मोटापा न आने दो (बाल कहानी)
स्कूल जाना शुरू हुआ तो आभास को नए सहपाठी मिले जिनमें से कई उसके मित्र बने। उसकी छोटी बहन अनुभूति उससे पिछली क्लास में थी उसे भी नई सहेलियां मिल गई। उन दोनों के कई सहपाठी उनके अड़ोस पड़ोस में ही रहते थे। वे रोजाना मिल सकते थे।
पापा की ट्रांसफर शहर में होने के कारण आभास बहुत खुश था और उत्साहित भी। अब उसके नए दोस्त बनेंगे, वह नई चीज़ें खरीदेगा और नई जगहों पर घूमेगा। शहर में घर लेने के बाद पापा ने कहा कि हमें शहर में रहने का फायदा उठाना चाहिए। पढ़ाई, खेलकूद व अन्य गतिविधियों में भी भरपूर हिस्सा लेना चाहिए। उसके नए स्कूल में सभी सुविधाएं उपलब्ध थी।
स्कूल जाना शुरू हुआ तो आभास को नए सहपाठी मिले जिनमें से कई उसके मित्र बने। उसकी छोटी बहन अनुभूति उससे पिछली क्लास में थी उसे भी नई सहेलियां मिल गई। उन दोनों के कई सहपाठी उनके अड़ोस पड़ोस में ही रहते थे। वे रोजाना मिल सकते थे। उसके कई मित्र खाने के शौक़ीन थे इसलिए पढ़ाई लिखाई के साथ मनपसंद खाने की बातें भी होती थी। उनको फ़ास्ट फूड बहुत पसंद था। स्कूल के आसपास जंक फ़ूड के आउटलेट्स खुले हुए थे। स्कूल समय के बाद बच्चे वहां मोमो, स्प्रिंग रोल, पास्ता, पित्ज़ा और भी काफी कुछ खाते थे।
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आभास पहले कभी कभार ही ऐसी चीजें खा पाता था क्यूंकि जहां वह रहता था कम मिलती थी। वह खाने का बहुत शौक़ीन था इसलिए उसे जब यह चीज़ें नियमित खाने को मिलने लगी तो स्वाद स्वाद में ज्यादा खाने लगा। ज्यादा समय नहीं लगा, उसका वज़न बढ़ने लगा। दो महीने में ही उसका पेट निकल आया, कुछ दिन बाद कमीज़ के निचले बटन मुश्किल से बंद होने लगे। कमर पर पैंट कसने लगी तो उसकी मम्मी ने उसे कहा, “आभास मुझे पता है तुमने जंक फूड ज्यादा खाना शुरू कर दिया है। तुम्हारा वज़न बढ़ रहा है।”
आभास ने कहा, “आपको पता तो है मम्मी, मुझे यह खाना बहुत स्वाद लगता है। पहले मैं कहां खा पाता था। अभी चांस मिला है।” मम्मी ने समझाया कि तुम पहले कभी कभी खाते थे तो तुम्हारे शरीर पर ज़्यादा असर नहीं होता था। तुम्हारा स्कूल भी घर से दूर था। गांव में पैदल भी चलते थे। यहां स्कूल पास भी है और जंक फूड की दुकानें भी। तुम अभी से ध्यान रखो नहीं तो मोटे हो जाओगे। एक बार मोटापा आ गया तो वापिस नहीं जाएगा।”
आभास ने सोचा उसके कपडे ही तंग होंगे, तो नए खरीद लेंगे। उसने मम्मी की चेतावनी पर ध्यान नहीं दिया। उसका वज़न और बढ़ने लगा। कभी कभार ही उसके मन में आता कि आज नहीं खाएगा लेकिन अपने सहपाठियों के कहने और दुकान से आ रही उसकी मनपसंद खुशबू के कारण, उसकी जीभ उसे फिर वहां ले जाती और वह खा लेता। उसे सुस्ती भी आने लगी। वह सुबह भी देर से उठने लगा।
एक बार फिर उसकी मम्मी ने उसे चेताया कि वह मोटा हो रहा है तो उसने कहा कि वह व्यायाम कर, अपना बढ़ा हुआ पेट कम कर लेगा। लेकिन कई दिन बीतने पर भी जब उसने कुछ नहीं किया तो उसकी मम्मी ने पापा से कहा।
रविवार को पापा ने उसे बुलाया और समझाया, “बेटा, जंक फूड खाने से आप मोटे होते जा रहे हो। आपका पेट बाहर निकल गया है। मोटापा एक बार आ जाए तो वापिस जाना मुश्किल होता है। अगर विद्यार्थी जीवन से ही संतुलित खाना खाओ और व्यायाम करो तो शरीर चुस्त रहता है। मोटापा कई बीमारियों का कारण है। अच्छे स्वास्थ्य का कोई विकल्प नहीं। तुमको अनुशासन में रहकर खाना चाहिए ताकि पसंद का सब कुछ खा सको और वज़न भी न बढे। मुझसे वायदा करो कि तुम बढ़ा हुआ वज़न, एक महीने में कम कर लोगे, नहीं तो मुझे सख्ती करनी पड़ेगी।”
आभास को पापा की बात अब समझ में आ गई। उसने पापा से वायदा किया कि वह जंक फूड खाना, बिलकुल बंद कर देगा। अपना वज़न घटाने और पेट अन्दर करने के लिए व्यायाम करेगा ताकि पापा से किया वायदा निभा सके।
सोमवार को स्कूल जाते समय उसने जंक फूड की दुकानों की तरफ देखा तक नहीं। आभास ने निश्चय कर लिया था कि अब उसने खुद को बदलना ही है।
- संतोष उत्सुक
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