उन्होंने बहुत कड़ा संज्ञान लिया (व्यंग्य)

neta
Prabhasakshi

मज़ा आता है जब पुराने, अनुभवी, तेज़ तर्रार क़ानून के साथ खिलवाड़ करने वाले माफिया के खिलाफ नई सख्त कार्रवाई के आदेश दिए जाते हैं। यह भुला दिया जाता है कि ऐसी कारवाई से तबादले अविलम्ब हो जाते हैं, इंसानी शरीर डरने लगते हैं और आदेश पैदा होते ही घबराना शुरू कर देते हैं।

अपने चुनाव क्षेत्र में, माफिया के सक्रिय होने की सिर्फ एक खबर पढ़कर मंत्रीजी ने, सम्बंधित मामले में कुछ ज़्यादा ही कड़ा संज्ञान लिया। तुरंत बेहद सख्त कार्रवाई के स्पष्ट आदेश क्या दिए, माहौल में पंद्रह बीस दिन के लिए तो हडकंप मच गया। सरकार जब नई नई हो, पुराना प्रशासन ढीला पड़ा हो, कई तरह के माफिया और विपक्ष सक्रिय हों तो कुछ छोटा सा भी हो जाने पर हंगामा बैठक रखनी ही पड़ती है। यह तो बड़ी घटना थी जी, सो कड़ा संज्ञान ज़रूरी था। वह बात दीगर है कि ज़ोरदार और शोरदार बैठक में, समोसे और चाय ठंडे हो गए।  

मज़ा आता है जब पुराने, अनुभवी, तेज़ तर्रार क़ानून के साथ खिलवाड़ करने वाले माफिया के खिलाफ नई सख्त कार्रवाई के आदेश दिए जाते हैं। यह भुला दिया जाता है कि ऐसी कारवाई से तबादले अविलम्ब हो जाते हैं, इंसानी शरीर डरने लगते हैं और आदेश पैदा होते ही घबराना शुरू कर देते हैं। हमारी पारम्परिक आदेश संस्कृति यही रही है जी। माफियाजी को पता होता है कि कुछ दिन हल्ला होगा फिर सब सामान्य हो जाएगा। वह मन ही मन खुश होते हैं कि इस बहाने उन्हें ज़्यादा चौकस रहने का मौक़ा मिलेगा।

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किसी को पता नहीं था इसलिए मंत्रीजी ने यह राज़ सभी को बताया कि वन भूमि पर अवैध खनन करना, हरी भरी वनस्पति को हानि पहुंचाना मानव जीवन का सबसे बड़ा अपराध है। बताया जा रहा है, कड़ा संज्ञान लेने की ज़बर्दस्त खबर मात्र से, पिछले कई सालों से सुस्त पड़े कई विभाग हरकत में आ गए हैं। उन्होंने आराम से बैठने के लिए नया फर्नीचर मंगाया है ताकि माफिया से निबटने के लिए कुछ नई ठोस योजनाएं पकाई जा सकें। वास्तव में माफियाजी तो ऐसा पुण्य करने के लिए कब से तैयार थे। अब उन्हें अवसर मिला है, उम्मीद है कड़े संज्ञान के सामयिक कदम से काफी लोगों का भला होगा। सभी समझदार व्यवसायी थोड़ी बहुत रोकटोक के साथ पर्यावरण की ज्यादा देखभाल कर पाएंगे। कोर्ट के आदेशों की विनम्र अवहेलना कर विकास योजनाओं को समृद्ध कर सकेंगे।  

इस संज्ञान के बहाने विपक्ष का भला भी हो गया है। उन्हें काफी समय से सरकार का पुतला बनवाकर चौक पर उसकी पिटाई करने का सुअवसर नहीं मिल रहा था। हालांकि जब वे सरकार चला रहे थे तब भी माफिया को पटाए रखने के लिए उन्हें भी काफी कड़ा संज्ञान, कई बार लेना पडा था। तब भी बड़ी मुश्किल से बात बनी थी। यह नहीं पता कि उन्होंने अभी लिए गए कड़े संज्ञान से ज़्यादा कड़ा संज्ञान लिया था या काम चलाऊ नरम संज्ञान। कुछ भी हो जी, मंत्रीजी के ताज़ातरीन कड़े संज्ञान के कारण, परिस्थितिवश सोच विचार कर, माफिया को भी सीमाओं से बाहर जाकर, सामूहिक रूप से कड़ा संज्ञान लेना पड़ा है।

- संतोष उत्सुक

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