चुनाव से पहले कैसे एक-एक कर जिंदा हो रहे हैं मृत राजनेता? Indonesia के बाद भारत भी इस ओर बढ़ा रहा कदम
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस लगातार अपना दायरा बढ़ा रहा है। इसे एआई कैंपेनिंग कहा जा रहा है। पाकिस्तान हो या इंडोनेशिया चुनावी दौर में इसका प्रयोग कर उसने वैश्विक रूप से आज इस पर बात करने के लिए हमें मजबूर कर दिया है।
जरा सोचिए की एक सुबह आप उठे और न्यूजपेपर के फ्रंट पेज पर बड़ी सी छपी तस्वीर में इंदिरा गांधी अयोध्या में बने राम मंदिर के प्रांगण में खड़ी नजर आ रही हो। आप टेलीविजन ऑन करे तो उसमें देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू का देश के नाम संदेश आ रहा हो। आप बोलेंगे ये भला क्या बात हुई और झट से अपने मोबाइल फोन की ओर कदम बढ़ाएंगे, फेसबुक, एक्स जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अपनी उंगलियों को स्क्रॉल करेंगे तो पाएंगे कि तीन तलाक, अनुच्छेद 370, राम मंदिर जैसे बीजेपी के कोर एजेंडे को पूरा करने के बाद भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी आपसे बीजेपी को 2024 के चुनाव में भी वोट करने की अपील करते नजर आएंगे। आप कह रहे होंगे की ये कैसी बात कर रहे हैं आज। लेकिन ये कोई कपोर कल्पना नहीं है ना ही अफवाह। इसके पीछे तकनीक का ऐसा तथ्य छिपा है। जिससे आने वाले वक्त में कई चुनौतियां देखने को मिल सकती हैं। आप सभी ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का नाम तो जरूर सुना होगा। अब यही आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस लगातार अपना दायरा बढ़ा रहा है। इसे एआई कैंपेनिंग कहा जा रहा है। पाकिस्तान हो या इंडोनेशिया चुनावी दौर में इसका प्रयोग कर उसने वैश्विक रूप से आज इस पर बात करने के लिए हमें मजबूर कर दिया है।
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इमरान का एआई अवतार
अभी हाल ही में हुए पाकिस्तान चुनाव में आपने पीटीआई के निर्दलीय उम्मीदवारों के बेहतरीन प्रदर्शन के बारे में खूब सुना होगा। जेल में बंद इमरान खान ने कैसे अपने निर्दलीय उम्मीदवारों को चुनाव में जीताया ये अपने आप में एक केस स्टडी है। इसके लिए उन्होंने एक नया तरीका अपनाया। इमरान पूरे समय जेल में रहे और कोई रैली नहीं कर सके। जेल में बैठे इमरान ने चुनाव प्रचार के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का सहारा लिया। आपको जानकर हैरानी होगी की इमरान खान ने जेल में रहते हुए उतनी ही रैलियां की जितनी की नवाज शरीफ ने बाहर रहते हुए की। फर्क बस इतना था कि इमरान खान की रैलियां आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से होती थी। जहां पहले इमरान खान जेल में रहते हुए अपने भाषण लिखते थे। इसके बाद जब उनके वकील उनसे मिलने आते थे। वो अपने भाषण की कॉपी अपने वकील को देते थे। इसके बाद ये वकील इस कॉपी को उनकी पार्टी के नेताओं तक पहुंचाते थे। उनके नेता आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से इमरान खान की आवाज में एक एआई से एक भाषण तैयार करते थे जो सोशल मीडिया के साथ-साथ पार्टी के नेता हर संसदीय क्षेत्र में लोगों को बाद में जाकर सुनाते थे।
Chairman Imran Khan's victory speech (AI version) after an unprecedented fightback from the nation that resulted in PTI’s landslide victory in General Elections 2024. pic.twitter.com/Z6GiLwCVCR
— Imran Khan (@ImranKhanPTI) February 9, 2024
आवाज के लिए इमरान खान के पुराने भाषणों से सैंपल निकाला जाता और एआई के जरिए वीडियो-ऑडियो तैयार किया जाता। पुराने वीडियो पर एआई का नया वीडियो लगाकार चुनाव में उनकी रैली कराई जाती थी। इस तरह इमरान खान की मौजूदगी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से लगातार चुनाव में रहती थी। लेकिन गौर करने वाली बात ये है कि आज इमरान खान के उम्मीदवारों को पाकिस्तान में इतनी बड़ी जीत मिली है तो इसका कारण मेन स्ट्रीम मीडिया नहीं बल्कि सोशल मीडिया है।
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इंडोनेशिया ने अपने जनरल को किया जिंदा
