Nautapa 2024: 25 मई से 2 जून तक रहेगा नौतपा, 24 वर्ष बाद नौतपा की अवधि में अस्त रहेंगे गुरु-शुक्र ग्रह
ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि जब सूर्य रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करता है तो ग्रीष्म ऋतु शुरू हो जाती है, जो हर साल 25 मई से 2 जून तक रहती है। इस बार भी सूर्य 25 मई की सुबह 3:15 मिनट पर रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करेगा और 8 जून तक यहीं रहेगा।
नौतपा तब होता है जब सूर्य रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करता है। यह हर साल आता है और इस दौरान 9 दिनों तक सूर्य देव उग्र रूप में रहते हैं। सूर्य के रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करते ही पृथ्वी का तापमान बढ़ जाता है और भीषण गर्मी का सामना करना पड़ता है। इस दौरान सूर्य की किरणें धरती पर सीधी पड़ती हैं, लेकिन इस बार शुक्र व गुरु का तारा अस्त होने से इसका प्रभाव कम रहेगा। माना जाता है नौतपा जितना तपता है, उतनी अच्छी वर्षा होती है। इस बार वृष राशि में गोचर कर रहे गुरु और शुक्र के साथ सूर्य रहने से त्रिग्रही योग भी बनेगा। करीब 24 वर्ष बाद नौतपा की अवधि में गुरु और शुक्र दोनों ग्रह अस्त भी रहेंगे। पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि सूर्य 25 मई को 3:15 मिनट पर रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करेंगे। इसके बाद नौ दिन का नौतपा रहेगा। इसके साथ ही सूर्य देव 8 जून को 1:04 मिनट तक रोहिणी नक्षत्र में रहेंगे। 8 जून को ही सूर्य देव मृगशिरा नक्षत्र में प्रवेश कर जायेंगे और 15 जून को मिथुन राशि में प्रवेश करेंगे। रोहिणी नक्षत्र में सूर्यदेव के प्रवेश से नौतपा भी प्रारंभ हो जाएंगे। नौतपा से आशय सूर्य का नौ दिनों तक अपने सर्वोच्च ताप में होना है यानि इस दौरान गर्मी अपने चरम पर होती है।
ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि चंद्र देव रोहिणी नक्षत्र के स्वामी हैं, जो शीतलता का कारक हैं, परंतु इस समय वे सूर्य के प्रभाव में आ जाते हैं। जब सूर्य रोहिणी नक्षत्र में 15 दिनों के लिए आता है तो उन पंद्रह दिनों के पहले नौ दिन सर्वाधिक गर्मी वाले होते हैं। इन्हीं शुरुआती नौ दिनों को नौतपा के नाम से जाना जाता है। ज्येष्ठ मास की ग्रीष्म ऋतु में नवतपा को अधिक गर्मी का संकेत माना जाता है। नवतपा शुक्ल पक्ष में आर्द्रा नक्षत्र से 9 नक्षत्रों तक यानी 9 दिनों तक रहता है। यह आवश्यक नहीं है कि नवतपा में अधिक गर्मी हो। आर्द्रा के 10 नक्षत्रों तक, जो सबसे अधिक गर्मी प्राप्त करता है, बाद में सूर्य उस नक्षत्र में 15 दिनों तक रहता है और अच्छी वर्षा होती है। नौतपा की शुरुआत भी रोहिणी नक्षत्र से होगी। नवतपा में तेज हवा के साथ बवंडर और बारिश की संभावना रहती है। नौतपा समय की ग्रह स्थिति तेज हवा, बवंडर और बारिश का संकेत दे रही है। इस बार 25 मई से नौतपा शुरू होंगे और 2 जून तक रहेंगे।
नौतपा कब होगा शुरू
ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि जब सूर्य रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करता है तो ग्रीष्म ऋतु शुरू हो जाती है, जो हर साल 25 मई से 2 जून तक रहती है। इस बार भी सूर्य 25 मई की सुबह 3:15 मिनट पर रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करेगा और 8 जून तक यहीं रहेगा। 8 जून के बाद यह मृगशिरा नक्षत्र में चला जाएगा। सूर्य जितने दिनों तक रोहिणी नक्षत्र में रहता है। पृथ्वी भी उतने ही दिनों तक अत्यधिक गर्मी का अनुभव करती है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार गर्मी का मौसम 9 दिनों तक रहता है। यानी पृथ्वी पर लोगों को 9 दिनों तक अत्यधिक गर्मी का सामना करना पड़ता है।
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प्रभाव
ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि नौतपा के कारण संक्रमण में कमी आयेगी। संक्रमण का असर न्यूनतम होगा। लोगों में अनुकूलता और आरोग्यता भी बढ़ेगी। खगोल विज्ञान के अनुसार इस दौरान धरती पर सूर्य की किरणें सीधी लम्बवत पड़ती हैं। जिस कारण तापमान अधिक बढ़ जाता है। यदि नौतपा के सभी दिन पूरे तपें, तो यह अच्छी बारिश का संकेत होता है।
पौराणिक महत्व
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि नौतपा का ज्योतिष के साथ-साथ पौराणिक महत्व भी है। ज्योतिष के सूर्य सिद्धांत और श्रीमद् भागवत में नौतपा का वर्णन आता है। कहते हैं जब से ज्योतिष की रचना हुई, तभी से ही नौतपा भी चला आ रहा है। सनातन सस्कृति में सदियों से सूर्य को देवता के रूप में भी पूजा जाता रहा है। नौतपा को लेकर लोक मान्यता है कि नौतपा के सभी दिन पूरे तपें, तो आगे के दिनों में अच्छी बारिश होती है। ज्योतिषों का कहना है कि चंद्रमा जब ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष में आर्द्रा से स्वाति नक्षत्र तक अपनी स्थितियों में हो और इसके साथ ही अधिक गर्मी पड़े, तो वह नौतपा कहलाता है। वहीं अगर सूर्य रोहिणी नक्षत्र में होता है तो उस दौरान बारिश हो जाती है तो इसे रोहिणी नक्षत्र का गलना भी कहा जाता है।
मानसून का गर्भकाल
कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि मान्यता है कि सूर्य की गर्मी और रोहिणी के जल तत्व के कारण यह मानसून का गर्भ आ जाता है और इसी कारण नौतपा को मानसून का गर्भकाल माना जाता है। ऐसे में जब सूर्य रोहिणी नक्षत्र में होता है तो उस समय चंद्रमा नौ नक्षत्रों में भ्रमण करते हैं।
परंपरा
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि परंरपरा के अनुसार नौतपा के दौरान महिलाएं हाथ पैरों में मेहंदी लगाती हैं। क्योंकि मेहंदी की तासीर ठंडी होने से तेज गर्मी से राहत मिलती है। इन दिनों में पानी खूब पिया जाता है और जल दान भी किया जाता है ताकि पानी की कमी से लोग बीमार न हो। इस तेज गर्मी से बचने के लिए दही, मक्खन और दूध का उपयोग ज्यादा किया जाता है। इसके साथ ही नारियल पानी और ठंडक देने वाली दूसरी और भी चीजें खाई जाती हैं। लोगों को बिना कुछ खाए घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए। इस दौरान आवश्यकतानुसार ग्लूकोज का सेवन भी करते रहना चाहिए। इन दिनों लोगों को मुलायम और सूती कपड़े पहनने चाहिए। इस अवधि के दौरान लोगों को तली-भुनी और मसालेदार चीजों का सेवन भी नहीं करना चाहिए और बासी खाना खाने से बचना चाहिए।
क्या करें और क्या न करें
भविष्यवक्ता डा. अनीष व्यास ने बताया कि ग्रहों और नक्षत्रों के प्रभाव में नौतपा 25 मई से शुरू हो रहा है। नौतपा के दिनों में विवाह जैसी मांगलिक यात्रा में विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। ग्रहों की स्थिति को देखते हुए देश के पूर्व, पश्चिम और दक्षिण में प्राकृतिक आपदाएं पैदा हो रही हैं। यह नौतपा 02 जून तक चलेगा। नौतपा के दौरान सूर्य रोहिणी नक्षत्र में रहता है। इसके फलस्वरूप सूर्य की सीधी किरणें पृथ्वी पर पड़ती हैं, इस दौरान अत्यधिक भीषण गर्मी देखी जा सकती है। सूर्य की मौजूदा स्थिति अशुभ फल दे सकती है। वृष राशि वालों के लिए वर्तमान समय खराब है।
सूर्य की आराधना
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि रोहिणी नक्षत्र के दौरान सूर्य की आराधना करना विशेष फलदायी होता है। सुबह सूर्योदय के पहले स्नान कर सूर्य को अर्घ दें। जलपात्र में कंकूम डाले और सूर्य को जल चढ़ाए। जल चढ़ाते समय सूर्यदेव का मंत्र ऊं घृणि सूर्याय नमः, या ऊँ सूर्यदेवाय नमः का निरंतर जाप करें।
- डा. अनीष व्यास
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक
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