Union Budget 2023: भारत का पहला बजट, ब्लैक बजट, ड्रीम बजट, इतिहास के पन्नों से आजाद हिन्दुस्तान तक, वो बातें जो शायद आपको पता भी न होंगी

History and interesting facts of indian budget
prabhasakshi
अभिनय आकाश । Jan 30 2023 3:57PM

पहली बार बजट कब पेश किया गया था? बजट कहाँ छपा था? बजट पेश करने का समय क्या था? रेल बजट को केंद्रीय बजट में कब विलय किया गया था? इस रिपोर्ट में हम आपको इन सवालों के जवाब देने की कोशिश करेंगे।

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को संसद में बजट पेश करेंगी। 2024 के आम चुनाव से पहले यह मोदी सरकार का आखिरी पूर्ण बजट होगा। 1947 से लेकर अब तक 89 बार बजट पेश किया गया है। अब तक 26 वित्त मंत्री इसका जिम्मा उठा चुके हैं। क्या आप जानते हैं कि 2023 में पेश होने वाले बजट में आजादी से पहले से अब तक क्या और कितना बदलाव हुआ है? पहली बार बजट कब पेश किया गया था? बजट कहाँ छपा था? बजट पेश करने का समय क्या था? रेल बजट को केंद्रीय बजट में कब विलय किया गया था? इस रिपोर्ट में हम आपको इन सवालों के जवाब देने की कोशिश करेंगे।

भारत का पहला पेपरलेस बजट

ब्रिटिश परंपरा के अनुसार वित्त मंत्री बजट दस्तावेज को भूरे या लाल बैग में रखकर संसद में बजट पेश करने पहुंचते थे। यह सिलसिला 2019 में निर्मला सीतारमण के कार्यभार संभालने तक जारी रहा। 2020 में कोरोना महामारी के दस्तक देने के बाद 2021 में बजट में एक और महत्वपूर्ण बदलाव हुआ और यह पेपरलेस हो गया।

बजट पेश करने का दिन और समय

आपको बता दें कि साल 1999 तक केंद्रीय बजट पेश करने का समय और दिन तय था। ब्रिटिश काल की प्रथा के अनुसार केंद्रीय बजट फरवरी के अंतिम दिन शाम पांच बजे पेश किया जाता था। 1999 में वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने बजट पेश करने का समय बदलकर सुबह 11 बजे कर दिया। वहीं, 2017 में केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बजट पेश करने की तारीख को बदलकर 1 फरवरी कर दिया था।

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किस वित्त मंत्री ने कितनी बार बजट किया पेश

 मोरारजी देसाई 10
 पी चिंदबरम 9
 प्रणव मुखर्जी 7
 सीडी देशमुख 7
 यशवंत सिन्हा 6
 मनमोहन सिंह 6
 वाईबी चौहान 5
 टीके कृष्णमचारी 5
 अरुण जेटली 5
 निर्मला सीतारमण 5

 केंद्रीय बजट में रेल बजट का विलय

सबसे पहले 1924 में अंग्रेजों ने केंद्रीय बजट के अलावा रेलवे बजट की प्रथा शुरू की। तब से लेकर 2016 तक रेल बजट और केंद्रीय बजट अलग-अलग पेश किए जाते थे। 2017 में मोदी सरकार में वित्त मंत्री रहे अरुण जेटली ने रेल बजट को केंद्रीय बजट में मर्ज करने पर चर्चा की थी। इसके बाद बजटों के विलय की जांच के लिए एक समिति का गठन किया गया। 2017 में ही अरुण जेटली ने पहला संयुक्त केंद्रीय बजट पेश किया था।

बजट की भाषा

1955 तक केंद्रीय बजट केवल अंग्रेजी में पेश किया जाता था। इसके बाद केंद्र सरकार ने बजट के कागजात हिंदी और अंग्रेजी दोनों में छापने का फैसला किया।

बजट नॉर्थ ब्लॉक में छपते हैं

साल 1980 में केंद्र सरकार ने नॉर्थ ब्लॉक में प्रिंटिंग प्रेस लगाने का फैसला किया और तब से यहां बजट छपता है। बजट छपाई से पहले हलवा सेरेमनी का आयोजन किया जाता है। इस समारोह के बाद ही बजट की छपाई की प्रक्रिया शुरू होती है। 1950 तक बजट राष्ट्रपति भवन में छपता था। इस साल बजट लीक होने के बाद छपाई की जगह बदल दी गई। फिर बजट की छपाई की प्रक्रिया मिंटो रोड, नई दिल्ली में शुरू हुई।

भारतीय इतिहास का पहला बजट

भारतीय प्रशासन को 7 अप्रैल, 1858 को ईस्ट-इंडिया कंपनी से ब्रिटिश क्राउन में स्थानांतरित कर दिया गया था। दो साल बाद यानी 7 अप्रैल, 1860 को पहली बार बजट पेश किया गया था। बजट पेश करने वाले पहले वित्त मंत्री जेम्स विल्सन थे। इसके बाद अंतरिम सरकार के सदस्य लियाकत अली खान ने 1947-48 का बजट पेश किया। देश की आजादी के बाद भारत के पहले वित्त मंत्री शनमुखम चेट्टी ने 26 नवंबर 1947 को आजाद भारत का पहला बजट पेश किया था। ये वो दौर था जब सेना को शरणार्थियों की मदद के साथ-साथ पाकिस्तान की ओर से किए जा रहे हमले का भी सामना करना पड़ रहा था। नतीजा ये हुआ कि देश के पहले बजट में से 47 फीसदी रक्षा क्षेत्र में खर्च करना पड़ा। कुल खर्च की तुलना में वित्तीय घाटा 21 फीसदी था। 

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सबसे लंबा बजट प्रेजेंटेशन

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2020-2021 का बजट पेश करते हुए सबसे लंबा भाषण देने का रिकॉर्ड बनाया। भाषण दो घंटे 42 मिनट तक दिया गया। दूसरी ओर, सबसे छोटा बजट भाषण वित्त मंत्री हीरूभाई मुलजीभाई पटेल ने दिया। भाषण सिर्फ 800 शब्दों का था।

टैक्स स्लैब कम करने के लिए बजट

वित्त वर्ष 1997-98 में वित्त मंत्री पी चिदंबरम द्वारा पेश किए गए बजट को 'ड्रीम बजट' कहा गया था। यह शब्द बजट को दिया गया था क्योंकि इसमें व्यक्तिगत और कॉर्पोरेट करों को कम करने का प्रस्ताव था।

काला बजट

वर्ष 1973-74 में बजट को 'ब्लैक बजट' कहा गया। यह बजट वित्त मंत्री यशवंतराव बी चव्हाण ने पेश किया था. ₹550 करोड़ के उच्च बजट घाटे के कारण इसे काला बजट करार दिया गया था। यह उस समय की अधिकतम राशि थी।

जब प्रधानमंत्री ने बजट की घोषणा की

बजट आमतौर पर राष्ट्र के वित्त मंत्री द्वारा प्रस्तुत किया जाता है। हालाँकि, कई बार पूर्व प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू, राजीव गांधी और इंदिरा गांधी ने अपने प्रशासन के दौरान बजट की घोषणा की थी।

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