दीपावली के अवसर पर जगमग विचार (व्यंग्य)
हर सुबह पुन: स्मरण करना ज़रूरी है कि ज़िंदगी सिर्फ एक बार मिली है। इसे तन, मन और धन से जीना ज़रूरी है। बड़े बड़े विचारक, उपदेशक भी तो अपने तरीके से यही कहते हैं। जीवन तो है ही, अस्त व्यस्त रहते हुए भी मस्त रहे का नाम।
दीपावली के वार्षिक शुभ अवसर पर, सबसे महत्त्वपूर्ण धार्मिक कर्तव्य है, बिना सूझबूझ शापिंग कर अपनी समझदारी का दिवाला निकलवाना। मकान की ज्यादा साफ़ सफाई करने की ज़रूरत नहीं है, हम तो अपनी नहीं करते। पुरानी प्रिय वस्तुओं से प्रेम भाव बनाए रखिए। सभी ने कई चीज़ें बिना सोचे समझे, आँखें खोलकर खरीद ली होती हैं मगर कभी प्रयोग नहीं की होती उन्हें अगले साल दीपावली से पहले प्रयोग करने का संकल्प लें। खूब सामान के मालिक होने पर गर्व महसूस करें। बाज़ार, दिखावटी जीवन शैली के विज्ञापनों से प्रभावित होते रहें ताकि किसी से ईर्ष्या द्वेष न हो। अपनी सामर्थ्य से ज्यादा ही खरीद कर सम्मानित महसूस करें।
हर सुबह पुन: स्मरण करना ज़रूरी है कि ज़िंदगी सिर्फ एक बार मिली है। इसे तन, मन और धन से जीना ज़रूरी है। बड़े बड़े विचारक, उपदेशक भी तो अपने तरीके से यही कहते हैं। जीवन तो है ही, अस्त व्यस्त रहते हुए भी मस्त रहे का नाम। अब इंसान, इंसान के लिए हर तरह का विकास करता ही जा रहा है। अचरज में डालने वाली एक से एक वस्तु बनाए जा रहा है। इतने कुछ में से जितना कुछ खरीद सकते हैं खरीद लेना चाहिए। खाने की बात करें तो नवोन्मेषी सम्मिश्रण से नए नए स्वाद पका रहा है। मेहनती लोग वीडियो बना रहे हैं और खिला रहे हैं। एक ज़िंदगी में, जो भी खा सकें खा लेना चाहिए नहीं तो सारा जीवन शाकाहारी और मांसाहारी करते गुज़र जाएगा। बेचारे अंडे को मांसाहारी बताते हैं और दूध व दही को शाकाहारी जबकि तकनीकी रूप से दोनों मांसाहारी है।
इसे भी पढ़ें: उपहारों की दीपावली (व्यंग्य)
कुछ लोग कहते हैं कि ज़रूरत से ज्यादा चीज़ों के इक्कठी कर लेने से उनकी संभाल नहीं हो पाती, सामान प्रयोग नहीं हो पाता, अव्यवस्थित हो जाता है जिससे तनाव होता है। तनाव तो इंसान को चौक्कना रखता है। जो चीज़ अपना पैसा खर्च कर, समझदारी में पसंद प्रयोग कर खरीदी हो उसे इंसान प्यार ही करेगा। सारा साल सामाजिक मसलों पर शांत रहने वाले, दीपावली पर पर्यावरण रक्षा की बातों की शापिंग करने लगते हैं। जो लोग भावना प्रधान समाज की सुकोमल भावनाओं को ठेस पहुंचाते हैं जनता उन्हें भी ज्यादा पसंद नहीं करती।
निरंतर शापिंग ने तनाव भरी ज़िंदगी में, मनपसंद निर्मल आनंद की झील का निर्माण किया है। इसलिए दीपावली के शुभ अवसर पर जितना भी सामान खरीदकर लाएं या मंगवाएं, उसे सोफा पर सजाकर, बीच में पसंदीदा ड्रेस में बैठकर सेल्फी लेकर, अप्लोड करने में देर नहीं करनी चाहिए। फिर देखिए आपके शत्रु और मित्र कैसे आपसे जलते हैं और आपकी एक बार मिली ज़िंदगी संतुष्टि से लबालब हो जाती है।
किसी की बातों में न आइए। गलत लेख मत पढ़िए। सिर्फ अपने बारे सोचिए और जितनी कर सकते हैं फालतू शापिंग कर डालिए लेकिन सोच समझकर।
- संतोष उत्सुक
अन्य न्यूज़