Prabhasakshi Exclusive: Sri Lanka में लगातार क्यों आ रहे हैं Chinese Spy Ships? क्या भारतीय रक्षा प्रतिष्ठानों की जासूसी का है इरादा?
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि श्रीलंका अनुसंधान से जुड़े एक पोत को देश में आने देने संबंधी चीन के अनुरोध पर विचार कर रहा है। उन्होंने कहा कि चीनी पोत ‘शी यान6’ के समुद्री अनुसंधान गतिविधियों के लिए अक्टूबर में पहुंचने की संभावना है।
प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क के खास कार्यक्रम शौर्य पथ में इस सप्ताह हमने ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) से जानना चाहा कि श्रीलंका लगातार चीन के अनुसंधान पोत को आने दे रहा है जिससे भारत में चिंताएं बढ़ रही हैं। यह भी खबर रही कि भारतीय तटरक्षक ने समुद्री सहयोग को मजबूत करने के लिए फिलीपीन के तटरक्षक के साथ समझौता किया है। इसके अलावा आस्ट्रेलिया के तट पर 11 दिवसीय मालाबार नौसेना अभ्यास संपन्न हुआ है। इस सबको कैसे देखते हैं आप? इसके जवाब में उन्होंने कहा कि श्रीलंका से आ रही खबरें चिंताजनक लग रही हैं।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि श्रीलंका अनुसंधान से जुड़े एक पोत को देश में आने देने संबंधी चीन के अनुरोध पर विचार कर रहा है। उन्होंने कहा कि चीनी पोत ‘शी यान6’ के समुद्री अनुसंधान गतिविधियों के लिए अक्टूबर में पहुंचने की संभावना है। इसे अनुसंधान-सर्वेक्षण पोत बताया जा रहा है और इसकी क्षमता 1115 डीडब्ल्यूटी है। उन्होंने कहा कि मीडिया की खबरों में कहा जा रहा है कि भारत की ओर से संभावित चिंताएं उठाए जाने को लेकर श्रीलंका विदेश कार्यालय चीन के इस अनुरोध को लेकर असमंजस की स्थिति में है। उन्होंने कहा कि माना जा रहा है कि यह पोत राष्ट्रीय जलीय संसाधन अनुसंधान एवं विकास एजेंसी के साथ मिलकर अनुसंधान करेगा। उन्होंने कहा कि वैसे चीन नियमित तौर पर अपने पोत श्रीलंका भेजता रहता है। दो सप्ताह पहले चीनी सेना का युद्धक पोत ‘हाई यांग 24 हाओ’ दो दिन की यात्रा पर श्रीलंका पहुंचा था। उन्होंने कहा कि माना जा रहा है कि भारत की ओर से चिंताएं जताए जाने के कारण 129 मीटर लंबे पोत के आगमन में देरी हुई। उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष अगस्त में चीनी बैलेस्टिक मिसाइल एवं उपग्रह ट्रैकिंग पोत ‘युवान वांग 5’ हंबनटोटा बंदरगाह पर पहुंचा था, जिस पर भारत ने गंभीर आपत्ति जताई थी। उन्होंने कहा कि भारत को आशंका थी कि श्रीलंकाई बंदरगाह जाने के रास्ते में पोत की ट्रैकिंग प्रणाली भारतीय रक्षा प्रतिष्ठानों के बारे में पता लगाने की कोशिश कर सकती है।
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ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि भारत लगातार तटरक्षा की ओर ध्यान दे रहा है इसीलिए भारतीय तटरक्षक ने फिलीपीन के साथ समुद्री सहयोग बढ़ाने के लिए उसके तटरक्षक बल के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। उन्होंने कहा कि इसका मकसद क्षेत्र में सुरक्षित, संरक्षित और स्वच्छ समुद्र सुनिश्चित करना है। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के संयुक्त बयान पर गौर करें तो उसमें कहा गया है कि भारत और फिलीपीन के बीच द्विपक्षीय सहयोग को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम के तहत भारतीय तट रक्षक ने समुद्री सहयोग बढ़ाने के लिए फिलीपीन तट रक्षक (पीसीजी) के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं। उन्होंने कहा कि इस समझौते का उद्देश्य समुद्री कानून प्रवर्तन (एमएलई), समुद्री खोज और बचाव (एम-एसएआर) और समुद्री प्रदूषण प्रतिक्रिया (एमपीआर) के क्षेत्र में दोनों तटरक्षकों के बीच पेशेवर संबंध को बढ़ाना है।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि इसके अलावा हमारी नौसेना लगातार अभ्यासों के जरिये भी अपनी क्षमता में वृद्धि का काम कर रही है। उन्होंने कहा कि भारत, आस्ट्रेलिया, जापान और अमेरिका की नौसेनाओं की भागीदारी वाला 11 दिवसीय मालाबार नौसेना अभ्यास इस सप्ताह संपन्न हो गया। उन्होंने कहा कि आस्ट्रेलिया के पूर्वी तट पर हुए अभ्यास के 27वें सत्र में हवा, सतह और समुद्र के अंदर जटिल अभ्यास देखने को मिला। उन्होंने कहा कि भारतीय नौसेना, रॉयल आस्ट्रेलियन नेवी, जापान मेरीटाइम सेल्फ डिफेंस फोर्स और यूएस नेवी (अमेरिकी नौसेना) के युद्ध पोत, पनडुब्बी और विमानों ने अभ्यास में भाग लिया। उन्होंने कहा कि भारतीय नौसेना का प्रतिनिधित्व स्वदेश निर्मित विध्वंसक पोत आईएनएस कोलकाता, युद्धपोत आईएनएस सहयाद्री और पी8आई समुद्री गश्त विमान ने किया। उन्होंने कहा कि नौसेना ने इस बारे में बयान जारी कर कहा है कि मालाबार के समुद्री चरण अभ्यास में हवा, सतह और समुद्र के अंदर जटिल और अधिक गहन अभ्यास देखने को मिला।
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