तीसरी लहर से पहले भारत को मिले 3 नए हथियार, कोर्बेवैक्स, कोवोवैक्स और मोलनुपिराविर के बारे में सबकुछ जानिए
कोरोना के खिलाफ लड़ाई में अब देश को तीन और नई दवाएं मिल गई हैं। इनमें से दो वैक्सीन हैं और तीसरी एक टैबलेट है। पहली वैक्सीन का नाम है कोवोवैक्स जिसे सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया ने ही बनाया है। दूसरी वैक्सीन का नाम है कोर्बेवैक्स जिसे बायोलॉजिकल ई द्वारा निर्मित किया गया है।
कोरोना की तीसरी लहर की आशंका के बीच ओमिक्रॉन वैरिएंट ने भी चिंता बढ़ा दी है। WHO का कहना है कि डेल्टा और ओमिक्रॉन की वजह से कोरोना की सुनामी आ सकती है। इस वैरिएंट का खतरा हर उम्र के लोगों को है। हर एक देश अपने नागरिकों के वैक्सीनेशन में जुटा है। वैक्सीन जो ना सिर्फ कोरोना से लड़ने में कारगर हो बल्कि लोगों को निश्चित करे और यह भरोसा दें कि- ऑल इज वेल। हम सब इस बात को जानते हैं कि कोरोना के खिलाफ लड़ाई में वैक्सीन ही सबसे बड़ा हथियार है। कोरोना के खिलाफ लड़ाई में अब देश को तीन और नई दवाएं मिल गई हैं। इनमें से दो वैक्सीन हैं और तीसरी एक टैबलेट है। पहली वैक्सीन का नाम है कोवोवैक्स जिसे सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया ने ही बनाया है। दूसरी वैक्सीन का नाम है कोर्बेवैक्स जिसे बायोलॉजिकल ई द्वारा निर्मित किया गया है। इसके अलावा एक एंटी कोविड टैबलेट को भी सरकार ने मंजूरी दे दी है। यानी अब थोड़े दिन के बाद आप कोविड के लिए गोली भी खा सकते हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि कोर्बेवैक्स और कोवोवैक्स दोनों ही भारत की पहली स्वदेशी रूप से विकसित की गई प्रोटीन बेस्ड सब यूनिट वैक्सीन है। कोवोवैक्स भारत में बनी तीसरी कोविड की वैक्सीन है।
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केंद्र सरकार ने कोविड-19 के दो टीके और एक एंटी वायरल दवा को आपात स्थिति में इस्तेमाल की मंजूरी दे दी है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने 28 दिसंबर को ये जानकारी दी। उन्होंने अपने एक ट्विट में लिखा कि कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई को और मजबूत करने के लिए सेंट्रल ड्रग्स कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन और स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोरोना की दो वैक्सीन कोर्बेवैक्स और कोवोवैक्स के साथ एक एंटी वायरल दवा मोलनुपिराविर के आपात इस्तेमाल को मंजूरी दी है। आज के इस विश्लेषण में आपको तीसरी लहर से पहले मिले 3 नए हथियार के बारे में सबकुछ विस्तार से बताते हैं।
कोर्बेवैक्स वैक्सीन
ये भारत का स्वदेशी प्रोटीन सबयूनिट वैक्सीन है, जिसे हैदराबाद स्थित बायोलॉजिकल ई द्वारा निर्मित किया गया है। कोर्बेवैक्स आरबीडी प्रोटीन सब यूनिट वैक्सीन है। ये देश की पहली प्रोटीन बेस्ड और देश में ही विकसित तीसरी वैक्सीन है। प्रोटीन सबयूनिट का मतलब है कि पूरे वायरस के बजाय उसके एक हिस्से का इस्तेमाल कर इम्यून रिस्पॉन्स जेनरेट करता है। वैक्सीन में कोरोना वायरस के ही प्रोटीन का इस्तेमाल होता है। जैसे ही वैक्सीन के जरिए ये प्रोटीन बॉडी में जाती है बॉडी का इम्यून सिस्टम एक्टिवेट हो जाता है।
कितनी जल्द मिलेगी ये?
टीका कंपनी बायोलॉजिकल ई लिमिटेड (बीई) की अपने कोविड-19 टीके कोर्बेवैक्स का उत्पादन 7.5 करोड़ खुराक प्रति महीने की दर से करने की योजना है। कंपनी ने कहा है कि फरवरी 2022 से वो टीके की हर महीने 10 करोड़ से अधिक खुराकों का उत्पादन कर पाने की स्थिति में होगा।
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कौन सी कंपनियां बनाएंगी और कितना असरदार है?
