Prabhasakshi Exclusive: सऊदी अरब बॉर्डर गार्ड्स ने हजारों इथोपियन प्रवासियों को मार डाला और दुनिया खामोश रही
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि ह्यूमन राइट्स वॉच ने अपनी 73 पन्नों की रिपोर्ट में कहा है कि सऊदी गार्डों ने कुछ प्रवासियों को मारने के लिए विस्फोटक हथियारों का इस्तेमाल किया और कई लोगों पर करीब से गोली चलाई।
प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क के खास कार्यक्रम शौर्य पथ में इस सप्ताह हमने ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) से जानना चाहा कि सऊदी अरब बॉर्डर गार्ड्स ने हजारों इथोपियन प्रवासियों को क्यों मार डाला? हमने कहा कि साथ ही एक सवाल यह भी है कि इतने बड़े नरसंहार पर दुनिया खामोश क्यो हैं? इस पर उन्होंने कहा कि वाकई यह हैरत की बात है कि इतने बड़े नरसंहार पर पूरी दुनिया चुप है। उन्होंने कहा कि वहां जो कुछ हुआ वह मानवता के विरुद्ध बड़ा अपराध है। उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय संगठन ह्यूमन राइट्स वॉच (एचआरडब्ल्यू) ने कहा है कि सऊदी अरब के सीमा रक्षकों ने महिलाओं और बच्चों सहित सैंकड़ों इथियोपियाई प्रवासियों को मार डाला है, जिन्होंने यमन के साथ अपनी पहाड़ी सीमा के साथ सऊदी अरब में प्रवेश करने का प्रयास किया था।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि ह्यूमन राइट्स वॉच ने अपनी 73 पन्नों की रिपोर्ट में कहा है कि सऊदी गार्डों ने कुछ प्रवासियों को मारने के लिए विस्फोटक हथियारों का इस्तेमाल किया और कई लोगों पर करीब से गोली चलाई। उन्होंने कहा कि इस रिपोर्ट में मार्च 2022 और जून 2023 के बीच यमन-सऊदी सीमा पार करने की कोशिश करने वाले 38 इथियोपियाई लोगों के साथ-साथ प्रवासियों के रिश्तेदारों और दोस्तों की गवाही संकलित की गई है। उन्होंने कहा कि ह्यूमन राइट्स वॉच ने कहा है कि प्रवासियों के समूहों के खिलाफ हमले, जो पैदल सऊदी अरब में प्रवेश करने के लिए दूरदराज के पहाड़ी रास्तों का इस्तेमाल करते थे, "व्यापक और व्यवस्थित" थे। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि वहां पर "हत्याएं जारी हैं"।
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ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि वहीं सऊदी सरकार ने इन आरोपों को निराधार बताया है और कहा है कि यह आरोप विश्वसनीय स्रोतों पर आधारित नहीं हैं। सऊदी अधिकारियों ने 2022 में संयुक्त राष्ट्र के अधिकारियों द्वारा लगाए गए उन आरोपों का भी दृढ़ता से खंडन किया है जिसमें कहा गया था कि सीमा रक्षकों ने पिछले साल व्यवस्थित रूप से प्रवासियों को मार डाला था। उन्होंने कहा कि दूसरी ओर, ह्यूमन राइट्स वॉच का अपनी रिपोर्ट के बारे में कहना है कि यह रिपोर्ट गवाहों की गवाही के साथ-साथ घायल और मारे गए प्रवासियों के 350 वीडियो और तस्वीरों और सऊदी अरब गार्ड पोस्टों का स्थान दिखाने वाली उपग्रह इमेजरी पर आधारित है। संगठन का कहना है कि हालांकि, उसके शोधकर्ता यमन-सऊदी सीमा के उस हिस्से तक पहुंचने में असमर्थ थे जहां कथित हत्याएं हुई थीं। हालांकि इस रिपोर्ट की लेखिका नादिया हार्डमैन ने रॉयटर्स को दिये एक साक्षात्कार में कहा, "लोगों ने मुझे बताया कि उन्होंने वह मैदान देखे हैं जहां हत्याएं हुईं, पूरे पहाड़ी क्षेत्र में शव बिखरे हुए थे लोग आधे-अधूरे होकर पड़े थे।''
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि समाचार समूह रॉयटर्स का भी दावा है कि उसने स्वतंत्र रूप से एचआरडब्ल्यू द्वारा उपलब्ध कराए गए वीडियो क्लिप का विश्लेषण किया जिसमें लाशें, घायल लोग, कब्रों की खुदाई और पहाड़ी रास्तों पर चलते लोगों के समूह दिखाई दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि सड़कें, इमारतें और पहाड़ों का आकार उपग्रह और इलाके की तस्वीरों से मेल खाता है, इससे यह सत्यापित होने का दावा किया जा रहा है कि यह वीडियो यमन-सऊदी सीमा पर शूट किए गए थे। उन्होंने कहा कि हालांकि अभी इसकी पुष्टि नहीं हो सकी है कि इन्हें कब फिल्माया गया।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र के अध्ययन के अनुसार, सऊदी अरब में अनुमानित 750,000 इथियोपियाई हैं। इथियोपिया में कई लोग आर्थिक तंगी से वहां भाग गए हैं। उन्होंने कहा कि इथियोपिया ने हाल के वर्षों में अपने उत्तरी प्रांत टाइग्रे को क्रूर संघर्ष से तबाह होते देखा है। उन्होंने कहा कि सऊदी अरब दुनिया के सबसे अमीर देशों में से एक है और यहां इथियोपियाई प्रवासी पहले से आते रहे हैं। उन्होंने कहा कि इसके अलावा, संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय ने इस मुद्दे पर कहा है कि उसे सीमा पर सैन्य अभियानों के नागरिकों पर प्रभाव की ओर इशारा करने वाली जानकारी मिली है और वह "कुछ समय से" स्थिति की निगरानी कर रहा है। इसने एचआरडब्ल्यू के आरोपों की पूरी जांच करने और जिम्मेदार लोगों को जिम्मेदार ठहराने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र के प्रवक्ता स्टीफन डुजारिक ने न्यूयॉर्क में एक ब्रीफिंग में कहा, "बंदूक का उपयोग करके प्रवासन को रोकने की कोशिश करना असहनीय है।" उन्होंने कहा कि रिपोर्ट में "बहुत गंभीर आरोप" लगाए गए हैं।
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