July Vrat & Tyohar List 2024: योगिनी एकादशी से लेकर सावन के सोमवार तक, जानिए जुलाई माह के प्रमुख व्रत-त्योहार

July Vrat Tyohar List 2024
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इस महीने आषाढ़ अमावस्या, विवस्वत सप्तमी, कोकिला व्रत आदि किए जाएंगे। वहीं ग्रह-नक्षत्रों के लिहाज से भी यह महीना काफी शुभ होने वाला है। हम आपको जुलाई माह में पड़ने वाले प्रमुख व्रत-त्योहारों के बारे में बताने जा रहे हैं।

व्रत-त्योहार के लिहाज से जुलाई का महीना काफी विशेष होने वाला है। क्योंकि इस महीने गुप्त नवरात्रि, सावन की शुरूआत और जगन्नाथ रथयात्रा समेत कई अन्य प्रमुख तिथियों और त्योहारों की शुरूआत हो रही है। इस महीने दो बड़ी एकादशी पड़ रही हैं। जिसमें योगिनी एकादशी और देवशयनी एकादशी हैं। फिर गुरु पूर्णिमा के बाद पवित्र सावन महीने की शुरूआत होगी। सावन में शिव भक्त सोमवार के व्रत करते हैं।

इस तरह से जातक जुलाई के महीने में भगवान शंकर और श्रीहरि विष्णु दोनों का आशीर्वाद प्राप्त कर पाएंगे। इस महीने आषाढ़ अमावस्या, विवस्वत सप्तमी, कोकिला व्रत आदि किए जाएंगे। वहीं ग्रह-नक्षत्रों के लिहाज से भी यह महीना काफी शुभ होने वाला है। ऐसे में आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको जुलाई माह में पड़ने वाले प्रमुख व्रत-त्योहारों के बारे में बताने जा रहे हैं।


योगिनी एकादशी

आषाढ़ महीने के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को योगिनी एकादशी का व्रत किया जाएगा। यह व्रत भगवान श्रीहरि विष्णु को समर्पित होता है। इस दिन जगत के पालनहार श्रीहरि विष्णु की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाती है। इससे जातक के घर में सुख-समृद्धि का वास होता है। इस बार योगिनी एकादशी के मौके पर सर्वाथ सिद्धि योग और त्रिपुष्कर योग का निर्माण हो रहा है।

आषाढ़ अमावस्या

वहीं आषाढ़ माह की कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को आषाढ़ अमावस्या का पर्व मनाया जाएगा। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने का विधान है। वहीं इस दिन पितरों का तर्पण, श्राद्ध कर्म और पिंड दान आदि भी किया जाता है। वहीं अगर आप पवित्र नदी में स्नान नहीं कर सकते हैं, तो घर में नहाने वाले पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान कर सकते हैं।

गुप्त नवरात्रि

आषाढ़ माह में पड़ने वाली गुप्त नवरात्रि की 06 जुलाई 2024 से शुरूआत हो रही है। वहीं 15 जुलाई 2024 को इसकी समाप्ति होगी। गुप्त नवरात्रि के मौके पर मां दुर्गा की 10 महाविद्याओं की पूजा-अर्चना की जाती है। बता दें कि साल में 4 नवरात्रि होती हैं। चैत्र और आश्विन मास की नवरात्रि को धूमधाम से मनाई जाती है वहीं आषाढ़ और माघ मास की नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि कहा जाता है।

जगन्नाथ रथ यात्रा

इसके साथ ही इस महीने की शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि से जगन्नाथ रथ यात्रा की शुरूआत होती है। इस दौरान भगवान जगन्नाथ अपने दाऊ बलराम और बहन सुभद्र के साथ अपनी मौसी के घर घूमने जाते हैं। सनातन धर्म में जगन्नाथ रथयात्रा का विशेष महत्व माना जाता है। रथ यात्रा में देश ही नहीं बल्कि विदेशों से भी भक्त शामिल होते हैं।

विवस्वत सप्तमी

आषाढ़ माह की शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को विवस्वत सप्तमी का पर्व मनाया जाएगा। इस दिन भगवान सूर्य देव और सूर्य पुत्र वैवस्वत मनु की पूजा की जाती है। मान्यता के अनुसार, इस दिन जो भी जातक विधि-विधान से पूजा-अर्चना करने से सभी परेशानियों का अंत हो जाता है।

हरिशयनी एकादशी

आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को हरिशयनी एकादशी व्रत किया जाएगा। हरिशयनी एकादशी को देवशयनी, विष्णु-शयनी एकादशी और आषाढ़ एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता के मुताबिक इस दिन से जगत के पालनहार भगवान श्रीहरि विष्णु चार महीने के लिए निद्रा में चले जाते हैं। इस दिन से चतुर्मास की शुरूआत होती है और सभी शुभ कार्यों पर रोक लग जाती है। हरिशयनी एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति के सभी पाप दूर होते हैं। वहीं इस दिन मुहर्रम भी मनाया जाएगा।

कोकिला व्रत

हर साल आषाढ़ माह की शुक्ल पक्ष चतुर्दशी तिथि को कोकिला व्रत किया जाएगा। इस दिन मां पार्वती की कोकिला यानी कोयल स्वरूप की पूजा-अर्चना की जाती है। इस दिन से आषाढ़ माह की चतुर्दशी तिथि की शुरूआत हो रही है। जो सावन माह की पूर्णिमा तक चलता है। मान्यता के अनुसार, मां पार्वती ने भगवान शंकर को पति के रूप में पाने के लिए कोकिला व्रत किया था।

गुरु पूर्णिमा, व्यास पूजा

इसके साथ ही आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाया जाता है। गुरु पूर्णिमा को वेद व्यास जयंती, आषाढ़ पूर्णिमा और व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। गुरु पूर्णिमा के मौके पर शिष्य अपने गुरु की पूजा करते हैं औऱ उनको उपहार देते हैं। वहीं इस दिन गुरु वेद व्यास का जन्म हुआ था। वेद व्यास ने ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद, अथर्ववेद के साथ साथ अट्ठारह पुराण, महाभारत ग्रंथ, श्रीमद्भागवत समेत कई ग्रंथों व पुराणों की रचना की थी।

सावन सोमवार

वहीं आषाढ़ पूर्णिमा के अगले दिन से पवित्र महीने सावन की शुरूआत हो रही है। बता दें कि इस साल सावन महीने की शुरूआत सोमवार से हो रही है। भगवान शिव के भक्त सावन महीने का बड़ी बेसब्री से इंतजार करते हैं। बता दें कि सावन महीने में भगवान शंकर रूद्र रूप में इस सृष्टि का संचालन करते हैं। इस बार सावन में पांच सोमवार पड़ रहे हैं।

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