इस टीके को बायोलॉजिकल ई लिमिटेड ने टेक्सस चिल्ड्रंस हॉस्पिटल के टीका विकास केंड्र के साथ मिलकर बनाया हैय़ इसके अलावा टेक्सस के ह्यूटन स्थित बेलॉर कॉलेज ऑफ मेडिसिन ने भी इसमें अहम भूमिका निभाई है। कोर्बेवैक्स के भारत के 33 स्थानों पर हुए ट्रायल में 18-80 वर्ष। की उम्र के 3 हजार से अधिक लोग शामिल हुए। बायोलॉजिकल ई ने देशभर की 33 से ज्यादा साइट पर 3 हजार से ज्यादा लोगों पर वैक्सीन का ट्रायल किया है। ट्रायल के नतीजों में सामने आया है कि डेल्टा स्ट्रेन के खिलाफ सिम्पटमैटिक इंफेक्शन रोकने में वैक्सीन 80% से ज्यादा कारगर है। ये वैक्सीन दो डोज में आएगी और 2 से 8 डिग्री सेल्सियस रेफ्रिजिरेटेड तापमान पर स्टोर की जा सकेगी।
कोवोवैक्स
सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया को कोवोवैक्स के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन ने आपात मंजूरी दी थी। ये नैनो पार्टिकल वैक्सीन है। एसआईआई अमेरिकी जैव प्रौद्योगिकी कंपनी नोवावैक्स के लाइसेंस के तहत भारत में इस वैक्सीन का उत्पादन कर रही है। ये बैक्यूलोवायरस से बनी है जिसमें कोविड-19 के स्पाइक प्रोटीन का एक जीन होता है।
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कौन सी कंपनियां बनाएंगी और कितना असरदार है?
इसे पुणे की कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ बनाएगी। विश्न स्वास्थ्य संगठन और यूरोपीय मेडिसिन एजेंसी इसे पहले ही मंजूरी दे चुकी है। हालिया स्टडी में पता लगा है कि कोवोवैक्स ओमिक्रॉन के खिलाफ इम्यूनिटी पैदा करने में कामयाब रही है। सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने कहा है कि वैक्सीन की इफेक्टिवनेस पता करने के लिए फेज-3 के दो अलग-अलग ट्रायल किए गए हैं। ब्रिटेन में किए गए ट्रायल में वैक्सीन कोरोना के ओरिजिनल स्ट्रेन पर 96.4% अल्फा पर 86.3% और ओवरऑल 89.7% इफेक्टिव रही है।
कितनी डोज में आएगी
ये वैक्सीन दो डोज में आएगी और 2 से 8 डिग्री सेल्सियस रेफ्रिजिरेटेड तापमान पर स्टोर की जा सकेगी। कोरोना से गंभीर और सामान्य लक्षणों को रोकने में वैक्सीन 100% कारगर रही है। 20 दिसंबर को WHO ने कोवोवैक्स को इमरजेंसी यूज की मंजूरी दी है।
क्या है मोलनुपिराविर
प्रमुख दवा निर्माता सिप्ला को भारतीय दवा महानियंत्रक (डीसीजीआई) से देश में कोविड-19 के इलाज में उपयोगी एंटीवायरल दवा मॉलनुपिरेविर के आपातकालीन उपयोग की अनुमति मिली है। उसकी योजना इस दवा को सिप्मोलनु ब्रांड नाम के तहत पेश करने की है। ये ब्रिटेन के ड्रग रेग्युलेटर की ओर से मंजूरी पाई पहली ओरल (मुंह से ली जाने वाली) एंटीवायरल दवा है। ये दवा शरीर में कोविड-19 को बढ़ने से रोकती है। इस गोली को पांच दिन तक दिन में दो बार लेना होगा।
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किन मरीजों को दी जा सकेगी?
इस दवा को भारत के अलावा निम्न एवं मध्यम आय वाले 100 से अधिक देशों में भी मुहैया कराने की योजना है। इससे पहले दिन में सरकार ने कोविड-19 के इलाज में मॉलनुपिरेविर (गोली) के आपात स्थिति में नियंत्रित उपयोग की अनुमति दी थी। इसे वयस्क मरीजों और बीमारी से ज्यादा खतरे वाले लोगों को दिया जाएगा। ये हल्के से मध्य कोविड उपचार के लिए है। इसे ऐसे मरीज ले सकेंगे जिन्हें कोविड से गंभीर बीमारी विकसित होने का रिस्क ज्यादा है। इस दवा का उपयोग उन रोगियों के इलाज के लिए किया जाता है जो अस्पताल में भर्ती नहीं है।
कौन सी कंपनियां बनाएंगी और कितना असरदार है?
देश में 13 कंपनियां इसे बनाएंगी जिसमें सिप्ला प्रमुख है। दवा कंपनी सन फार्मा को भी मॉलनुपिरेविर के विपणन के लिए डीसीजीआई की मंजूरी मिल गई है। ऑप्टिमस फार्मा ने भी एक या दो दिन में भारतीय बाजार में मोलनुपिराविर पेश करने की घोषणा की है। क्लिनकल ट्रॉयल में देखा गया है कि अगर मरीज इस एंटी वायरल दवा को बीमारी की शुरुआत में ही ले लेता है तो इससे अस्पताल में भर्ती होने और मौते होने का रिस्क 30 प्रतिशत तक कम हो जाता है।
-अभिनय आकाश
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