क्या है ISRO-NASA Space Mission? अंतरिक्ष क्षेत्र को लेकर भारत और अमेरिका के बीच किस डील पर बात

ISRO-NASA Space
prabhasakshi
अभिनय आकाश । Jun 22 2023 7:47PM

एक वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी के हवाले से कहा गया है कि अंतरिक्ष पर, हम यह घोषणा करने में सक्षम होंगे कि भारत आर्टेमिस समझौते पर हस्ताक्षर कर रहा है, जो सभी मानव जाति के लाभ के लिए अंतरिक्ष अन्वेषण के लिए एक आम दृष्टिकोण को आगे बढ़ाता है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका की पहली राजकीय यात्रा के दौरान ही स्पेस जगत से जुड़ी एक बड़ी खबर सामने आई है। भारत ने आर्टेमिस समझौते में शामिल होने का निर्णय लिया और नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन 2024 में अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन या आईएसएस के लिए एक संयुक्त मिशन पर काम करेंगे। एक वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी के हवाले से कहा गया है कि अंतरिक्ष पर, हम यह घोषणा करने में सक्षम होंगे कि भारत आर्टेमिस समझौते पर हस्ताक्षर कर रहा है, जो सभी मानव जाति के लाभ के लिए अंतरिक्ष अन्वेषण के लिए एक आम दृष्टिकोण को आगे बढ़ाता है।

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'आर्टेमिस समझौते' में शामिल होने के क्या हैं मायने

आर्टेमिस समझौते पर 13 अक्टूबर, 2020 को कई देशों ने दस्तखत किए थे। 5 जून, 2023 तक 25 देश समझौते पर हस्ताक्षर कर चुके हैं। इसमें शामिल होने वाले देश 'आर्टेमिस कार्यक्रम' की गतिविधियों में सीधे भाग लेने का विकल्प चुन सकते हैं या चांद पर खोज कार्यक्रम के लिए सहमत हो सकते हैं। दिलचस्प बात यह है कि इस साल की शुरुआत में भारत-अमेरिका कई क्षेत्रों में अंतरिक्ष सहयोग को बढ़ाने पर सहमत हुए थे। इसमें मानव अंतरिक्ष खोज कारोबारी अंतरिक्ष साझेदारी भी शामिल है।

सबसे महंगे प्रोजेक्ट पर साथ काम कर रहे इसरो-नासा

इसरो और नासा ने अब तक 1.5 अरब डॉलर की निसार सैटलाइट प्रोजेक्ट पर एक साथ काम किया है, जो दुनिया का सबसे महंगा 'अर्थ ऑब्जर्वेशन सैटलाइट प्रोग्राम' है। यह अगले साल लॉन्च होने वाला है।

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आर्टेमिस समझौते और अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन 

पहले अमेरिका में 1967 की बाह्य अंतरिक्ष संधि (ओएसटी) पर आधारित आर्टेमिस समझौते होते थे। लेकिन 21वीं सदी में नागरिक अंतरिक्ष अन्वेषण और उपयोग का मार्गदर्शन करने के लिए डिज़ाइन किए गए सिद्धांतों का एक गैर-बाध्यकारी सेट है। अमेरिका अर्टेमिस मिशन के तहत 2025 इंसानों को चंद्रमा पर ले जाना चाहता है। साथ ही मंगल और अन्य ग्रहों की खोज भी होने वाली है। 

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