इमरान खान केवल एकलौते ऐसा करने वाले राजनेता नहीं है। इस मेगा चुनावी वर्ष में यह वैश्विक घटना है। कई देशों में तो राजनीतिक दल एआई का उपयोग करके मृत नेताओं को "पुनर्जीवित" कर रहे हैं। सेना के जनरल, जिन्होंने इंडोनेशिया पर तीन दशकों से अधिक समय तक मजबूत शासन किया। उनके पास आगामी चुनावों से पहले मतदाताओं के लिए एक संदेश है - पूर्व जनरल ने तीन मिनट के वीडियो में कहा कि मैं इंडोनेशिया का दूसरा राष्ट्रपति सुहार्तो हूं... इस वीडियो को एक्स पर 4.7 मिलियन से अधिक बार देखा गया और टिकटॉक, फेसबुक और यूट्यूब पर ये देखते ही देखते वायरल हो गया। लेकिन दिलचस्प बात ये है कि 2008 में 86 वर्ष की आयु में सुहार्तो की मृत्यु हो गई। वीडियो में दिखने वाला व्यक्ति इंडोनेशिया का पूर्व राष्ट्रपति नहीं एआई-जनरेटेड है और इसे जो सुहार्तो के चेहरे और आवाज को क्लोन करने वाले टूल का उपयोग करके बनाया गया। वीडियो इंडोनेशिया के लोगों को यह याद दिलाने के लिए बनाया गया था कि आगामी चुनाव में हमारे वोट कितने महत्वपूर्ण हैं।
Presiden Kedua Indonesia, Soeharto mengingatkan kita akan mimpi Indonesia maju dan sejahtera. Impian Soeharto terus disemarakan dan dilanjutkan untuk kemajuan seluruh masyarakat Indonesia oleh pemimpin-pemimpin selanjutnya. Bukti bahwa harapan Indonesia tidak boleh padam. Semua… pic.twitter.com/w5VnnFF2zE
— Erwin Aksa (@erwinaksa_id) February 5, 2024
भारत भी इस ओर बढ़ा रहा कदम
ऐसे ही कुछ भारत में भी देखने को मिला जब 23 जनवरी को भारतीय सिनेमा और राजनीति के प्रतीक एम करुणानिधि अपने 82 वर्षीय मित्र और साथी राजनेता टीआर बालू को उनकी आत्मकथात्मक पुस्तक के लॉन्च पर बधाई देने के लिए एक बड़ी स्क्रीन पर लाइव दर्शकों के सामने आए। अपने ट्रेडमार्क ब्लैक सनग्लास, सफेद शर्ट और कंधों पर पीले रंग का शॉल पहने करुणानिधि का स्टाइल हमेशा की तरह ही नजर आया। अपने आठ मिनट के भाषण में अनुभवी कवि से नेता बने करुणानिधि ने पुस्तक के लेखक को बधाई दी, इसके साथ ही अपने बेटे और राज्य के वर्तमान नेता एमके स्टालिन के सक्षम नेतृत्व की भी प्रशंसा की।
करुणानिधि का 2018 में निधन हो चुका है। पिछले छह महीनों में यह तीसरी बार था, जब द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) पार्टी के प्रतिष्ठित नेता को ऐसे सार्वजनिक कार्यक्रमों के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) का उपयोग करके पुनर्जीवित किया गया था।
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लोकप्रिय मृत नेता को कैसे किया जा रहा जिंदा
फंडा सीधा सा है। लोकप्रिय मृत नेता अक्सर जीवित लोगों की तुलना में अधिक लोगों को आकर्षित करते हैं। लेकिन क्या यह नैतिक है? मृतकों को "पुनर्जीवित" करना एक फिसलन भरा काम क्यों है। चुनावी सरगर्मीयां जोड़ों पर हैं और स्टार पावर के सहारे वोटरों को साधना ट्राई-टेस्टेड फॉर्मूला है। इन परिस्थितियों में लोकप्रिय मृत नेता अक्सर जीवित लोगों की तुलना में अधिक लोगों को आकर्षित करते हैं। सुहार्तो हो या करुणानिधि दोनों को ही मॉस लीडर माना जाता है। इसलिए पार्टियों की तरफ से लोगों को लुभाने के लिए इनके एआई वर्जन का इस्तेमाल किया जा रहा है। लेकिन क्या ये नैतिक रूप से सही है?
डीप फेक को मिलेगा बढ़ावा
मृतकों का कोई अधिकार नहीं होता है। भारत के कानून में मृतकों को किसी भी प्रकार के मानहानि के मामलों से बचाता है। लेकिन अवतार का उपयोग या आवाज इस्तेमाल करने के बारे में कुछ भी नहीं कहा गया है। हालांकि तकनीकी रूप से सम्मति जरूरी है। लेकिन इससे एक और कानूनी समस्या उत्पन्न होती है। इसकी सहमति आखिर कौन देगा? अगर अपनी मौत से पहले ही व्यक्ति ने खुद इस तरह की सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किए हो तब तो एकदम सरल है। लेकिन अगर अगर नहीं तो फिर क्या? कानूनी रूप से इसका कोई जवाब फिलहाल मौजूद नहीं है। मृतकों को एआई के माध्यम से जीवित करना वर्तमान दौर में आसान हो गया है। वर्तमान दौड़ में टेक कंपनियां डीप फेक से लड़ाई के लिए कमर कस रही है। वो इन पर सीधा बैन तो नहीं लगा रही है। लेकिन रिपोर्ट में कहा जा रहा है कि इस पर पाबंदियां लगाई जा सकती है। इनमें डिटेक्शन तकनीक के माध्यम से व वॉटर वार्क, डीप फेक कंटेट के लिए लेबल मार्क के अलावा डीप फेक मैन्युप्लिटेड कंटेट को प्लेटफॉर्म रिच को कम कर सकता है। इस पर अभी चर्चा चल रही रही है।
आने वाली है कई चुनौतियां
वर्ष 2024 चुनावों के लिहाज से एक रिकॉर्ड तोड़ने वाला वर्ष होगा। संयुक्त राज्य अमेरिका, भारत, मैक्सिको और दक्षिण अफ्रीका सहित 50 देशों के दो अरब से अधिक मतदाता अपने मतदान करेंगे। पाकिस्तान, इंडोनेशिया, बांग्लादेश, भूटान, ताइवान में चुनाव हो चुका है। वहीं भारत और अमेरिका जैसे बड़े देश भी चुनाव की मुहाने पर खड़े हैं। लेकिन क्या ये देश इस चुनौती से निपटने के लिए तैयार हैं। एक रोबो-कॉल ने अमेरिका में सनसनी मचा दी जब यूएस प्रेसिडेंट जो बाइडन के नकली ऑडियो का उपयोग करते हुए डेमोक्रेट्स से कहा जा रहा है कि वे घर पर रहें।
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