों से मदद की है। नेतन्याहू ही वह शख्स हैं जिन्होंने हमास को कम संसाधनों वाले एक आतंकी संगठन से एक अर्ध-राज्य निकाय में बदल दिया।
अब्बास को चोट पहुंचाना मकसद
फ़िलिस्तीनी कैदियों को रिहा करना, नकद हस्तांतरण की अनुमति देना। कतरी दूत गाजा में आकर और अपनी इच्छानुसार जाते है। गाजा से फिलिस्तीनी श्रमिकों के लिए इज़राइल में वर्क परमिट की संख्या में वृद्धि करने आदि के लिए। इन सभी घटनाक्रमों ने कट्टरपंथी आतंकवाद के पनपने और नेतन्याहू के शासन के संरक्षण के बीच सहजीवन पैदा किया। यह मान लेना एक गलती होगी कि नेतन्याहू ने धन के हस्तांतरण की अनुमति देते समय गरीबों और उत्पीड़ित गज़ावासियों की भलाई के बारे में सोचा था। उसका लक्ष्य अब्बास को चोट पहुँचाना और इज़राइल की भूमि को दो राज्यों में विभाजित होने से रोकना था। यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि कतर और ईरान से प्राप्त धन के बिना, हमास के पास अपने आतंक के शासन को बनाए रखने के लिए धन नहीं होता, और उसका शासन संयम पर निर्भर होता। 2012 से हमास की सैन्य शाखा को मजबूत करने का काम किया है। इस प्रकार, नेतन्याहू ने अप्रत्यक्ष रूप से हमास को वित्त पोषित किया, जब अब्बास ने उसे धन प्रदान करना बंद करने का फैसला किया। इस बात को नज़रअंदाज नहीं करना महत्वपूर्ण है कि हमास ने इस पैसे का इस्तेमाल उन साधनों को खरीदने के लिए किया जिनके माध्यम से वर्षों से इजरायलियों की हत्या की जाती रही है।
इसे भी पढ़ें: जमीनी हालात का ज्ञान नहीं...UN महासचिव की किस बात पर भड़क गया इजरायल
गाजा में हमास का इतना मजबूत कंट्रोल कैसे
सुरक्षा के दृष्टिकोण से 2014 में ऑपरेशन प्रोटेक्टिव एज के बाद से नेतन्याहू को एक ऐसी नीति द्वारा निर्देशित किया गया है जिसने रॉकेट और आग लगाने वाली पतंगों और गुब्बारों के आतंकवाद को लगभग पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया है। यह याद दिलाने योग्य है कि पिछले साल नफ्ताली बेनेट और यायर लैपिड के नेतृत्व वाले अल्पकालिक गठबंधन ने एक अलग नीति अपनाई थी, जिसकी एक अभिव्यक्ति हमास के लिए नकदी से भरे सूटकेस के माध्यम से आने वाली फंडिंग को रोकना था। जब नेतन्याहू ने 30 मई, 2022 को ट्वीट किया कि हमास कमजोर बेनेट सरकार के अस्तित्व में रुचि रखता है तो वह जनता से झूठ बोल रहे थे। एविग्डोर लिबरमैन ने 7 अक्टूबर के हमले से ठीक पहले प्रकाशित एक साक्षात्कार में येदिओथ अहरोनोथ को बताया था कि नेतन्याहू ने लगातार सभी लक्षित अटैक को विफल कर दिया है। इस बात पर जोर दिया जाना चाहिए कि गाजा में हमास को प्रभारी बनाए रखने की नेतन्याहू की नीति को केवल गाजा पर भौतिक कब्जे के विरोध और प्रमुख हमास खिलाड़ियों की हत्याओं के माध्यम से अभिव्यक्ति नहीं मिली, बल्कि पीए-फतह के बीच किसी भी राजनीतिक सुलह को विफल करने के उनके दृढ़ संकल्प में भी अभिव्यक्ति मिली।
अन्य न्यूज़